दोस्तो,कई दिन पहले पूर्वी चीन के शांघाई शहर में एक कला उत्सव आयोजित हुआ।यह उत्सव अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने तरह का नौवां सत्र था।कोई 40 देशों व क्षेत्रों से आए कलाकारों ने अपने-अपने राष्ट्र की विशेषताओं वाले रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों से बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित किया।लोगों ने इस उत्सव की विभिन्न संस्कृतियों के प्रदर्शन का एक मंच कहकर प्रशंसा की।
शांघाई के इस अंतर्राष्ट्रीय कला उत्सव में चीनी संगीतकार श्री थानतुन ने प्राण-शक्ति युक्त संगीत—07 नामक एक व्यक्तिगत संगीत-समारोह का आयोजन किया।थानतुन अमरीका में रह रहे एक विख्यात चीनी संगीतकार हैं।उन का व्यक्तिगत संगीत-समारोह 'जल-तरंग' और 'कागज-संगीत' दो भागों से बनता है।'जल-तरंग' ने न्यूयॉर्क में बड़ी धूम मचाई थी और वह लगातार कई हफ्तों तक संगीत-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रहा। यह संगीत थानतुन की अग्रणी शैली वाली सब से श्रेष्ठ कृति माना गया है।इस कृति में मानव के जीवन में एक अनिवार्य तत्व—जल को मुख्य वाद्य के रूप में अपनाया गया है,अथार्त विभिन्न आकार-प्रकार के 50 जल पात्रों और जल-प्रवाह की गति को नियंत्रित करके संगीत निकाला जाता है,इस वाद्य से निसृत संगीत को जल तरंग भी कहा जाता है।'कागज-संगीत' में काग़ज ही एकमात्र वाद्य है।इस कृति में कागज़ को घिसने,हिलाने,फाड़ने,ऊपर-नीचे छोड़ने और मारने तथा मावन के साथ आवाज निकलाने के तरीके से सिम्फनी के संयोजन में मानव व प्रकृति बीच सामंजस्य का सुन्दर माहौल तैयार किया गया है।
शांघाई में इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय कला उत्सव को नौ सालों के विकास के बाद वैश्विक ख्याति प्राप्त हुई है।देशी-विदेशी कलाकारों ने इस में नई कृतियां प्रदर्शित कर युग की नब्ज छूने वाली शक्ति दर्शाई हैं और कलात्मक आदान-प्रदान कर मैत्री बढाई है।इस कला-उत्सव के प्रमुख संयोजक श्री छन शंगघाई ने कहा कि नए सृजन को बढावा देने के लिए मौलिक कृतियों को प्राथमिकता देना शंघाई कला-उत्सव का हमेशा का सिद्धांत रहा है।श्री छन ने कहाः
'यह हमारे कला उत्सव की एक परंपरा है। हर साल कला-उत्सव के उद्घाटन-समारोह में कम से कम दो नई मौलिक कृतियां प्रदर्शित की जाती हैं।ऐतिहासिक साहित्यिक रचनाओं के आधार पर बनी 'चीनी रानी','राजा-रानी की बिदाई' और 'लाल भवन का स्वप्न 'आदि कृतियां शंघाई कला-उत्सव जैसे अतर्राष्ट्रीय मंच की कसौटी पर खरी-उतरकर ही मंजे हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम बनी हैं।अब ये कार्यक्रम शिष्टमंडलों और अतिथियों के सम्मान में होने वाले संगीत-समारोह में अनिवार्य तौर पर प्रस्तुत किए जाते हैं।'
श्री छन का कहना है कि शंघाई अंतर्राष्ट्रीय कला-उत्सव विदेशी कला-जगत में भी काफी लोकप्रिय है।इस में उन के चढ़-बढकर भाग लेने से चीनी संस्कृति व कला का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ है।इस तरह चीनी कलामंडलियों को भी विदेशों में प्रस्तुति के लिए ढेर-सारे निमंत्रण मिले हैं।विदेशों में भी चीनी कलाकार अपनी मौलिक कृतियों की प्रस्तुति को प्राथमिकता देने के सिद्धांत पर कायम हैं।
इस शंघाई अतर्राष्ट्रीय कला उत्सव के उद्घाटन-समारोह में शंघाई गीतनृत्य मंडली और तुंगफांग यौवन नृत्यमंडली द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत 'ड्रैगन की आत्मा' विषयक बड़े पैमाने वाले गीतनृत्य ने दर्शकों की खूब वाह-वाही लूटी है।इस सांस्कृतिक कार्यक्रम ने ढोल-नगाड़ों की ताल पर प्रस्तुत परंपरागत चीनी नृत्यों की अनुपम मनोहरता दिखाई है।इस में आधुनिक बहुमीडिया तकनीक की मदद से और छोटे-बड़े 100 से अधिक ढोल-नगाड़ों को बजाने से दर्शकों को देखने व सुनने का जबरदस्त आनन्द मिला है।टिप्पणीकारों का मानना है कि यह कार्यक्रम परंपरागत चीनी कला और आधुनिक तकनीक का परिपूर्ण संगम है।कुछ दर्शकों ने कहा कि जो विदेशी चीनी राष्ट्र की भावना का एहसास करना चाहता है,उसे यह कार्यक्रम देखना चाहिए।
कला का प्राण सृजन पर निर्भर है। नया करके दिखाने से ही कला दर्शकों को पकड़ सकती है।इस कला-उत्सव में थाइवान की एक नाट्य मंडली द्वारा प्रस्तुत 'गलत मुकदमा'नामक ऑपेरा खासा लोकप्रिय रहा है।यह कार्यक्रम पेइचिंग ऑपेरा की एक परंपरागत रचना 'ऊ भन षड़यंत्र' का रूपातंरित रूप है,जिस में मिट्टी-बर्तन बनाने वाले एक लोभी के खिलाफ़ मामले की सच्चाई के खुलासे के बाद मौत की सजा सुनाने की कहानी दिखाई गई है।कला-उत्सव के दौरान इस कार्यक्रम ने पेइचिंग ऑपेरा के बहुत से नए दीवाने बनाने में सफलता हासिल की है।हर शो के पटाक्षेप के समय कलाकारों को तीन,चार बार मंच पर वापस लौटकर दर्शकों का अभिवादन करना पड़ा है।इस कार्यक्रम के प्रमुख अभिनेता,पेइचिंग ऑपेरा के विख्यात कलाकार श्री ली पाओ-छुन ने कहाः
'हम ने परंपरागत रचना का रूपांतर करने के समय चाहा था कि कहानी ज्यादा आकर्षक हो,मंच-सज्जा और पौशाकें रंगबिरंगी व चटकीली हों और अभिनय की शैली में नयापन आए। संक्षेप में हमारा उद्देश्य पेइचिंग ऑपेरा से अपरिचित कालेज-छात्रों और अन्य युवा लोगों को थिएटर की ओर खींचना है।हमारी मंडली की योजना है कि पेइचिंग ऑपेरा की प्रमुख रचनाओं को नया रूप देकर मंचित किया जाए,जिस से दर्शकों को परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता का भी एहसास हो। '
शंघाई कला उत्सव चीनी कलाकारों का ही नहीं,विदेशी कलाकारों का भी उत्सव है।यह उत्सव एक महीने तक चला,जिस दौरान 29 विदेशी कार्यक्रमों समेत कुल 55 शो प्रस्तुत किए गए। सुश्री योको कोमाट्सुबारा जापान की एक जगप्रसिद्ध नृत्यकार हैं।40 साल पहले वह विश्वविख्यात फ्लामिनको नृत्य सीखने के लिए स्पेन गई थीं।वहां कड़ी मेहनत से उन्हों ने इस नृत्य पर पूरी महारत हासिल की और स्थानीय विशेषज्ञों से मान्यता प्राप्त की।जापान लौटने के बाद वह इस नृत्य के प्रचार-प्रसार में लग गईं।बाद में उन्हों ने अपने नाम पर एक नृत्यमंडली स्थापित की,जिस का नाम है योको कोमाट्सुबारा स्पेनिश नृत्य मंडली।अब यह नृत्यमंडली जापान में काफी प्रसिद्ध है।शांघाई कला उत्सव में वह भी भाग ले रही है।मंडली की नेता सुश्री योको कोमाट्सुबारा ने कहाः
'शांघाई में कार्यक्रम प्रस्तुत करने का मेरा सपना बहुत पुराना है।शांघाई हमारे देश में नहीं है,तो भी वह मुझे इस जगह से बहुत निकटता महसूस होती है।शांघाई के दर्शकों ने जितनी एकाग्रता से हमारा कार्यक्रम देखा है और खड़े होकर जितने उत्साह से तालियां बजाई हैं, उतनी हम अपेक्षा नहीं की थी।ये दर्शक बहुत शिष्ट हैं,उन से हम बहुत प्रभावित हुए हैं। '
सुश्री योको कोमाट्सुबारा ने चीन के साथ दीर्धकालिक संपर्क रखने की आशा प्रकट की,ताकि नृत्यकला के माध्यम से चीन और जापान के युवाओं के बीच आदान-प्रदान बढ सके।
शांघाई कला-उत्सव में भाग ले रहे कलाकारों में युवा लोग कम नहीं थे।उन्हों ने मुख्य तौर पर उत्सव के एक भाग के रूप में खुले मैदान में शो प्रस्तुत किए हैं।स्वीडन की एक युवा नृत्यमंडली ने खुले मैदान में कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
इस मंडली में केवल 7 नृतक हैं।उन के द्वारा प्रस्तुत हिप-हॉप के यूरोप व अमरीका में बहुत से दीवाने हैं।शाँघाई में उन के शो ने बहुत से चीनियों को भी अपना दीवाना बनाया है।
इस कला उत्सव में अमरीका की मशहूर लोकगीत गायिका बेयोन्स,स्पेन की प्रमुख कलामंडली,हांगकांग के लोकगीत गायक ल्यू त-ह्वा औऱ थाइवान के लोकगीत गायक चो चे-लुन ने भी श्रेष्ठ प्रदर्शन किए हैं और समान विचार व्यक्त किया कि शांघाई अंतर्राष्ट्रीय कला-उत्सव का ढंग उत्तम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है,जिस में भाग ले कर कलाकारों को गौरव महसूस होता है।
|