टीकों को रोगरोधन का सब से कारगर कदम माना जाता है । टीकों के जेरिये छूत के बहुत से रोगों को रोका जा सकता है । बीती आधी शताब्दी में मानव ने कोढ़ , तपेदिक , पीलिया , चेचक , हैजा और प्लेग आदि भयानक रोगों के लिये टीकों के अनुसंधान और उत्पादन में सफलता पायी है ।
टीकों से न सिर्फ संक्रामक रोग रोके जा सकते हैं , इन रोगों के इलाज का खर्च का बचाव भी कम किया जा सकता है । आंकड़े बताते हैं कि खसरे के एक रोगी के इलाज का कुल खर्च , ऐसे बीस टीकों के बराबर बैठता है । और चेचक के टीके प्रति वर्ष दुनिया के तीस करोड़ अमेरिकी डालर बचाते हैं।
चीन में भी अन्य देशों की ही तरह लोग संक्रामक रोगों के शिविर बनते हैं । इसलिये चीन सरकार ने देश में टीका लगाने के काम को विशेष महत्व दिया है । चीनी रोगरोधन सोसाइटी की एक पदाधिकारी सुश्री वांग चाओ का कहना है कि में नये चीन की स्थापना के बाद से चीन सरकार टीकों के जरिये रोगरोधन को बहुत महत्व देती आयी है । नये चीन की सरकार ने अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न संक्रामक रोगों के टीकों का अनुसंधान शुरू कर दिया , जिस में उस ने उल्लेखनीय प्रगति भी प्राप्त की । मिसाल के लिये चीन वर्ष उन्नीस सौ साठ में ही विश्व के अन्य क्षेत्रों से दस साल पहले चेचक का विनाश करने में सफल रहा ।
चीन में आर्थिक रुपांतर शुरू होने के बाद , रोग प्रतिरक्षण कार्य को देश के सामाजिक विकास कार्यक्रम में शामिल किया गया । एक सरकारी नियम के अनुसार सभी चीनी बच्चों को तपेदिक , पीलिया , पोलियो , खसरा और डिपथीरिया आदि पांच संक्रामक रोगों का टीका लगाना अनिवार्य दिया जाता है । और ये सब मुफत हैं । इन के अलावा लोग अपने खर्च पर बच्चों को फ्लू और दिमागी सूजन के टीके भी लगवाते हैं ।
चीन ने अपने अल्पसंख्यक जाति-बहुल क्षेत्रों में बच्चों को टीका लगाने के कार्य को विशेष महत्व दिया है । कुछ समय पहले हमारे संवाददाता ने तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ल्हासा शहर के एक महिला बाल स्वास्थ्य केंद्र का दौरा किया । वहां त्सीरेंबाईचेन नामक एक महिला ने उन से बातचीत में कहा कि मेरा बच्चा दो माह का है , मैं उसे दो बार टीका लगवा चुकी हूं । मुझे मालूम है कि टीके स्वास्थ्य के लिये कितने अच्छे हैं , इन से अनेक रोगों की रोकथाम होती है । इसलिये मैं अपने बच्चे को सारे टीके लगवाऊंगी ।
सिर्फ ल्हासा ही नहीं , देश के सभी शहरों व देहातों में ऐसे विशेष संस्थान खुले हुए हैं , जहां लोगों को टीके लगाने की सुविधा हासिल है । और घासमैदान के पशुपालकों तथा पहाड़ी इलाकों के निवासियों के बच्चों के लिये टीका लगाने की जिम्मेदारी विशेष चिकित्सक उठाते हैं ।
नीचे आप पढ़ पाते हैं एड्स के मुकाबले में अंतर्राष्टीय कोशिशों की जानकारियां । एड्स का मुकाबला करना अंतर्राष्टीय मुद्दा है । क्योंकि वह इतना खतरनाक है कि यह हमें हर तरह से प्रभावित करता है , चाहे सामाजिक हो या आर्थिक । इस के बढ़ने की रफतार भी काफी तेज़ है । हर दिन कई हजार लोग इस के पिंज़रे में फंसते हैं और हजारों लोगों को हर रोज़ यह मौत के मूंह तक पहुंचाता है ।
चीन और भारत जैसे परंपरावादी लोग पहले इस विषय पर बात करने से कतराते थे , पर आज इस लाइलाज रोग को जानकारी द्वारा ही कम किया जा सकता है । इस लिये हमें इस विषय पर बात करनी ही होगी , और जानकारी फैलानी ही होगी । खतरों की पूरी तरह जानकारी होने से ही हम उस खतरे से बच सकते हैं । अब तक आप को समझ ही गये होंगे कि आज हमारे बातचीत का विषय है एड्स । एड्स का आज तक कोई पूरा इलाज नहीं है । यह रोग दूसरे रोगों से कुछ अलग है , क्योंकि ज्यादातर रोगों का इलाज कर उसे जड़ से मिटाया जा सकता है । इसलिये इस का सब से बड़ा इलाज है इस से बचाव । इससे बचने के सारे तरीके हमें आने चाहिये , क्योंकि एक बार एक व्यक्ति को यह रोग लग जाये तो इस का इलाज केवल एक ही होता है --मौत । हाल ही में अमेरिका के कुछ कंपनियों ने इसके इलाज के लिये कुछ दवाइयों का आविष्कार किया है , पर यह दवाई काफी महंगी है और यह दवाई एक एड्स के रोगी को केवल कुछ साल का जीवन दे सकती है ।
क्योंकि एड्स अपने आप में कोई एक बीमारी नहीं है । मतलब यह है कि एड्स कई सारी बीमारियों का एक समूह कहा जा सकता है । एड्स के किटाणुओं का मुख्य काम यह होता है कि वे एक व्यक्ति के खून के उन सेल्स को मार डालते हैं जो बदन के कई प्रकार के बीमारियों से लड़ते हैं । इस तरह खून के यह सेल काम करना बन्द कर देते हैं और एड्स के रोगी कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं और यह बीमारी कभी खत्म ही नहीं होते ।
हू- अच्छा अब बात समझ में आयी । यानि एक एड्स के रोगी को अगर मामूली सर्दी-खांसी हुई तो उस की सर्दी खांसी सदा के लिये रह सकती है । अगर शरीर में कहीं चोट लगी तो वह चोट हमेशा के लिये रह जाएगी । इस प्रकार वह देखते ही देखते दुबला-पतला सा एक मनुष्य रह जाएगा और कुछ ही सालों में उसे यह दुनिया छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा ।
इस लिये हमें इस विषय पर दो बातें सदा याद रखनी चाहिये । नम्बर एक , हर व्यक्ति को हर हाल में इस रोग से दूर रहना चाहिये , क्योंकि यह एक लाइलाज रोग है । नम्बर दो , हमें एड्स के रोगी से नफरत नहीं , प्यार से पेश आना चाहिये क्योंकि उस की जिन्दगी कुछ ही दिनों की बची हुई होती है । इसके अलावा एक और अहम बात यह है कि एड्स के रोगी से प्यार मोहब्बत से मिलने जुलने , साथ रहने , हाथ मिलाने , गले मिलने आदि से दूसरे तक यह रोग नहीं फैलता है । इस से रोगी को थोड़ा सुकुन जरूर पहुंचता है ।
एड्स फैलने के मुख्य कारण ये हैं , नम्बर एक , असुरक्षित यौन संबंध या दूसरे शब्दों में पति-पत्नी के अलावा किसी दूसरे से यौन संबंध स्थापित करने से । इसलिये इस प्रकार के संबंध सदा के लिये केवल अपने पति या पत्नी तक ही सीमित रखें । नम्बर दो , एड्स से ग्रस्त खून या किसी प्रकार का लार किसी दूसरे के खून या लार में मिलने से । नम्बर तीन , एड्स से ग्रस्त मां के पेट में पल रहे बच्चे को , और एड्स से ग्रस्त मां के पेट में पल रहे बच्चे को ।
इस का मतलब यह हुआ कि मिल-जुल कर रहने से या एड्स के रोगियों से मिलने जुलने से एड्स नहीं फैलता , इससे रोगी के जीने की इच्छा बढ़ती है । एड्स के रोगी को हमेशा खुश रखना चाहिये , इससे उस की जिन्दगी थोड़ी बहुत जरूर बढ़ती है , और इस से सामाजित एवं आर्थिक स्थिरता भी बढ़ती है । पर एक सवाल ही है कि हमारे आसपास बहुत से कीड़ा है , जैसे मच्छर ,मक्खी और मधु-मक्खी आदि । अगर एक मच्छर ने किसी एड्स रोगी को डंक मारा , और फिर यह मच्छा दूसरे लोगों को डंक मारे , तो इस से एड्स का फैलाव होता कि नहीं । अभी तक मुझे जो जानकारी प्राप्त है , उस के जरिये एड्स का फैलाव नहीं आता है । पर मच्छा बहुत से रोगों का प्रसार करने का कारण है । इसलिये हमें अपने वातावरण को साफ रखना चाहिये और मच्छरों के प्रहार से यथासंभव बचना चाहिये ।
चीन में एड्स का मुकाबला करने के लिये न केवल देश भर की सभी शक्तियों की भागीदारी है , इसी संदर्भ में हमें जोरों से अंतर्राष्टीय सहयोग करना चाहिये । इस के अलावा चीन को विदेशी सहायता भी बहुत चाहिये । आशा है कि हम एड्स का मुकाबला करने में विदेशों के साथ वैज्ञानिक अनुभवों का ज्यादा आदान प्रदान कर सकेंगे । अब चीन , अंतर्राष्टीय संगठनों तथा विदेशों के साथ कुल सौ से अधिक सहयोग परियोजनाएं कर रहे हैं । जिन का अधिकांश चीन और अमेरिका के बीच की जा रही हैं । चीनी संश्रित एड्स विरोधी अनुसंधान योजना वर्ष दो हजार दो में उद्घातित हुआ , जो उन में सब से बड़ी परियोजना है । अमेरिका ने इस पांच सालों तक चलने वाली योजना में कुल एक करोड़ पचास लाख अमेरिकी डालर की पूंजी पेश की है ।
एड्स का प्रसार यौन संबंधों से जुड़ा है । इसलिये चीन के कुछ कालेजों में यौन शिक्षा को एक महत्वपूर्ण विषय मानने का रुझान उभरा है । हाल ही में पेइचिंग के कुछ कालेज़ों ने अपने छात्रों को यौन संबंधों की जानकारी देने के लिये सिलसिलेवार गतिविधि आयोजित की । पर कुछ समय पूर्व तक यौन शिक्षा आम तौर पर प्रौढ़ों के दायरे तक सीमित थी । छात्रों के पास यौन शिक्षा पाने के मौके कम थे । कुछ कालेजों में छात्रों के बीच यौन संबंधों की मनाही का नियम भी था ।
पेइचिंग में आयोजित यौन शिक्षा का छात्रों में बहुत स्वागत किया गया है । यौन शिक्षा के और आगे प्रचार प्रसार के लिये पेइचिंग के कुछ छात्रों ने स्वयंसेवक की हैसियत से यौन शिक्षा का प्रचार प्रसार करने के दल में भाग लिया । चीनी परिवार नियोजन शिक्षा केंद्र के एक अधिकारी के अनुसार , चीन के अन्य कालेजों में भी यौन शिक्षा का ऐसा प्रचार प्रसार किया जाएगा ।
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