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(GMT+08:00) 2008-01-23 13:14:09    
प्राचीन काल में मशहूर विज्ञानी शन-ख्वो

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ईसवी 10वीं से 13वीं शताब्दी तक चीन के सुंग राजवंश में विज्ञान और तकनीक का विकास अपने उफान पर था।इस में असाधारण योगदान करने वालों में से शन-ख्वो नामक एक विज्ञानी सब से उल्लेखनीय हैं।उन की लिखी पुस्तक《विविध उपलब्धियां 》चीन के प्राचीन काल के महा शब्दकोष के रूप में देखी जाती है,जिस में प्राचीन काल में चीनी जनता द्वारा प्राप्त वैज्ञानिक उपलब्धियां कलमबद्ध हैं।इस पुस्तक की वैश्विक विज्ञान-तकनीकी व सांस्कृतिक इतिहास में विशेष पहचान है।

शन-ख्वो सन् 1031 में पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत के एक दरबारी अफसर-परिवार में जन्मे थे।उन के पिता अनेक क्षेत्रों में उच्च पद पर अफसर रहे।उन्हें बचपन से ही अपने पिता के साथ अनेक क्षेत्रों का दौरा करने का मौका मिला,जिस से वे समाज के विभिन्न पहलुओं और रीति-रिवाज़ों से अच्छी तरह परिचित हो गए।उन की मां भी पढ़ी-लिखी थीं।इस की वजह से उन का घर पुस्तक-भंडार के रुप में जाना जाता था।मां के निर्देशन में पढाई में उन की गहरी रुचि पैदा हुई और 14 साल की उम्र तक उन्हों ने घर में रखीं सभी पुस्तकें पढ़ डालीं।

प्राचीन चीन के सामंती समाज में अफसर बनने के लिए पढ़ने का कॉफी चलन था।पढे-लिखे लोगों का उद्देश्य अफसर बनकर देश का प्रबंध करना होता था।शन-ख्वो 20 साल से अधिक उम्र में अफसर बने।दरबार के साथ अपने परिवार का पुराना संबंध होने के कारण अफसर के रूप में उन के आगे चलने का रास्ता अपेक्षाकृत आसान रहा और उन की लगातार अनेक बार पदोन्नति भी हुई।

शन-ख्वो को वैज्ञानिक अनुसंधान से बेहद लगाव था। शाही पुस्तकालय की देखरेख करने वाला काम करने के दौरान उन्होंने ढेरों वैज्ञानिक पुस्तकें पढ़ डालीं और शाही खगोल-केंद्र के निदेशक का पद संभालने के दौरान उन्होंने संबंधित पंचांग भी बनाया,पुराने खगोलीय उपकरणों मे सुधार किया और उत्तरी ध्रुवीय सितारे के सही स्थान को निश्चित करने के लिए 200 से ज्यादा नक्षत्र बनाए। सितारे के स्थान संबंधी उन के इस अनुसंधान से निकला परिणाम आज भी सही माना जाता है।इस के अलावा उन्हों ने खगोल संबंधी अनेक विशेष पुस्तकें भी लिखीं।वृद्धावस्था में उन्हों ने 《12 मास का पंचांग 》नामक एक पुस्तक प्रकाशित की,जिस से पंचांग के इतिहास में एक क्रांति ही आ गई। क्योंकि सरल होने के कारण

यह पंचाग साधाऱण से साधाऱण किसान की भी समझ में आ सकता था।

शन-ख्वो ने देश के उत्तर-पश्चिमी सीमांत क्षेत्र में भी कई सालों तक काम किया ।उन के जीवनकाल में सुंग-राजवंश और उस के आसपास के अल्पसंख्यक जातीय राज्यों के बीच सीमा को लेकर लड़ाईयां होती रहती थीं।शा-ख्वो को शाही आदेशानुसार सीमा-विवाद सुलझाने हेतु वार्ताकार नियुक्त किया गया। उन्हों ने संबंधित दस्तावेजों का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद सूक्ष्म मानचित्र युक्त एक तर्कसंगत वैज्ञानिक कार्यक्रम बनाया।वार्ता में उन्हों ने यह कार्यक्रम दिखाकर विपक्ष को सुंग-राजवंश पर चढ़ाई करना बन्द करने के लिए समझाने-बुझाने में सफलता प्राप्त की।

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