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(GMT+08:00) 2008-01-23 12:48:25    
छिंगहाई झील के पक्षी द्वीप की बढ़िया पारिस्थितिकि पर्यावरण पक्षियों को लुभाता है

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प्रिय मित्रो , यह सच है , जैसा कि पर्यटक ली ने कहा है कि पशु पक्षी और मानव जाति एक दूसरे पर निर्भर रहकर सहअस्तित्व रहती है । छिंगहाई तिब्बत पठार का एक अहम संगठनात्मक भाग होने की हैसियत से छिंगहाई झील पृथ्वीव्यापी जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता और पारिस्थितिकि पर्यावरण का कमजोर क्षेत्र ही है । यहां के पर्यटन कार्य के विकास के लिये पर्यावरण संरक्षण पर जोर ध्यान देना निहायत जरूरी है । छिंग हाई प्रांत के पर्यटन ब्यूरो के उप प्रधान श्वी थाओ ने कहा कि वे पर्यटन कार्य के विकास के लिये पर्यावरण की कीमती चुकाने की इजाजत कतई नहीं देंगे । उन का कहना है

हमारा मानना है कि पारिस्थितिकि पर्यटन अवश्य ही बेहतरीन पारिस्थितिकि पर्यावरण पर निर्भर रहकर क्रमबद्ध रूप से विकसित किया जा सकता है । छिंगहाई झील का विशेष प्राकृतिक दृश्य अपने ढंग का है , हम अपने हाथों इसी अद्भुत अनौका प्राकृतिक दृश्य लुप्त या नष्ट होने नहीं देंगे । दूसरी तरफ , यदि यहां की पारिस्थितिकि पर्यावरण नष्ट होगा , तो इस से उत्पन्न कुपरिणामों की कल्पना तक भी नहीं की जा सकती , उसी समय पर्यटन कार्य तो क्या , मानव जाति का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकेगा ।

मानव जाति की गतिविधियों से छिंगहाई झील के पक्षी द्वीप पर बसे पक्षियों के पर्यवारण को कुप्रभाव से बचने के लिये छिंगहाई प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन ब्यूरो ने सिलसिलेवार कदम उठा दिये हैं । मसलन पक्षी द्वीप छिंगहाई झील प्राकृतिक परिरक्षित पर्यटन का केंद्रीय इलाका है , हालांकि वह व्यापक पक्षी प्रिय लोगों के लिये खुला है , पर यहां पर मानव जाति की गतिविधियां फिर भी कड़े नियंत्रण में हैं । पर्यटक पक्षी द्वीप में प्रवेश करने के बाद निश्चित पर्यटन लाइनों पर जा सकते हैं और वे झील के तटों पर खड़े हो कर दूरबीन से पक्षियों को देख पाते हैं । छिंगहाई झील प्राकृतिक परिरक्षित पर्यटन क्षेत्र के प्रबंधन ब्यूरो के उप प्रधान हो यू पांग ने इस का परिचय देते हुए कहा

मानव जाति और पक्षी जाति के बीच का फासला कम नहीं होना चाहिये , मानव जाति और प्रकृति के बीच के सामंजस्य का अर्थ यह नहीं है कि मनुष्य पक्षियों के बीच जाये , यह सामंजस्य नहीं है , उस से सिर्फ पक्षियों को बड़ा नुकसान पहुंचेगा ।

मानव जाति से वंशीवृद्धि करने में संलग्न पक्षियों को सब से कम क्षति पहुंचने से बचने के लिये प्रबंधन ब्यूरो ने यह कदम उठा दिया है कि जहां पक्षियां ज्यादा अंड़डे देते हैं , वहां पर्यटकों को नजदीगी से पक्षियों को देखने की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये एक भूमिगत दर्शन झरोखा स्थापित किया गया । फिर झरोखे पर घास फूस बिछाये गये हैं , ऐसा करने का उद्देश्य है कि पर्यटक पक्षियों को स्पष्टतः देख सके ,जबकि पक्षियों के लिये कोई बाधा न हो ।

हालांकि इसी तौर तरीके से पक्षियों को देखने में पर्यटकों को कुछ तकलीफ महसूस होती है , पर फिर भी अधिकतर पर्यटक इस का समर्थन करते हैं । शी आन शहर से आये पर्यटक ली तू ह्वी ने अपना अनुभव बताते हुए कहा

यह तौर तरीका पक्षियों के सामान्य जीवन में खलल कम करने के लिये किया गया है , ताकि वे अनुकूल शांत प्राकृतिक वातावरण में अपना वंश बढा सके । मेरा विचार है कि यह तरीका बहुत अच्छा है , सराहनीय है ।

कुछ लोगों का कहना है कि छिंगहाई झील छिंगहाई प्रांत के पर्यटन कार्य का ताज है , जबकि छिंगहाई झील का पक्षी द्वीप इस ताज पर जड़ा हुआ चमकदार मोती ही है । वर्तमान में छिंगहाई झील प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्र ने सामंजस्यपूर्ण व क्रमबद्ध संरक्षित कदमों के माध्यम से पक्षी द्वीप को पक्षी जाति व मानव जाति का समान जन्मस्थान का रूप दिया है । छिंगहाई झील प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन ब्यूरो के उप प्रधान हो यू पांग ने कहा कि पक्षी द्वीप पर यदि आप कुछ न कुछ छोड़ना चाहते हैं , तो आप केवल अपना पद चिन्ह छोड़ सकते हैं , यदि आप यहां से कुछ ले जाना चाहते हैं , तो आप मात्र अपना फोटो वापस ले जा सकते हैं । क्योंकि पक्षी द्वीप पर केवल स्वाभावित प्राकृतिक सूरत उपलब्ध है ।

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