कलेर बिहार के मोहम्मद आसिफ खान के पत्र का उद्धरण । श्री मोहम्मद आसिफ खान ने अपने पत्र में कहा कि आप के चीनी गीत संगीत के अन्तर्गत अल्प संख्यक जाति के गायिका द्वारा गाए गीत सुना । तिब्बत के पुराने गीत -- प्रेम के साथ रहे हम, सदा सुख में रहे हम , कानसू प्रांत के छाईतुंगचुका गायिका की मीठी आवाज को सुना , दूसरा गीत मेरा स्वर्ण जन्म स्थान दिल को छूलने वाला था । यी जाति का प्रेम गीत आवंग की आवाज में सुना , थुंग जाति की गायिका फूजीवांग द्वारा ऊंची आवाज में गीत काफी पसंद आया । उसी दिन पेइचिंग संगीत मंडली द्वारा बाल सदस्यों की आवाज में प्रस्तुत गीत ने तो मन को मोह लिया , बच्चों द्वारा इतनी मीठी आवाज में पहली बार गीत सुना । शाम की सभा में चीन के भ्रमण प्रोग्राम में चाओ हवा दीदी द्वारा चीनी मिट्टी के बर्तन का शहर की विस्तृत जानकारी दी गई । चीनी मिट्टी के प्राचीन भट्ठी एवं बर्तन पकाने की कला की जानकारी सचमुच चीन के कलाकारों का विश्व में अपना एक स्थान है । बर्तन तो भारत वर्ष में भी बनते हैं , लेकिन इतने सुन्दर नहीं होते । इन कलाकारों को भारत में आकर अपनी कला की जानकारी देने बुलाए , तो भारत कुछ सीख सकता है । चीनी बर्तन में गुलदस्ता , इत्रदान इत्यादि हमारे पूर्वजों द्वारा रखे आज भी हमारे घरों में वर्तमान हैं । यह अद्भुत है । ऐसी जानकारी के लिए चाओ हवा को धन्यावाद ।
औरेया उत्तर प्रदेश के काल्क प्रसाद कीर्ति प्रिय ने हमें भेजे पत्र में यह बताया है कि आप के कार्यक्रम में संगरीला का विवरण दिया गया । फांस के लेखक ने संगरीला स्थान का वर्णन इस प्रकार किया है कि यह दक्षिण पश्चीम में न्यू चांग नदी का उद्गम स्थान है । दो बर्फीले पर्वत से घिरे इस स्थान का वर्णन स्वर्ग कह कर कहा है । यहां पर जीव जंतु की 4000 प्रजातियां हैं । संगरीला को खोयी हुई भूमि भी कहा जाता है , यहां पर 36 जातियां रहती हैं । यहां पर बौद्ध मठ , ताओ मठ , मस्जिद और चर्च भी मौजूद हैं । यह आजीव भौगोलिक स्थिति में स्थित है ,यहां पर तिब्बती बौद्ध मठ भी है ।
संगरीला मठ भी है , जो छोटा पोताला महल कहा जाता है , यहां पर ऊंचाई पर अन्य मठ है , जो सीढियों पर चढ़ कर ऊंचे मठ पर पहुंच सकते हैं , जो लोगों को स्वर्ग जैसा महसूस देता है । प्रसारण अति सुन्दर ज्ञानवर्धक लगा ।
हमारा किसी विशेष कार्यक्रम को सुनने के बाद श्री काल्क प्रसाद कीर्ति ने उस का जो इतना सुन्दर वर्णन किया , उस से यह पूर्ण रूप से जाहिर है कि वे सचमुच हमेशा लगन से सी .आर .आई के हिन्दी कार्यक्रम सुनते हैं और कार्यक्रमों को कलमबद्ध कर याद करते हैं । इस मेहनत के लिए हम श्री काल्क प्रसाद कीर्ति को धन्यावाद देते हैं ।
रोहतास बिहार के मनोज कुमार गुप्ता ने हमें भेजे एक पत्र में सी .आर .आई से क्यों मुहब्बत है शीर्षक यह कविता लिखी है , जो इस प्रकार हैः
सी .आर .आई से क्यों मुहब्बत है श्रोता समझता है ,
श्रोताओं के दिल में क्या प्यार है , सी .आर .आई समझता है ।
सी .आर .आई की कहानी गूजती है , हर आंगन में ,
मां के दिल में क्या गम है बेटिया समझती है ।
सी .आर .आई में आती है रोज एक नई कहानी ,
किस तरह प्रसारित की गई उद्घोषिक समझती है ।
कौन नया होगा कहानी कौन पुराना ,
ये तो हर कहानी को सी .आर .आई समझती है ।
मुफलिसों की बस्ती से दूर क्यों उजाला है ,
झोपड़ों में घुटती हुई सिसकियां समझती है ।
अब मिलेगे वे मनोज चाहतो की मंजिल में ,
फासले बताते है दूरियां समझती है ।
मनोज कुमार गुप्ता को धन्यावाद है कि आप ने कविता लिख कर सी .आर .आई के प्रति अपनी भावना व्यक्त है , जो हमारे के लिए एक प्रेरणा भी है । तो बहनो और भाइयो , आगे देखेंगे रायबरेली उत्तर प्रदेश के योगेन्द्र कुमार का पत्र । आप ने अपने पत्र में कहा कि हमारे क्लब के सदस्यों को सी .आर .आई हिन्दी सर्विस से बहुत लगाव है । जब प्रसारण शुरू होता है ,तो जैसे एक जादू सा चलता है , जो सिर्फ सी .आर .आई चलाता है । मैं सी .आर .आई को पिछले डेढ सालों से नियमित सुनता रहा हूं । मैं अपने क्लब का अध्यक्ष हूं । सी .आर .आई के प्रोग्राम में वेबसाइट का पता कई बार बताया जाता है , लेकिन दिल्ली का पता नहीं । लगातार परिश्रम करते करते आखिर आप का पता मिला , हमारे कल्ब को आप से संपर्क कराने का श्रेय श्री अनिल कुमार द्विवेदी मित्र रेडियो श्रोता संघ सैदापुर अमेठी का है जिन्हों ने अवसर दिया आप तक पत्र पहुंचने का । उन्हें बहुत बहुत धन्यावाद ।श्रोता वाटिका की संपादक चन्द्रिमा और शाओ थांग को बहुत बहुत धन्यावाद , जिन्हों ने इतनी सारी बातें श्रोता वाटिका में छपवाई और हमारी जिज्ञासा को नया आयाम मिला । सी .आर .आई हिन्दी सर्विस से प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रम मन को छू लेने वाले हैं । सी .आर .आई से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की जितनी तारीफ की जाए कम है । क्योंकि सी .आर .आई के उद्घोषकों की आवाजें ही कुछ ऐसी है कि कार्यक्रम में रस घोल कर चार चांद लगा देती है ।

|