लेबनान के संसदीय सचिवालय ने 20 जनवरी को घोषणा की कि पूर्व योजनानुसार 21 जनवरी को आयोजित होने वाला राष्ट्रपति चुनाव 11 फरवरी तक स्थगित किया जाएगा, जो लगातार राष्ट्रपति चुनाव का तेरहवां स्थगन है। विश्लेषकों के अनुसार हालांकि राष्ट्रपति चुनाव के सवाल का समाधान मुश्किल है, लेकिन इस में फिर भी प्रगति हुई है और समाधान की दिशा में विकास होता दिखाई पड़ रहा है।
गत पच्चीस सितंबर को लेबनानी संसदीय चुनाव के आयोजन का निर्णय लिए जाने से उस के तेरहवें स्थगन तक लेबनान में राष्ट्रपति चुनाव से उत्पन्न राजनीतिक संकट लगभग चार महीनों तक चला । राष्ट्रपति चुनाव कई बार स्थगित किए जाने से लोगों को ऐसा महसूस हुआ कि राजनीतिक संकट के समाधान की कोशिश में कोई प्रगति नहीं हो रही है। लेकिन इधर के कुछ महीनों में राष्ट्रपति चुनाव में कुछ प्रगति हुई देखी जा सकती है।
पहली बात यह है कि राष्ट्रपति की उम्मीदवारी का सवाल दूर किया जा चुका है। गत दिसंबर से पहले इस सवाल पर लेबनानी संसद में बहुमत और विरोधी पक्ष के बीच सहमति नहीं थी। गत दिसंबर के शुरू में दोनों पक्षों ने अंततः लेबनानी सेना के प्रधान कमांडर श्री मिशेल सुलेमान को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना तय किया। उन के नेतृत्व वाली सेना ने वर्ष 2006 में लेबनान-इज़राइल मुठभेड़ और वर्ष 2007 में फतह एल इस्लाम के सशस्त्र आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध में सराहनीय कार्य किया था और लेबनान में हुए सिलसिलेवार राजनीतिक हमलों में निष्पक्ष रुख अपनाया था। इस प्रकार उन के नेतृत्व वाली सेना को दोनों पक्षों का विश्वास हासिल है।
दूसरे, लेबनान में राजनीतिक संकट की मध्यस्थता में परिवर्तन आया है। पिछले साल के अंत से पहले लेबनान सरकार व संसद में बहुमत के पक्षधर अमरीका और फ्रांस ने राजनीतिक संकट की मध्यस्थता की थी। फ्रांसीसी विदेश मंत्री श्री कोछनर अनेक बार और निकट पूर्व मामलात के अमरीकी सहायक विदेश मंत्री श्री वेल्छ दो बार मध्यस्थता के लिए लेबनान गए थे। लेकिन उन की मध्यस्थता में ठोस प्रगति नहीं हुई, जिससे अमरीका और फ्रांस ने धैर्य खोकर विपक्ष के पक्षधर सीरिया को लक्ष्य बनाया। इस स्थिति में अरब लीग ने राजनीतिक संकट में मध्यस्थता शुरू की और 5 जनवरी को विदेश मंत्री सम्मेलन बुलाकर लेबनान में राजनीतिक संकट के समाधान के बारे में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें लेबनान के संबंधित पक्षों से संविधान के अनुसार श्री सुलेमान को नए राष्ट्रपति के चुनाव में उम्मीदवार बनाने, जातीय संयुक्त सरकार का शीघ्र ही गठन करने और बाद में चुनाव के बारे में नया विधेयक बनाने की मांग की। सीरिया, अमरीका और फ्रांस समेत संबंधित पक्षों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।
तीसरे, अरब लीग द्वारा मध्यस्थता में नेतृत्व किए जाने के बाद महा सचिव श्री मुस्सा ने एक हफ्ते में दो बार बेरूत पहुंचकर मध्यस्थता की कार्यवाही में भाग लिया, जिससे लेबनानी संसद के बहुमत के नेता श्री साद अल हारीरी और ईसाई विरोधी पक्ष के नेता श्री ओअन के बीच बातचीत हुई। श्री मुस्सा ने कहा कि दोनों पक्षों ने लेबनान के राष्ट्रपति चुनाव के बारे में कुछ मुद्दों पर सहमति प्राप्त की है। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि अन्य अनसुलझे सवालों को दूर करने के लिए लगातार संपर्क बनाए रखा जाएगा।
इस के अलावा, अरब लीग ने लेबनान की राजनीतिक स्थिति पर प्रभाव डालने वाली बाहरी शक्तियों के साथ भी संपर्क बनाया हुआ है। श्री मुस्सा ने 19 जनवरी को दमिश्क पहुंचकर सीरिया के राष्ट्रपति श्री बाशार के साथ लेबनान के राजनीतिक संकट के बारे में विचार-विमर्श किया। बातचीत के बाद श्री मुस्सा ने कहा कि बातचीत सकारात्मक रही है।
वर्तमान की स्थिति को देखते हुए लेबनान के राजनीतिक संकट के समाधान में सकारात्मक स्थिति बनी है। लेकिन अब सवाल यह है कि यह स्थिति लगातार बनी रहे और कदम ब कदम नई प्रगति होती रहे। विश्लेषकों के अनुसार वर्तमान में सब से बड़ी कठिनाई है कि अरब लीग के प्रस्ताव में उल्लिखित जातीय संयुक्त सरकार का गठन कैसे किया जाए। लेबनानी संसद के अध्यक्ष, विपक्षी दल के एक नेता श्री बेरी ने 19 जनवरी को आशा प्रकट की कि अरब लीग एक और स्पष्ट प्रस्ताव पारित कर सकेगा।
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