गायिका मंग चिंग हुए चीन के सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश में पली-बढ़ी हैं। अपना सपना पूरा करने के लिए उन्हें घर से बाहर जाना पड़ा। घर से बाहर जा कर वह हमेशा अपने घर को याद करती रही हैं।
उन्होंने कहा कि सिं-च्यांग स्वायत्त प्रदेश एक सुंदर जगह है, अब मैं इस जगह में नहीं रहती हूं, लेकिन उस की याद हमेशा मेरे मन में बनी हुई है, क्योंकि वह मेरी जन्मभूमि है और मेरे सारे रिश्तेदार वहां हैं। और मेरे बचपन की सारी यादें वहां से जुड़ी हुई हैं। 2004 में उस ने अपनी जन्मभूमि की याद में एक एल्बम जारी की, जिसका शीर्षक है—लो पु फो। गायिका मंग चिंग हुए ने इस एल्बम में अपनी जन्मभूमि के प्रति अपने प्यार की अभिव्यक्ति की है।
गीत 1 खाश का वसंत
दोस्तो, अब सुनिए एक गीत, जिसका शीर्षक है—खाश का वसंत। गीत के बोल हैं—थ्यन पहाड़ के आसपास की जगहों में सिर्फ खाश का वसंत सबसे सुंदर है। हज़ारों पहाड़ व नदियां देखने के बाद भी यही लगता है कि खाश का वसंत ही सबसे अधिक सुंदर है। मेरे पूरे जीवन में खाश के वसंत की सबसे गहरी याद है। मेरी जन्मभूमि हमेशा रात को मेरी यादों से निकल कर मेरे सामने आ खड़ी होती है।
खाश दक्षिण-पश्चिम चीन के सीमांत में एक कस्बा है। गायिका मंग चिंग हुए बचपन से यहां रहती आई हैं। यहां के सब लोगों को नाचने-गाने में रुचि है। उन्होंने कहा कि बचपन में उस को संगीत के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी लेकिन खाश में दिन ब दिन रंग-बिरंगे नाच-गान का माहौल बनता गया है और आज वहां नाच-गान का बड़ा खुश माहौल है। इस माहौल ने उस के गायिका के जीवन के लिए एक आधार का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरा बचपन खाश में ही बीता है। सिंच्यांग वेवुर स्वायत्त जाति के लोकसंगीत का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वेवुर जाति के लोग ढोल बजाने में बड़े निपुण हैं और लड़कियां नाचने में बहुत माहिर हैं। सिंच्यांग के इस गीत-संगीत और नृत्य की संस्कृति की मेरे मन पर गहरी छाप पड़ी है।
गीत 2 लो अच़ लान
दोस्तो, अब सुनिए गायिका मंग चिंग हुए द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है—लो अच़ लान। लो अच़ लान एक सिंच्यांग जाति की लड़की का नाम है। इस गीत में सिंच्यांग के एक लड़के का लो अच़ लान के साथ हुए प्रेम का वर्णन किया गया है। गीत के बोल हैं—दो तार की हल्की आवाज़ में मैं लो अच़ लान का नाम पुकारता हूं। मैं तुम्हारे सुंदर गीत नहीं सुन सकता हूं। दो तार की आवाज़ में बड़ा अकेलापन है।
गायिका बनने की इच्छा होते हुए भी मंग चिंग हुए ने सेना में चिकित्सक का काम करना शुरु किया। काम करने के साथ-साथ वर्ष 1988 में सिंच्यांग कला विद्यालय में संगीत की शिक्षा हासिल करने के लिए उसने दाखिला लिया। दो साल के बाद उसने चिकित्सा का काम छोड़ कर शांगहाई संगीत विद्यालय में विधिवत संगीत की शिक्षा हासिल करने के लिए प्रवेश-परीक्षा दी। परीक्षा के दौरान उस ने अध्यापकों से कहा कि मैं अपने संगीत के लिए सब कुछ छोड़ने को तैयार हूं क्योंकि मुझे संगीत बहुत पसंद है।
शांगहाई संगीत विद्यालय में मंग चिंग हुए ने बड़ी मेहनत से अध्ययन किया। रोज़ाना वह सुबह-सुबह उठकर गाने का अभ्यास करतीं और रात को सबसे वाद में सोने वाली लड़की भी वही होती। विश्वविद्यालय के चार सालों में हर साल आनेवाली गर्मी-सर्दी की छुट्टियां भी उसने संगीत सीखने और रियाज़ करने में ही बिताईं। इस दौरान जब-जब उसे सिंच्यांग वापिस जाने का अवसर मिला है तब-तब उसने वहां लोकगीत और लोकसंगीत सीखा है। उसने कहा कि सिंच्यांग के लोकगीत अच्छी तरह गाने के लिए वहां की संस्कृति और जीवन की गहरी समझ हासिल करना ज़रूरी है।
गीत 3 छोची
दोस्तो, अब सुनिए अगला गीत, जिसका शीर्षक है—छोची। छोची प्राचीन समय में पश्चिमी चीन में एक राज्य का नाम था। आजकल यह जगह चीन के सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश में है। वहां बुद्धधर्म का लंबा इतिहास रहा है। इस गीत को सुनते हुए उसी प्राचीन छोची शहर का जादू और वातावरण मानो अतीत से निकल कर आंखों के सामने सजीव हो उठता है।
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