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(GMT+08:00) 2008-01-17 11:05:51    
श्रीलंका में फायरबंदी समझौता भंग होने के बाद पुनः हिंसा उभरा

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श्रीलंका सरकार द्वारा एकतरफा तौर पर फायरबंदी समझौते से हटने का फैसला 16 तारीख को औपचारिक रूप से प्रभावित होने के बाद उसी दिन सुबह देश की राजधानी कोलंबो के दक्षिण पूर्व में 240 किलोमीटर दूर स्थित मोनारागला क्षेत्र में एक बस में बम का विस्फोट हुआ , जिस से 24 लोग मारे गए और 66 घायल हो गए है । इस के अलावा इसी क्षेत्र में एक सैनिक गाड़ी पर भी विस्फोट का हमला किया गया , जिस से तीन सैनिक जख्म हुए । लोकमत के अनुसार ये दो बम विस्फोट इस बात का द्योतक है कि श्रीलंका में मुश्किल से छै सालों तक बनी रही फायरबंदी की स्थिति अब खत्म हो गयी है और हिंसा का नया दौर उभरने की आशंका पैदा हुई है । 16 तारीख को श्रीलंका सरकार और सरकार विरेधी सशस्त्र शक्ति लिट्टे के बीच फरवरी 2002 में नार्वे की मध्यस्थता में संपन्न फायरबंदी समझौता भंग हो गया । इस समझौते ने कभी श्रीलंका के लिए शांति की किरण प्रज्जवलित की थी । लेकिन दोनों पक्षों द्वारा लगातार आठ दौर की प्रत्यक्ष वार्ताएं की जाने के बावजूद सरकार और लिट्टे के बीच मुठभेड़ों के राजनीतिक समाधान के बारे में कोई प्रस्ताव संपन्न नहीं हो पाया। 2003 के अप्रैल में लिट्टे ने वार्ता से हट जाने की घोषणा की थी , जिस से शांति प्रक्रिया गतिरोध में फंस पड़ी । 2005 के अंत में माहिनदा राजापेक्षस के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों पक्षों में मुठभेड़ ने फिर तीव्र रूप ले लिया और फायरबंदी समझौता नाम मात्र का रह गया । इस महीने की दूसरी तारीख को श्रीलंका सरकार ने फायरबंदी समझौते से हटने की घोषणा की , सरकार का कहना है कि फायरबंदी की अवधि में लिट्टे ने अनेक सरकारी अधिकारियों की हत्या की है और आम नागरिकों पर बार बार आतंकी हमले किए , इस से फायरबंदी समझौता कोरा कागज रह गया , इसलिए उसे फायरबंदी समझौते से हट जाना पड़ा । फायरबंदी समझौते को बचाने तथा श्रीलंका की शांति प्रक्रिया आगे जारी रखरने के लिए संबंधित पक्षों ने श्रीलंका सरकार द्वारा समझौते से हटने की घोषणा की जाने के बाद हर संभव कोशिश की । लिट्टे ने भी 10 तारीख को वक्तव्य जारी कर कहा कि वह फायरबंदी समझौते की सभी धाराओं का पालन करता रहेगा और शत प्रतिशत समझौते का सम्मान करेगा । उस ने नार्वे से शांति प्रक्रिया के लिए मध्यस्थता जारी रखने की भी मांग की । नार्वे के शांति दूत श्री एरिक सोलहेम ने कहा कि नार्वे श्रीलंका की शांति प्रक्रिया का मध्यस्थता कर्ता बने रहने को तैयार है । नार्वे , जापान ,अमरीका और यूरोपीय संघ से गठित श्रीलंका शांति प्रक्रिया के सह अध्यक्ष ने 12 तारीख की रात वक्तव्य जारी कर कहा कि सैनिक कार्यवाही से श्रीलंका की वर्तमान जातीय मुठभेड़ों को दूर नहीं किया जा सकता । उन्हों ने दोहराया कि वे वार्ता के जरिए समस्या के समाधान का समर्थन करेंगे । संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त श्री लोइस . अरबोर ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी प्रकार की शत्रुता और तनावपूर्ण स्थिति के विस्तार से श्रीलंका के मानवाधिकार पर विनाशकारी असर पड़ेगा । किन्तु लिट्टे के वायदे तथा संबंधित पक्षों के प्रयासों ने सैनिक तौर पर लिट्टे को चकनाचूर करने के श्रीलंका सरकार के संकल्प को बदला । श्रीलंका सरकार ने कहा कि यद्यपि वह फायरबंदी समझौते से हट गयी है , तद्यापि वह राजनीतिक तरीके से जातीय सवाल के समाधान में जुटे रहेगी और उस की लिट्टे को अवैध घोषित करने की योजना भी नहीं है । दूसरी तरफ सरकार सैनिक क्षेत्र में लिट्टे को परास्त करके राजनीतिक समाधान के लिए रास्ता प्रशस्त करने पर कायम रही है । सरकारी थल सेना के कमांडर श्री साराथ फोनसेका ने 11 तारीख को कहा कि राजनीतिक समाधान केवल लिट्टे द्वारा हथियार डाले जाने के बाद संभव हो सकेगी। उन्हों ने कहा कि वे इस साल के अंत से पहले सैनिक तौर पर लिट्टे को पराजित करने पर विश्वस्त हैं । इसी बीच श्रीलंका और लिट्टे के बीच फौजी मुठभेड़ें बढ़ती जा रही हैं , पिछले दसेक दिनों में ही 400 से अधिक लिट्टे सदस्य और 20 से ज्यादा सरकारी सेना के जवान विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए । लिट्टे के एक सैनिक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें पता चला है कि सरकारी सेना लिट्टे के उत्तरी क्षेत्र में स्थित ठिकाने को घेर लेने में तेजी ला रही है , अनुमान हो सकता है कि भविष्य में और अधिक मुठभेड़ें उत्पन्न होंगी। विश्लेषकों ने कहा कि अघोषित गृहयुद्ध इस देश में चुपचाप से चलने लगा है । वर्तमान में यह साफ नहीं है कि सरकारी सेना लिट्टे के खिलाफ बड़े पैमाने वाला सैनिक मुहिम चलाएगी कि नहीं । लेकिन लिट्टे ने दावा किया है कि यदि सरकारी सेना बड़े पैमाने वाला सैनिक अभियान करेगी , तो लिट्टे भी पीछे नहीं हटेगा । यह अंदाजा किया जा सकता है कि जब एक बार युद्ध छिड़ा , तो दोनों पक्षों को भारी कीमत चुकाना पड़ेगा और श्रीलंका के आम लोगों का जीवन और दूभर हो जाएगा।