सन् 1983 में ल्यूश्याओछिंग ने《मेरा पथ》नाम की आत्मकथा लिखकर प्रकाशित करवायी। इस में उन्होंने अपनी आपबीती विशेषकर फिल्म जगत में अपने प्रयासों का विवरण दिया है। लेकिन आत्म प्रयासों से ही आत्म मूल्यों की प्राप्ति का उन का विचार तत्काल के बहुत से चीनियों को रास नहीं आया। इसलिए अपनी इस आत्मकथा से ल्यू श्याओछिंग लोक टिप्पणियों के भंवर में फंस गयीं। इस पर उन्होंने कहा :
"मैं ने अपनी इस पुस्तक में पाठकों को अपने यथार्थ जीवन और स्वभाव के बारे में बताया हैं। मैं यह कहना चाहती थी कि मैं एक संपूर्ण व्यक्ति नहीं हूं। अन्य लोगों की तरह मुझ में भी कमियां हैं। लेकिन मुझ में जो कमियां और खूबियां हैं,वे मीडिया द्वारा प्रचारित कमियों और खूबियों जैसी नहीं हैं। मीडिया ने सब कुछ बढा-चढाकर लिखा है।"
ल्यू श्याओछिंग ने आत्मकथा में लिखा है कि व्यक्ति बनना मुश्किल है। महिलाओं के लिए यह ज्यादा मुश्किल है और नामी महिलाओं के लिए यह और भी ज्यादा मुश्किल है। यह वाक्य उन का प्रतीक वाक्य बन गया और कामकाजी शहरी स्त्रियों की जुबान पर चढ़ा रहा।
पिछली सदी के 80 वाले दशक में बहुत से चीनी लोग राष्ट्रीय आर्थिक सुधारों से उत्साहित होकर अपने पुराने विचारों और जीवन से मुक्त हो कर कुछ नया करना चाहते थे। ल्यू श्याओछिंग भी इस का अपवाद नहीं थी।
उन्होंने कहा कि उस समय वे धन-दौलत के प्रति लालायित थीं। ज्यादा धन कमाने के लिए वे फिल्म शुटिंग के अवकाश के समय विभिन्न प्रकार के सासंकृतिक अभिनय भी करती थीं। ऐसा भी हुआ कि एक ही दिन में उन्होंने 8 शो में हिस्सा लिया। 90 वाले दशक से उन का ध्यान फिल्म जगत से हटकर व्यापार पर केंद्रित हो गया। उन्होंने आवासीय निर्माण,टी.वी धारावाहिकों की शूटिंग और लेख-पत्रों की नीलामी से जुड़ी बीसेक कंपनियां चलायीं। ऐसे में उन्होंने अकूत धन बटोरा और लोगों ने उन्हें चीन की सब से धनी या कहें कि करोड़ों चीनी य्वान प्राप्त बहन की संज्ञा दी,तो भी उन के पूंजी-निवेश से बनीं कई टी.वी धारावाहिक फिल्में ज्यादा कामयाब साबित नहीं हुईं।
ल्यू श्याओछिंग के लिए व्यापार में हासिल उपलब्धियां लम्बे समय तक टिक नहीं सकीं। पूंजी-निवेश में बार-बार हुई गलतियों से आखिरकार उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ा। यहां तक कि वे बहुत ज्यादा कर्ज में डूब गईं । वर्ष 2002 में उन्हें कर-चोरी के मामले में जेल भेजा गया। 400 से अधिक दिनों तक जेल में रहने के बाद जब उन्हें जमानत पर रिहा किया गया,तब उन पर लगभग 1 करोड़ य्वान का कर चुकाने का बोझ था।
इस बोझ से भी ल्यू श्याओछिंग ने हार नहीं मानी ।वे जल्द ही हिम्मत से नए जीवन में सक्रिय होने लगीं और ढृढ़ मनोबल से अभिनय मंच पर लौट आयी। 2004 में उन्होंने《चिनताबान की अंतिम रात 》नामक एक प्रसिद्ध गीतनाटक में अपने मंजे हुए प्रदर्शन से फिर से चीन भर में धूम मचा दी । इस गीतनाटक में 50 साल पार कर चुकीं ल्यू श्याओछिंग ने 20 से 40 साल तक की उम्र की एक नर्तकी का रोल किया। इस में उन्होंने लम्बे समय तक गीत गाने के साथ-साथ विभिन्न शैलियों के नृत्य भी किए। प्रदर्शन का इस तरह का उच्च स्तर प्राप्त करना आम अभिनेत्रियों की पहुंच से दूर है। पर ल्यू श्याओछिंग ने ऐसा करने में सफलता पाकर एक बार फिर चीनी समाज की मान्यता हासिल की। इस के बाद उन्होंने अनेक टी.वी धारावाहिकों में हीरोइन की भूमिका अदा कीं। उन में से कुछ धारावाहिक चीन में हिट रहे।
जीवन में इतने उतार-चढाव का अनुभव करने के बाद आज ल्यू श्याओछिंग अक्सर कहती हैं फिल्मों का शुक्रिया। जबकि वह "एक अभिनेत्री के लिए कुछ करना मुश्किल है "इस वाक्य का सच्चा अर्थ भी गहराई से समझ गयी हैं। उन का कहना है:
"एक अभिनेत्री के लिए कुछ करना सचमुच मुश्किल है। स्टार बनने के बाद उन्हें तरह तरह की अप्रत्याशित स्थितियों का सामना करना पड़ता है। ख्याति सकारात्मक असर के साथ नकारात्मक असर भी लाती है। क्या खुशियों में रंगबिरंगे फूल हैं? हैं। क्यां तालियां भी हैं? जरूर हैं। लेकिन साल भर में केवल कई बार। अधिकत्तर समय में वह एकदम अकेली रहती हैं और गलतफहमी व नियंत्रण के घेरे में पड़ी हुई हैं। इस स्थिति में बसर करने के लिए असाधारण मनोशक्ति की जरूरत है।"
अभिनय के जरिए ल्यू श्याओछिंग ने फिर से अपने जीवन और कार्य की दिशा प्राप्त की है, लेकिन यह भी मानना पडेगा कि आज चीनी फिल्में उन की ही नहीं रह गयी हैं। सिनेमा-घर हमेशा से युवाओं के ही होते हैं। वे सुन्दर व जवान फिल्म स्टारों एवं नए चेहरों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं और सिर्फ उन्हें ही याद करते हैं। फिल्मी जगत में ल्यू श्याओछिंग के युग का पटाक्षेप हो गया है, पर उन के अनोखे अनुभवों में पिछले 20 साल से अधिक समय का चीनी फिल्मी जगत का कायापटल प्रतिबंबित हुआ है। ठीक जैसा खुद उन का कहना है कि उन की कहानी उन की किसी भी फिल्म से कहीं ज्यादा आकर्षक है। जैसे भी हो ल्यू श्याओछिंग का सौभाग्य हैं,क्योंकि उन के साथ कम से कम ऐसा हुआ है कि चीन के ही नहीं,बल्कि विदेशों के दर्शकों ने भी बड़ी संख्या में उन्हें मान्यता दी।
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