भारत के प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह 13 से 15 जनवरी तक चीन की औपचारिक यात्रा करेंगे। यात्रा से पहले उन्होंने चीनी संवाददाताओं के साथ बातचीत करते हुए कहा कि चीन गहन और अर्थवान परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है । उन की आशा है कि वे अपनी यात्रा के दौरान चीनी नेताओं और चीनी जनता द्वारा प्राप्त उपलब्धियों को देख सकेंगे और साथ ही दोनों देशों के संबंधों के विकास में अधिक जीवन शक्ति का संचार कर सकेंगे ।
गौरतलब है कि श्री मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहली चीन यात्रा है । और उन की यह यात्रा,चीनी प्रधानमंत्री श्री वन च्या पाओ तथा चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ की भारत यात्रा का जवाब भी है ।
अपनी चीन-यात्रा की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि चीनी जनता और भारतीय जनता के लिए फायदेमंद नयी शैली वाले संबंधों की स्थापना के लिए,वे खुले तौर पर चीनी नेताओं के साथ सभी सवालों पर विचारों का आदान-प्रदान करने को तैयार हैं ।
श्री सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि जनवरी में होने वाली यह यात्रा उन की पहली चीन-यात्रा नहीं है । दस साल पहले उन्हें एक सभा में भाग लेने के लिए चीनी शहर शांघाई जाने का मौका मिला था , तब इस शहर के आश्चर्यजनक विकास तथा चीनी मजदूरों की काम भावना ने उन पर गहरी छाप छोड़ी थी। श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान में भारत और चीन के सामने मिलती-जुलती सामाजिक और आर्थिक समस्याएं हैं । दोनों को तकनीकी विकास , गरीबी-उन्मूलन , कृषि और सामाजिक सवाल आदि का सामना करना पड़ रहा है । श्री सिंह ने कहा कि वे चीनी नेताओं के साथ समान दिलचस्पी वाले सवालों पर विचार-विमर्श करने की प्रतीक्षा में हैं । भारत चीन से आधुनिक निर्माण का अनुभव हासिल करना चाहता है , और साथ ही अपने अनुभवों को चीन के साथ साझा करने को भी तैयार है । इस साल पेइचिंग ऑलंपियाड का आयोजन किया जाएगा , उन्हें पेइचिंग में ऑलंपिक की तैयारियों से संबंधित जानकारियों में भी काफी रुचि है ।
श्री सिंह ने संवाददाताओं को जोर देकर बताया कि इधर के सालों में भारत और चीन के संबंधों में निरंतर सुधार हो रहा है । राजनीतिक पहलु में दोनों देशों ने शांति व समृद्धि उन्मुख रणनीतिक साझेदार संबंध कायम किए हैं , और सीमावर्ती सवाल पर राजनीतिक मार्गनिर्देशक समझौता भी संपन्न किया है। आर्थिक जगत में दोनों देशों की वार्षिक व्यापार रकम गत वर्ष 35 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई है । इस के अलावा पर्यटन , संस्कृति और विज्ञान व तकनीक के क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच लाभदायक सहयोग चल रहा है ।
यात्रा में संभाव्य प्रगति की चर्चा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि भारत का एक औद्योगिक व व्यापारिक प्रतिनिधि मंडल भी वाणिज्यिक मौके तलाशने के लिए उन के साथ पेइचिंग जाएगा ।
भारत और चीन मिल कर विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में साझेदार संबंधों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे और नये सहयोगी मुद्दे भी कायम करेंगे । भारत की आशा है कि दोनों देशों के बीच भू-विज्ञान , भू-संसाधन प्रबंधन , रेल मार्ग , परंपरागत चिकित्सा पद्धति , भू-संपत्ति निर्माण तथा दोनों देशों की सरकारों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाया जा सकेगा ।
श्री सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंधों का सिर्फ द्विपक्षीय नहीं, विश्वव्यापी महत्व है । विश्व में सब से बड़े दो विकासमान देश होने के नाते , भारत और चीन का तेज़ विकास एशिया और सारी दुनिया के विकास के अनुकूल है । विश्वव्यापी सवालों का मुकाबले करने में दोनों देशों के समान हित मौजूद हैं । इसलिए भारत और चीन को अनेक क्षेत्रों में अधिक सहयोग करना चाहिए , और अपने-अपने आर्थिक विकास का रूझान बनाए रखना चाहिए । साथ ही भारत और चीन को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भी भूमिका अदा करनी चाहिए , एशिया व दुनिया की शांति व समृद्धि के लिए योगदान देना चाहिये , और विकासमान देशों के हितों के लिए समान कोशिश करनी चाहिए ।
श्री सिंह ने इस बात की चर्चा भी की कि हाल में इंडोनेशिया के बाली द्वीप में आयोजित विश्व मौसम सम्मेलन में भारत और चीन ने विकासशील देशों के हितों की रक्षा में समान प्रयास किया है। भू-मंडलीकरण , अंतर्राष्ट्रीय व्यापार , आतंकवाद , ऊर्जा सुरक्षा तथा विपदा-प्रबंधन आदि विश्वव्यापी चुनौतियों के प्रति भारत और चीन के मिलते-जुलते विचार हैं । उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और चीन को इन सवालों पर व्यापक संपर्क करना चाहिए , ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय भारत और चीन की आवाज़ें सुन सके । अंत में भारत और चीन की पुरजोर कोशिशों से दोनों जनता के दिलों में मैत्री और सद्भावना की जड़ जमानी ही चाहिए ।
|