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(GMT+08:00) 2008-01-11 15:35:30    
चीनी किसान नाटककार ह छिंग-ख्वे की कहानी

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श्री ह छिंग-ख्वे ने दो साल पहले "ल्यू लाओ-कन " नामक एक टी.वी पटकथा लिखी,जिस में पूर्वोत्तर-चीन के एक गांव के नेता ल्यू लाओ-कन द्वारा स्थानीय किसानों का नेतृत्व करते हुए रेस्तरां खोलकर धन कमाने के अनुभवों का चित्रण किया गया है। इस कथा पर दो धारावाहिक बने,जो देश के टी.वी दर्शकों में बेहद लोकप्रिय रहे। खुद श्री ह छिंग-ख्वे द्वारा निर्देशित इन दो धारावाहिकों में "अररनच्वान " अभिनय-कला का खूब प्रयोग किया गया।

श्री ह छिंग-ख्वे ने ये दो धारावाहिक इसलिए बनाए ,क्योंकि वे किसानों तक कृषि के प्रति आधुनिक दृष्टिकोण पहुंचाना चाहते थे। उन के विचार में चीनी ग्राणीण-क्षेत्र के पिछड़े होने की जड़ है--किसानों का पिछड़ा हुआ दृष्टिकोण जो निरंतर नये बदलते युग के साथ कदम से कदम नहीं मिला पा रहा। इस स्थिति को बदलने के लिए कृषि के प्रति किसानों के पुराने पड़ चुके दृष्टिकोण को दूर किया जाना ज़रुरी है।श्री ह छिंग-ख्वे का कहना है :

"धारावाहिक बनाने का मेरा उद्देश्य कृषि के प्रति आधुनिक दृष्टिकोण का प्रचार-प्रसार करना है। मैं चाहता हूं कि अधिक से अधिक किसान धारावाहिकों के माध्यम से इस दृष्टिकोण को स्वीकार करें। पहले धारावाहिक के जरिए मैं लोगों को यह बताना चाहता हूं कि जो लोग गरीब हैं,उन्हें गरीबी मिटाने की कोशिश करनी चाहिए।दूसरे धारावाहिक में मैंने ग्रामीण कारोबार के संचालन और प्रबंधन की व्याख्या करने का प्रयास किया है,ताकि किसानों को कृषि के प्रति आधुनिक दृष्टिकोण समझ में आ सके। आशा है कि मेरी कृतियों की समाज में सकारात्मक भूमिका हो सकेगी। "

श्री ह छिंग-ख्वे के अनुसार उन्हें ग्रामीण कारोबार के संचालन और प्रबंधन की ज्यादा जानकारी नहीं हैं। लेकिन वे सीखने के शौकीन हैं। "ल्यू लाओ-कन " पटकथा लिखते समय वे केंद्रीय टी.वी स्टेशन के न्यूज़ चैनल पर आंखें गड़ाते हुए कृषि के प्रति सरकारी नीतियों से जुड़े सभी बातें नोट कर लिया करते थे।उन्होंने दक्षिण चीन के एक बड़े शहर में काम करने वाले अपने बड़े बेटे से ग्रामीण कारोबार के संचालन व प्रबंधन के बारे में अनेक पुस्तकें खरीदकर उन तक पहुंचाने का अनुरोध भी किया।संबंधित सामग्री के गहन अध्ययन के आधार पर उन्होंने "ल्यू लाओ-कन " पथकथा लिखने का काम पूरा किया।

इस के बाद उन्होंने "पवित्र जल वाली झील के किनारे " नामक अन्य एक धारावाहिक बनाया।इस धारावाहिक में खेतीयोग्य जमीन की रक्षा की पृष्ठभूमि में किसानों का सम्मान करने और अनाज की सुरक्षा के प्रति लोगों में जागृति लाने की आवश्यकता जतायी गयी है।

श्री ह छिंग-ख्वे लघु-नाटक लिखने के प्रति भी गंभीर रवैया अपनाते हैं। इधर के कुछ वर्षों में चीनी पारंपरिक वसंतोत्सव की पूर्ववेला में सी.सी.टी.वी. पर प्रसारित मिलन-समारोह के विशेष कार्यक्रमों में प्रस्तुत उन की कृतियों की व्यापक प्रशंसा की गई है।इन कृतियों में से "सच्ची बात करें "औऱ "बैसाखी की बिक्री " आधुनिक लघु नाटककथाओं का आदर्श मानी गयी हैं।इस पर उन्होंने कहा :

"लघु नाटक की भूमिका और प्रभाव लोगों के लिए वैसे ही है,जैसे वसंत-त्यौहार मनाने के लिए परोसे जाने वाले समौसे ।ये लघुनाटक लोगों के लिए मानसिक आहार है,जिन का सेवन करके लोग साल भर की थकान और तनाव से मुक्त हो जाते हैं। हंसी-मजाक के माहौल में लघु-नाटक चार चांद लगा देते हैं। "

एक से बढकर एक श्रेष्ठ कृतियों के चलते श्री ह छिंग-ख्वे की प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि ऊंची होती गयी है।लेकिन गत अगस्त में उन्हें एक अविश्वसनयी भयानक दुर्भाग्य का सामना करना पड़ा।सिर्फ 10 दिनों के अन्दर उन के बेटे की कार-दुर्घटना में मौत हो गयी,फिर पत्नी का दिल के दौरे से देहांत हो गया।श्री ह छिंगख्वे अचानक दुख के सागर में डूब गए।पर उन के आसपास के बहुत से लोगों ने उन के प्रति बड़ी सहानुभूति व्यक्त की और उन की जितनी हो सकती थी,मदद की।लोगों की मैत्रीपूर्ण भावना से वे समझ गए हैं कि उन्होंने एक बड़ा छायादार पेड़ खो दिया है, लेकिन बदले में उन्हें एक जंगल मिला है। उन का कहना है :

"मेरे सब से प्यारे रिश्तेदारों की मौत के बाद मैं ने सोचा था कि मैं नयी कृतियां रचने में बिलकुल बेकार हो जाऊंगा।पर इतने लोगों ने मुझे निस्वार्थ सहायता दी,जिस से मुझे बड़ी शक्ति मिली। धीरे-धीरे मेरा विचार बदल गया और मै ने ठान ली कि और अधिक श्रेष्ठ कृतियां रचकर लोगों का शुक्रिया अदा करूंगा।"

श्री ह छिंग-ख्वे किसानों के प्रति गहन भावना रखते हैं और उन के प्रति जवाबदेह भी हैं।उन का कहना है कि उन के लिए दुख से निजात पाने का सब से अच्छा उपाय किसानों के लिए कृतियां रचना और दर्शकों तक लगातार हंसी पहुंचाना है। अपनी नयी योजनानुसार वे जल्द ही ग्रामीण स्थिति पर 56 कड़ियों वाले एक टी.वी धारावाहिक के लिए कथा लिखना शुरू करेंगे। हमें विश्वास है कि उन की नयी कृति भी लोगों को पसंद आएगी।