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(GMT+08:00) 2008-01-07 08:51:10    
चीन में शादियां,चीनी मुद्रा,तिब्बतियों की विवाह-रीति

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आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी.डी साहिबा, संजय केशरी, सीताराम केशरी, खरगोन उत्तर प्रदेश के पुष्पेंद्र शवल,उन्दु शवल,प्रवीण श्रीमाली,योगेंद्र देवेन्द्र और सोनु,मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती,उषा देवी भारती एवं दीपाजंली के पत्र शामिल हैं।

खरगोन उत्तर प्रदेश के पुष्पेंद्र शवल,उन्दु शवल,प्रवीण श्रीमाली,योगेंद्र देवेन्द्र और सोनु का सवाल है कि चीन में शादियां कैसे होती हैं और क्या चीन में भी प्रेम-विवाह होता है?

पुराने जमाने में चीन में शादी मां-बाप की आज्ञा पर होती थी.दुल्हे-दुल्हन को जोडने का काम बरेखिया करते थे.दुल्हे-दुल्हन को जोड़ने में ज्योतिषी की राय का भारी महत्व था.शादी से पूर्व दुल्हा और दुल्हन एक दूसरे से बिल्कुल अपरिचित होते थे.भारत की तरह मंगनी निश्चित होने के बाद लड़की के मां-बाप लड़के के मां-बाप को अपनी संपत्ति, क्षमता के अनुसार दहेज भिजवाते थे.दहेज में रोजमर्रा के जीवन का साजोसामान,विशेषकर रूईदार व रेशमी कपड़े,आभूषण और मेज-कुर्सी आदि शामिल रहते थे.शादी समारोह धूम-धाम से चलता था और इस में मेहमानों को आमंत्रित किया जाता था,भोज का प्रावधान भी रहता था.शादी के तीसरे दिन दुल्हन दुल्हे के साथ ससुराल जाती थी.इस तरह शादी की यह रस्म पूरी होती थी.

वर्तमान काल में चीन के समाज में प्रेम-विवाह प्रचलित है.यदि पुराने जमाने के बरेखिया अब भी जीवित हैं,तो वे बेरोजगार होंगे.शहर में दहेज की बात नहीं रही,ग्रामीण इलाके में तो भारत के उल्टे लड़के के परिवार द्वारा लड़की को दहेज दिया जाता है,उस से लिया नहीं जाता.विवाह की खुशियां मनाने के लिए दावत जरुर दी जाती है, रेस्तरां में या घर पर.दुर्लभ क्षणों को याद रखने की खातिर विशिष्ट फोटो-एल्बम बनायी जाती हैं,बहुत से नव दंपति हनीमून मनाने के लिए विदेश भी जाने लगे हैं.

कोआथ बिहार सुनील केशरी,डी डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,खुशबू केशरी बवीता केशरी,प्रियंका केशरी और एस.के.जिंदादिल जानना चाहते हैं कि चीन की मुद्रा का क्या नाम है?

दोस्तो,चीनी मुद्रा का नाम है रन मिन बी,जो चीनी जन बैंक द्वारा जारी की जाती है और थाईवान को छोड देश के सभी क्षेत्रों में प्रचलित है.

पहली दिसम्बर 1948 को उत्तरी चीन की जन सरकार ने घोषणा की कि 3 स्थानीय बैकों से चीनी जन बैंक गठित किया जाएगा और उस का मुख्यालय शी चज्वांग शहर में खोला जाएगा तथा अपनी स्थापना के दिन से ही वह रन मिन बी जारी करना शुरू करेगा.जनवरी 1949 में चीनी जन बैंक का मुख्यालय आज के पेइचिंग शहर में स्थानांतरित किया गया.9 महीने बाद वह चीन लोक गणराज्य की केंद्र सरकार का औपचारिक बैंक बन गया.मई 1951 में चीनी राज्य परिषद ने देश में मुद्रा के एकीकरण का आदेश दिया,तब से बाजार में प्रयुक्त अन्य प्रकार की मुद्राओं का चलन बन्द हो गया और रन मिन बी धीरे-धीरे देश की एकमात्र कानूनी मुद्रा बन गयी.

रूपए की तरह रन मिन बी भी नोट और सिक्कों में बंटी हुई है.सिक्के कम मूल्य के हैं.मूल्य के अनुसार रन मिन बी का य्वान,चाओ,फ़ेन में वर्गीकरण किया जाता है.1 य्वान का मूल्य 10 चाओ होता है और 1 च्याओ 10 फ़ेन के बराबर है.इस समय नोट के रूप में 1 य्वान,2 य्वान, 5 य्वान,10 य्वान औऱ 100 य्वान,1 चाओ,2 चाओ,5चाओ,1फ़ेन प्रचलित हैं और सिक्के के रूप में 1 फ़ेन,2 फ़ेन,5फ़ेन,1 चाओ,5 चाओ एवं 1 य्वान का प्रयोग होता है.

लखनऊ उत्तर प्रदेश के गोपाल जी ने तिब्बतियों की विवाह-रीति के बारे में जानकारी चाही है और मऊ उत्तर प्रदेश के राजेन्द्र यादव भारती,उषा देवी भारती एवं दीपाजिंली ने भी पूछा है कि तिब्बती लोगों के मुख्य भोजन क्या है तथा वहां की मुख्य फसलें क्या-क्या हैं?

चीन में तिब्बती मुख्य रूप से तिब्बत में बसे हैं,लेकिन स्छ्वान,छिंगहाई और युन्नान आदि प्रांतों में भी उन की खासी आबादी है.अब हम आप को स्छ्वान के सोंगफान क्षेत्र में बसे तिब्बतियों की विवाह-प्रथा की जानकारी देंगे.इन लोगों में खेल औऱ गीतों के द्वारा वैवाहिक संबंध तय करने की प्रथा है,यहां की तिब्बती लड़कियों को सिर पर लाग या बैंगनी रुमाल बांधने का शौक है.ऐसी किसी लड़की पर रीझने वाला लड़का खुलेआम लड़की के सिर से रुमाल खींच सकता है, और घोड़े पर सवार हो कर भागते हुए पीछे मुड़कर लड़की से रात को किसी स्थान पर रुमाल वापस लेने को कह देता है.

जब अंधेरा हो जाता है,तो लड़का अपने दोस्तों और लड़की अपनी सहेलियों के साथ उस स्थान पर पहुंचते हैं,जहां लड़की द्वारा लड़के को पसन्द करने पर दूसरी मुलाकात का समय तय किया जाता है.दूसरी मुलाकात के दौरान लड़का और लड़की गीत गा कर सवाल-जवाब करते हैं और प्रेम होने पर वैवाहिक बंधन में बंध जाते हैं.विवाह-समारोह शुभ दिन चुनकर ही किया जाता है,बेशक वह दिन धूमधाम से मनाया जाता है.

तिब्बत में मुख्य रूप से जौ,गेहूं,मकई,धान,ब्रूमकोँर्न,ज्वार,बाजरे और तिलहन की फसलें होती है.इस के अलावा तरह-तरह की दालें,मुंगफली,तिल और अखरोट की खेती तथा सेव,अंगूर,केला,संतरा,आडू,पीयर,खरबूजा व तरबूजा आदि फल भी प्रचुर मात्रा में उगाए जाते हैं.तिब्बत की चाय प्रदूषणरहित होने और विशेष खुशबू के कारण विश्वविख्यात है.

जौ से बना भोजन,दूध,मांस,मक्खन,दही और जौ से बनी मदिरा तिब्बतियों का मुख्य आहार है.

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