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(GMT+08:00) 2008-01-04 11:37:57    
केन्या में उपद्रव कब बन्द होगा

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दोस्तो , केन्या में आम चुनाव के परिणाम पर मतभेद होने के कारण इधर के दिनों में इस देश में भारी दंगा फसाद छिड़ा । हालांकि तीन तारीख को नेरोबी में लाखों लोगों की रैली पूर्व योजना के अनुसार नहीं हुई , फिर भी वहां उपद्रव का शांत होने का कोई आसार नहीं दिखा। तीन जनवरी को नेरोबी में पुलिस और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई , सड़कों पर मृतकों की लाशें पड़ी और झुग्गी झोपड़ी क्षेत्रों में काली धुंआ धधकती रही । सूत्रों के अनुसार इन दिनों के दंगा फसाद में 200 से ज्यादा मकान आग से नष्ट हुए और दसियों हजार लोग बेघरबार हो गए हैं ।

केन्या में छिड़ा मौजूदा उपद्रव सत्तारूढ़ पार्टी और विरोधी पार्टियों के बीच हाल में हुए आम चुनाव के नदीजे पर अलग अलग मत होने के कारण हुआ है । मौजूदा चुनाव में मवाई किबकी के नेतृत्व वाली एकता पार्टी और राईला ओडिन्गा के नेतृत्व वाली विरोधी पार्टी ऑरेंज डेमोक्रेटिक मुवमेंट को बराबर मत प्राप्त हुए । मतदान की शुरूआत में ओडिन्गा की समर्थन दर भी किबकी से थोड़ी ऊंची थी । किन्तु जब चुनाव परिणाम निकला , तो वह विरोधी पार्टी के पूर्वानुमान से विपरित आया , इस तरह विरोधी पार्टी और उस के समर्थक इस परिणाम को स्वीकार नहीं कर सकते । और तो और केन्या की चुनाव कमेटी ने आम चुनाव का परिणाम घोषित करने में बड़ा विलंब भी किया , इसलिए विरोधी पार्टी को शक हुई कि सत्तारूढ़ पार्टी ने चुनाव में घोटाला किया हो । विरोधी पार्टी ने अपने समर्थकों को सड़क पर जा कर प्रदर्शन करने के लिए उकसाया , जिस से फिलहाल का उपद्रव उत्पन्न हुआ है ।

फिर भी मौजूदा उपद्रव का गहन गर्भित कारण भी है । आर्थिक तौर पर मौजूदा उपद्रव से केन्या के आम लोगों का वर्तमान मनोभाव प्रतिबिंबित हुआ है । यद्यपि श्री किबकी के सत्ता संचालन के पिछले पांच सालों में केन्या का आर्थिक विकास अच्छा है , औसत आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत तक भी पहुंची , परन्तु देश के मध्य और निचले वर्गों के लोगों का जीवन मूल रूप से सुधर नहीं हो पाया और अमीरों और गरीबों के बीच खाई लगातार विस्तृत होती गयी । वर्तमान में केन्या में गरीब जन संख्या कुल जन संख्या का तकरीबन आधा भाग बन गया है । केन्या के जन समुदाय समझते हैं कि किबकी सरकार अमीरों की सरकार है । बड़ी संख्या में मध्य व निचले तबकों के लोग चाहते हैं कि विरोधी पार्टी सत्ता पर आए और जन साधारण की मुसिबतों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए ।

सामाजिक दृष्टि से देखा जाए , तो मौजूदा उपद्रव कबीलों से भी जुड़ा है । श्री किबकी केन्या के सब से बड़े कबीले किकुयु जाति के हैं , इस जाति की जन संख्या देश की कुल जन संख्या का पांचवां भाग होती है , जबकि विरोधी पार्टी के नेता ओडिन्गा केन्या के पश्चिमी क्षेत्र में आबाद तीसरे कबीले यानी लोऑ जाति से आए हैं । केन्या के लोगों में कबीले की भावना बहुत तीव्र है । अलग अलग कबीले से आए नेता अलग अलग जाति के हितों की रक्षा करते हैं और पहले के सभी राष्ट्रपति बिना अपवाद के अपनी अपनी जाति के आबादी क्षेत्र को ज्यादा तवज्जह देते हैं । वर्तमान जातीय मुठभेड़ों में किकुयु जाति प्रायः हमले का निशाना बन सकती है।

फिलहाल का दंगा फसाद छिड़ने के बाद पुनः निर्वाचित राष्ट्रपति किबकी ने सारे देश के लोगों से हिंसा बन्द करने , मतभेद को अलग रख कर एकता बहाल करने तथा देश के निर्माण में जुट जाने की अपील की है । उन्हों ने विभिन्न पार्टियों से देश के वर्तमान संकट को दूर करने के लिए वार्तालाप शुरू करने की भी अपील की । यह खबर भी आयी है कि श्री किबकी नव स्थापित सरकार में विरोधी पार्टियों को कुछ सीटें प्रदान करने के जरिए उन के और विरोधी पार्टी के बीच पड़े अन्तरविरोध को शिथिल करना चाहते हैं । लेकिन ओरेंज डेमोक्रिटिक मुवमेंट के नेता श्री ओडिन्गा ने कहा कि सिवाय इस के कि किबकी वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार मान लें , वे किबकी के साथ वार्तालाप नहीं करेंगे । इस हालत को ध्यान में रख कर कुछ विश्लेषकों ने माना कि केन्या में उपद्रव जारी रहेगा , फिर भी स्थिति मोड़ लेने की संभावना मौजूदा है । चूंकि उपद्रव से केन्या के अर्थतंत्र को भारी नुकसान पहुंचा है और जनता की जानी माली सुरक्षा की गारंटी नहीं हो रही है । इस के अलावा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय भी नहीं चाहता है कि इस देश में उपद्रव जारी रहे , वह बीच में मध्यस्थता करने लगा । अंततः कहा जा सकता है कि समन्यन व मध्यस्थता के जरिए केन्या के दोनों प्रमुख दलों के बीच सुलह समझौता होने की संभावना मौजूदा है , यदि ऐसा हुआ , तो उपद्रव शांत होगा। इस के अलावा केन्या की चुनाव कमेटी ने भी कहा कि वह जल्दी ही हर मतदान केन्द्रों के मत गिनती के परिणाम सार्वजनिक करेगी , ताकि लोगों में आशंका दूर हो सके ।

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