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(GMT+08:00) 2008-01-03 16:01:16    
हूपे प्रांत के सांस्कृतिक व्यवसाय का विकास

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《दोस्त》पत्रिका-समूह 1985 में कायम हुआ।शुरूआती दौर में वह केवल एक किस्म की पत्रिका यानी 《दोस्त》प्रकाशित करता था।लेकिन अब उस के द्वारा प्रकाशित की जाने वाली पत्रिकाओं की किस्मों की संख्या 9 हो गई है।यह समूह एक अखबार का संपादक और प्रकाशक भी हैं।इस के अतिरिक्त उस के प्रबंध में 4 कंपनियां और 1 प्रतिष्ठान भी चल रहे हैं।संक्षेप में कहे,तो यह समूह चीन में प्रकाशन जगत का नेता बन गया है।

हूपे प्रांत ने अपने सांस्कृतिक-कार्य को वर्चस्व प्राप्त व्यवसायों में विकसित करने की ठान ली है।प्रांत के सांस्कृतिक-ब्यूरो के उपप्रधान श्री शन हाई-निंग ने कहा कि हूपे प्रांत बाजार को मार्गदर्शन मानकर मिल्कियत वाली व्यवस्था में सुधार ला रहा है।सरकार केवल कल्याण वाले सांस्कृतिक कार्य का समष्टिगत बन्दोबस्त करती है।जबकि सांस्कृतिक उद्यमों को स्वतंत्र रूप से इस कार्य का विकास करने का पूरा अधिकार है।उन्होंने कहाः

"सांस्कृतिक व्यवसाय के विकास के लिए हम ने प्रबंध व संचालन को एक दूसरे से अलग कर रखा है।प्रबंध की दृष्टि से हम ने विभिन्न स्तरों के सरकारी विभाग स्थापित किए है और संचालन की दृष्टि से हम ने विभिन्न प्रकाशन-गृहों को छांगच्यांग नामक एक प्रकाशन-समूह में बदला है,ताकि पूरे प्रांत के प्रकाशन-कार्य के विकास को तेज गति मिल सके।हम ने बाजार के उन्मुख जनरल टीवी स्टेशन की स्थापना की और विभिन्न फिल्म दिखाने वाले विभागों,फिल्म शूटिंग केंद्रों,वीडियो-ऑडियो प्रकाशन संस्थाओं और सांस्कृतिक उपकरण दूकानों तथा अभिनय-सेवा विभागों से एक जनरल सांस्कृतिक संचालन कंपनी कायम की।यह कंपनी शेयरों पर आधारित हैं।भविष्य में इस कंपनी में गैर सरकारी व निजी पूंजी लगाई जा सकती है।हमारा सिद्धांत है कि जितनी पूंजी लगाई जाती है,उस के तद्नुरूप मुनाफा प्राप्त किया जाता है।हम विभिन्न प्रकार के संसाधनों का समुचित व पर्याप्त प्रयोग करने और विभिन्न स्रोतों से पूंजी आकर्षित करने की कोशिशों से सांस्कृतिक व्यवसाय के विस्तार में तेजी लाएंगे।"

चीन सरकार ने सृजन के आधार पर नए देश के निर्माण का लक्ष्य तय किया है,जिस में विज्ञान-तकनीकी क्षेत्र ही नहीं सांस्कृतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।हूपे प्रांत में सांस्कृतिक व्यवसाय के विकास की समग्र स्थिति देखी जाए,तो पाया जाएगा कि लोगों के दिमाग में पुराने दृष्टिकोण आज भी कुछ हद तक बने रहे हैं और संबद्ध संस्थाओं की सृजनशक्ति भी अपेक्षा से बड़ी नहीं है।च्यांग-थुंग कार्टून निर्माता कंपनी का उदाहरण लें--उस की हार्डवैयर अत्याधुनिक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हो गई है,पर उस की कृतियां रचने की क्षमता विदेशों की हमपेशा कंपनियों की तुलना में कमजोर है।सो कहा जा सकता है कि हूपे प्रांत को अपने सांस्कृतिक व्यवसाय के विकास के लिए देशी व विदेशी बाजार तैयार करने की और बड़ी कोशिश करनी चाहिए।इस के बारे में च्यांग-थुंग कार्टून निर्माता कंपनी के जनरल मैनेजर चू यो-कान ने कहाः

"हमारी कंपनी और विदेशी कार्टून निर्माता कंपनी के बीच का फासला सृजन के क्षेत्र में साफ़ तौर पर दिखाई देता है।कार्टून बनाने की हमारी कंपनी का स्तर किसी विदेशी हमपेशा कंपनी से जरा भी नीचा नहीं है,लेकिन कृतियों के सृजन और बाजार पर कब्जे के क्षेत्रों में हमारी कंपनी विदेशी कंपनियों से काफी पीछे रही है।विदेशों में कार्टून के निर्माण व प्रकाशन का काम अपेक्षाकृत संपूर्ण व्यवसायिक कड़ियों से गुजर कर पूरा किया जाता है।लेकिन हमारे यहां व्यवसायिक कड़ियों का विकास अभी प्रारंभिक स्तर पर है। "

श्री चू यो-कान का कहना है कि हूपे प्रांत में समृद्ध सांस्कृतिक संसाधन उपलब्ध हैं।ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के सुप्रसिद्ध महान कवि छू-य्वान से जुड़े साहित्य व रीति-रिवाज और प्राचीन काल के मशहूर उपन्यास《तीन राज्यों की लड़ाई》संबंधी ऐतिहासिक घटनाएं नई कृतियां रचने के विषय हैं।च्यांग-तुंग कार्टून निर्माता कंपनी द्वारा बनाया जा रहा《 बालक चैन-सान》नाम का 52 खंडों वाला कार्टून धारावाहिक हुपे प्रांत में प्रचलित एक लोककथा पर आधारित है।

श्री चू यो-कान ने यह भी कहा कि विभिन्न स्रोतों से पूंजी के निवेश ने हूपे प्रांत के सांस्कृतिक व्यवसाय के विकास को बड़ा आर्थिक समर्थन दिया है और बाजार अर्थतंत्र की अनिवार्य स्पर्धा के दबाव व सुधार के लिए आवश्यक प्रेरकशक्ति भी लाया है।इसलिए सुधार-कार्य को गहराई में चलाना और सृजन की व्यवस्था कायम करना सांस्कृतिक श्रमशक्ति की मुक्ति व विकास का अनिवार्य रास्ता है।