चीन के सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के थाछङ क्षेत्र में अल्पसंख्यक जातीय महिलाओं से गठित एक चलती फिरती फिल्म प्रोजेक्शन टीम सक्रिय रही है । यह फिल्म प्रोजेक्शन टीम अल्पसंख्यक जातियों के किसानों व चरवाहों के आबाद ऐसे सरहदी कस्बों में जा जा कर फिल्म दिखाती है , जहां फिल्म देखने का मौका बहुत कम मिलता है ।
थाछङ इलाका सिन्चांग के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित है , इलाके के सीमा पार चीन का पड़ोसी देश कजाखस्तान गणराज्य स्थित है । चीन के इस सीमावर्ती क्षेत्र में कुल 29 जातियों के लोग रहते हैं और अल्पसंख्यक जातियों की जन संख्या कुल स्थानीय जन संख्या का 45 प्रतिशत भाग है । सरहदी इलाके के बहुत से स्थानों में आधुनिक सुविधाओं का अभाव है , जहां न मोटर गाड़ी है और न ही बिजली पहुंचती है । किसान और चरवाहे सीधा सादा जीवन बिताते हैं ।
सीमावर्ती देहाती इलाकों में रहने वाले किसानों व चरवाहों को फिल्म देखने की सुविधा पहुंचाने के लिए सिन्चांग के थाछङ शहर के थालपाहाथाई सीनेमा घर ने चलती फिरती फिल्म प्रोजेक्शन टीम की स्थापना करने का फैसला किया । टीम सदस्य हान और अल्पसंख्यक जातियों की भाषा जानने वाले कर्मचारियों में से चुने गए , नतीजतन् तावर जाति की छांग सोलान , रूसी जाति की लु च्युथिंग , हान जाति की श्ये सुमाई और उइगुर जाति की रूश्यांनगुल चार महिला कर्मचारी इस विशेष फिल्म प्रोजेक्शन टीम की सदस्या बन गयीं । फिल्म प्रोजेक्शन टीम समय समय पर घास मैदानों और पहाड़ी क्ष्त्रों में जगह जगह फिल्म दिखाने जाया करती है, जिस का स्थानीय निवासियों ने हार्दिक स्वागत किया । थालपाहाथाई सीनेमाघर के मेनेजर श्री सुन त्हेह्वी ने कहाः
हमारी कंपनी में पहले एक चलती फिरती पुरूष फिल्म प्रोजेक्शन टीम मौजूद है , आम तौर पर पुरूष कर्मचारी ज्यादा गांवों में जाते हैं । महिला फिल्म प्रोजेक्शन टीम स्थापित होने के बाद उसे व्यापक किसानों और चरवाहों की ओर से बड़ा स्वागत मिला , जिस से यह टीम जल्द ही मशहूर हो गयी । वर्ष 2006 में थाछङ इलाके में फिल्म प्रोजेक्शन टीमों ने कुल मिला कर 6000 फिल्म शो दिखाये , जिस में महिला टीम का बड़ा योगदान है । इस प्रकार वहां फिल्मी मनोरंजन उद्योग बहुत क्रियाशील हो गया ।
सिन्चांग के विभिन्न गांवों और चरगाहों में अकसर नीले रंग की एक मिली बस और चार महिलाएं आती जाती दिखाई देती है , वे जहां भी पहुंची , वहीं स्थानीय निवासियों को फिल्म दिखायी जाती है और फिल्म शो के बीच बीच लोगों की कहकही सुनाई पड़ती है ।
टीम के नेता तावर जाति की महिला छांग सोलान ने एक कहानी सुनायी , जो अभी तक उन की याद में ताजी बनी है ।
एक बार की बात थी , हम एक पहाड़ी चरगाह से गुजरी , हमें प्यास लगी और पानी मांगा । एक वृद्ध गांववासी ने जोश के साथ हमारा स्वागत किया और हमारा पेशा भी पूछा , मैं ने कहा कि हम फिल्म प्रोजेक्सन टीम है , तो उन्हों ने बड़ी आस के साथ अनुरोध किया कि वे वर्षों से फिल्म नहीं देख पाए , यदि उन्हें एक बार फिल्म दिखाये , तो वे बेहद आभारी होंगे । हम ने तुरंत उन के मंगोल तंबू में उन्हें फिल्म दिखायी , फिल्म देखने के बाद वे इतने खुश हुए थे कि हमें खिलाने के लिए बकरी का वध करने दौड़े ।
थाछङ इलाके का भूभाग विशाल है , गांवों के बीच दूरी बहुत बड़ी है , सब से कम दूरी भी पचास साठ किलोमीटर है , जबकि दूर के गांवों के बीच फासला सौ किलोमीटर से भी ज्यादा है । फिल्म प्रोजेक्शन के साज सामान 500 किलोग्राम से भी अधिक है , उसे बस से उतारने और चढ़ाने का काम खुद टीम की चार महिला सदस्यों को करना पड़ता है , यह काम बहुत भारी है और उन का यह जीवन भी बहुत कठोर है ।
किसी अमुक स्थान जाने में वे अकसर रास्ते में दौड़ती है , कभी कभी कई दिन गर्म खाना खाने से वंचित रहती है । चार टीम सदस्याएं चार जातियों से आयी हैं , खानपान में अलग अलग प्रथा है , इसलिए वे आम तौर पर अपना अपना खाना ले जाती हैं । बहुत से वक्त पर वे मात्र नॉन और पानी खाती हैं । रूसी जाति की टीम सदस्य सुश्री लु च्युथिंग ने कहा कि यह सत्य है कि जीवन काफी कठिन है , लेकिन हम इस की परवा नहीं करती हैं , क्योंकि स्थानीय किसान और चरवाहे हमारी खूब तरजीह करते हैं । उन के बारीकी देखरेख से हम बहुत प्रभावित होती हैं । इस पर उन्हों ने कहाः
पहाड़ी गांवों में मच्छर बहुत ज्यादा है , मच्छर हमारे पांवों व हाथों को काटने झपटती है , यह हमारे लिए असह्य है । मच्छर भगाने के लिए गांव वासियों ने जब देखा कि हम प्रोजेक्शन मशीन लगाने लगी , तो वे तुरंत धुआं देने वाले घास के ढेर लगाते है और मच्छर मार देते हैं , उन की इस प्रकार की कोशिश से हम बहुत प्रभावित हुई हैं ।
प्रोजेक्शन टीम की मिली बस पर चलती फिरती महिला प्रोजेक्शन टीम जैसे अक्षर अंकित हैं , जो आसानी से पहचाना जा सकता है । जहां यह मिली बस रूकी , वहां आस पास रहने वाले लोग फिल्म दिखायी जाने से पहले ही आ पहुंचे , जल्दी ही खुली जगह लोगों से भर जाती है , मां की गोद में शिशु है , बूढे लोगों के हाथों में बैंच है और युवा ट्रेक्टर ले कर उस पर बैठ जाते हैं । भीड़ में खिलने बोलने का हलचल हो रहा है । गांव वासी अपने घर के नॉंन , दुध और सुखा भुना गोश्त ले कर टीम सदस्याओं को खिलाते है , इस माहौल में फिल्म प्रोजेक्शन टीम काम करने में और अधिक उत्साहित हो उठती हैं और वे फिल्म को अच्छी तरह दिखाने की हरसंभव कोशिश करती हैं । टीम नेता छांग सोलान पर्दा लगाने , टीम सदस्य लु च्युथिंग मशीन ठीक करने , टीम सदस्य रूश्यांनगुल फिल्म कापी तैयार करने तथा स्ये सुमाई लाइन जोड़ने में व्यस्त रहीं , जब पर्दे पर पिक्चर दिखाई देने लगा तो गांव वासियों के साथ उन के चेहरे पर भी मुस्कान खिलने लगी ।
थाछङ महिला फिल्म प्रोजेक्शन टीम को स्थापित हुए चार साल हो गये है , उन के पदचिन्ह इलाके के 40 से ज्यादा कस्बों और 430 से ज्यादा गांवों पर छपे , उन्हों ने कुल 2300 शो दिखाये , जिन में तीन लाख 50 दर्शकों ने फिल्म का आनंद उठाया ।
थालपाहाथाई सीनेमा घर के मेनेजर सुन त्हे ह्वी भी कभी कभी महिला टीम के साथ गांवों और चरगाहों में जाते हैं । उन्हें इस टीम के कठोर जीवन और स्थानीय लोगों में उन की लोकप्रियता का गहरा अनुभव हुआ है । इस पर उन्हों ने कहाः
मुझे याद है कि एक बार हम एक दूरदराज सरहदी गांव गए , जहां केवल दसेक परिवार हैं , बड़े छोटे कुल तीस लोग हैं । हमारी महिला टीम ने उन्हें एक फिल्म दिखायी , किन्तु फिल्म के लिए गांववासियों की प्यास नहीं बुझी , उन्हों ने दूसरी फिल्म दिखाने की मांग की और टीम सदस्यों को अच्छा खाने पीने की चीजें भी परोस दीं , वे टीम सदस्यों को बहुत प्यार करते हैं ।
किसानों और चरवाहों के उत्साह और मेहमाननवाजी से प्रभावित हो कर टीम सदस्याएं हर बार का शो बेहतर दिखाने की कोशिश करती हैं , कभी कभार कुछ फिल्मों के डायलॉग का डबिंग नहीं किया गया और स्थानीय अल्पसंख्यक जातियों के लोगों को समझ में नहीं आती , तो टीम सदस्या पहले डायलॉग को रट कर याद करती और टेपरिकार्डर में डायलॉग की गति के अनुरूप टेप करती है और फिल्म दिखायी जाने के समय कजाख या उइगुर भाषा में टेप किए गए डायलॉग सुना देती है . इस प्रकार से उन्हों ने अपनी ओर से पांच फिल्मों का डबिंग किया । कभी कभी चार लोग चार भाषाओं में फिल्म की कहानी की गति के साथ फिल्मों का अनुवाद करती है , ताकि दर्शकों को आसानी से फिल्म का विषय समझ सके ।
टीम नेता छांग सोलान ने कहा कि महिला फिल्म प्रोजेक्शन टीम ने मेहनत की है , लेकिन इस के साथ उस ने लाभ भी पाया है , टीम की सदस्याएं स्थानीय लोगों के सदभाव और दीनदयालुता से प्रभावित हो जाती हैं , यही टीम को प्रोत्साहित करने की सब से बड़ी प्रेरक शक्ति है । टीम नेता छांग सोलान ने कहाः
गांवों और चरगाहों में आने पर हमें पता चला कि स्थानीय निवासी फिल्म देखने के बेताब हैं । फिल्म उन के जीवन को आनंदित बना सकती है और उन्हें प्रसन्न कर सकती है , उन की बहुत सी कहानियां हमें द्रवित करती है ।
वर्ष 2005 के अंत में चीनी राष्ट्रीय रेडियो , टीवी व फिल्म ब्यूरो और चीनी संस्कृति मंत्रालय ने सिन्चांग की इस महिला फिल्म प्रोजेक्शन टीम को राष्ट्र स्तर की आदर्श ग्रामीन फिल्म प्रोजेक्शन समूह का पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया । सरकार के प्रोत्साहन और व्यापक किसानों व चरवाहों की पसंद को लिए सिन्चांग की थाछङ चलती फिरती महिला फिल्म प्रोजेक्शन टीम और अधिक सक्रियता के साथ सिन्चांग के सरहदी निवासियों को फिल्म का आनंद पहुंचाने में अग्रसर रही है ।
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