सुश्री कोवालिओवा चीन के सिंच्यांग प्रदेश में रूसी भाषा पढ़ाने वाली उक्राइन अध्यापिका है । चीन में 16 साल रूसी भाषा पढ़ाने वाली सुश्री कोवालिओवा को चीन सरकार का विदेशी विशेषज्ञ मैत्री पुरस्कार मिला है , जो चीन में विदेशी विशेषज्ञों के लिए सर्वोच्च पुरस्कार है।
वर्ष 1990 के दशक में 43 वर्षीया सुश्री कोवालिओवा को रूसी भाषा अध्यापिका के रूप में पश्चिमी चीन के शिआन शहर के एक स्कूल भेजाया गया। चीन में आने के प्रारंभिक दिनों में उन्हें भाषा और जीवन के बारे में अनेक असुविधाएं मिली । इन दिनों की याद करते हुए सुश्री कोवालिओवा ने कहा , तब मुझे खाने पीने जैसे की बहुत सी असुविधाएं मिली । भाषा का सवाल भी है , मैं दूसरों की बातों की समझ में नहीं आयी । पर आसपास दोस्त सब बहुत उत्साहपूर्ण है । मैं उन के यहां से बहुत सी मदद पायी ।
कुछ समय बाद श्री कोवालिओवा को आसपास के जीवन के प्रति आदत लगी । पर नयी समस्या सामने आयी । वर्ष 1991 में भूतपूर्व सोवियत संघ भंग हो उठा । सोविया सरकार के यहां से मिलने का वेतन भी टूट गया । सुश्री कोवालिओवा के सामने दो रास्ते थे , वापस लौटें या चीन में ठहरे । तब उन्हों ने चीन में ठहरने का वैकल्प चुना ।
उन्हों ने कहा कि मैं एक आशावादी आदमी हूं । जीवन में कभी न कभी समस्या का सामना करना पड़ता है । पर मुझे विश्वास है कि जीवन में आयी सभी समस्याओं का अंततः समाधान किया जा सकेगा । इसमें यह भी चर्चित है कि मुझे चीन में करने का काम बहुत पसंद है । और एक बात है कि सुश्री कोवालिओवा को शिआन विदेशी भाषा कालेज में अपना प्यारी पत्ति प्रोफेसर यू यांग मिला । मुश्किल समय प्रोफेसर यू यांग हमेशा कोवालिओवा के साथ रहते थे ।
उन्हों ने पहले की याद करते हुए कहा , मुझे उन की मदद के लिए बहुत आभारी हूं , क्योंकि वे मेरे कठोर दिनों में हमेशा मेरे साथ रहा । केवल जीवन नहीं , मानसिक सहारा और महत्वपूर्ण है । उन के बिना मैं चीन में काम नहीं कर सकी । पत्ति और आसपास के दोस्तों की मदद में सुश्री कोवालिओवा ने चीन के शांघाई और थिएनचिन जैसे शहरों में अध्यापिका का काम किया । वर्ष 2002 में वे पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवूर स्वायत्त में रूसी भाषा पढ़ाने गयी । अध्यापिका सुश्री कोवोलिओवा की कक्षा हंसने की आवाज़ से भरी है । छात्रों को रूसी कक्षा पसंद है और कोवालिओवा छात्रों की भाषा सीखने की रुचि बढ़ाने की यथासंभव कोशिश करती है । वे न सिर्फ छात्रों को पाठ्य पुस्तक पढ़ाती हैं , पर उन की कक्षाओं में नाट्य जैसे गतिविधियां भी चलती हैं । उन्हों ने कहा कि छात्र आधे साल पढ़ने के बाद रूसी भाषा में नाट्य का अभिदर्शन कर सकते हैं । उन्हों ने कहा कि छात्रों की मदद करते समय मुझे भी बहुत खुशियां मिलती हैं । मैं ने छात्रों को रूसी भाषा और खासकर रूसी साहित्य के प्रति रुचि गहराने का प्रयास किया है , मुझे लगता है कि यह भाषा सीखने का रास्ता है । इधर के वर्षों में चीन और रूस व मध्यम एशियाई देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक आवाजाहियां निरंतर बढ़ती जा रही हैं , और इस के चलते रूसी भाषा सीखने वालों की संख्या भी जल्दी से बढ़ी है । लेकिन रूसी भाषा के अध्यापकों का गंभीर अभाव पड़ता है । सुश्री कोविलिओवा ने चीन के रूसी भाषा अध्यापकों का प्रशिक्षण करने में भी स्पष्ट योगदान पेश किया है ।
इस के बारे में सिंच्यांग विश्वविद्यालय के शिक्षा कार्यालय की प्रधान सुश्री मान ज़े ने कहा , उन्हों ने हमारे विश्वविद्यालय के रूसी भाषा अध्यापन के विकास के लिए भारी योगदान पेश किया है । क्योंकि वे कक्षाओं में पढ़ाने के सिवा अध्यापकों के प्रशिक्षण के कार्यों में भी भाग लिया है । वे अनेक अध्यापकों के अध्यापन और प्रोफेशनल लेख लिखने का मार्गनिर्देशन भी करते हैं । मिसाल है कि मिस बी सिंच्यांग विश्वविद्यालय की एक जवान रूसी भाषा अध्यापिका है । वे भी सुश्री कोवालिओवा के मार्गनिर्देशन में अध्यापन करती हैं । कोवालिओवा की मदद से मिस बी जल्द ही विश्वविद्यालय की रूसी भाषा विभाग की प्रमुख अध्यापिका बनी हैं । अपनी आभारी भावना प्रकट करते हुए उन्हों ने कहा , सुश्री कोवालिओवा बहुत उत्साहपूर्ण आदमी हैं । किसी भी समय पर जब हमारा सवाल है , वे पूछताछ का जवाब देने से कभी इनकार नहीं देती । हम उन की मेहनती का बहुत सम्मान करते हैं । छात्रों के प्यार और नेताओं व सहपाठियों की प्रशंसा से सुश्री कोवालिओवा को बहुत प्रेरित किया गया है । वर्ष 2003 में उन्हें सिंच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश सरकार द्वारा थिएनशान पुरस्कार सौंपा गया । इस के बाद उन्हें चीन सरकार द्वारा सम्मानित मैत्री पुरस्कार मिला , जो विदेशी विशेषज्ञों के लिए सर्वोच्च है । चीनी प्रधानमंत्री श्री वन च्या पौ ने खुद उन्हें यह पुरस्कार सौंप दिया । उसी दिन की बात की याद करते हुए सुश्री कोवालिओवा ने कहा , पुरस्कार की खबर मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई । चीनी प्रधानमंत्री ने हमारी खुब प्रशंसा की , और हमारे योगदान के लिए आभार प्रकट किया । हम ने खुशी से एक साथ फोटो खींच लिया , और यह फोटो मैं हमेशा मूल्यवान समझ सुरक्षित करूंगी ।
साठ वर्षीया कोवालिओवा अपने को आधा चीनी समझती हैं । और वे कभी कभी दूसरों को बता रही हैं कि वे सिंच्यांग वासी ही हैं । उन्हों ने कहा कि चीन में रहने के 16 सालों में उन्हों ने अपनी आंखों से चीन में हुए भारी परिवर्तन देखा । और उन की अपने पांव के नीचे भूमि के प्रति गहरी भावना जन्म होने लगी । उन्हों ने कहा , मैं चीन के अनेक शहरों में रह चुकी हूं । पर आज का चीन मुझे सब से पसंद है । चीन का विकास बहुत तेज़ी से चल रहा है । आसपास सब कुछ का निर्माण किया जा रहा है ।
कुछ समय पूर्व कोवालिओवा ने अपने पत्ति के साथ पुराने मकान को छोड़कर नब्बे वर्ग मीटर विशाल एक नये मकान में स्थानांतरित किया । उन्हें नये मकान में रहकर बहुत आराम लगता है । उन्हों ने कहा , हम ने अधिक समय मकान की सुसज्जावट में नहीं डाला । पर यह नया मकान अच्छा है , आसपास वातावरण शांत रहा है और हम दोनों को खुश लगता है ।
उन्हों ने कहा , वे आम तौर पर छुट्टियों में स्वदेश लौटकर अपने परिवारजनों से मिल जाती हैं , और उन का मौजूदा ड्यूटी को छोड़ने का विचार नहीं है । क्योंकि चीन में रूसी भाषा सिखाने के जरिये वे चीन और अपनी जन्मभूमि दोनों के लिए योगदान पेश करती हैं ।
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