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(GMT+08:00) 2007-12-28 16:31:28    
नेत्रहीन मालिश सदन के प्रधान जांग बिंग शिन

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सिन्चांग स्वायत्त प्रदेश के छांगजी प्रिफेक्चर के चीनी पद्धति चिकित्सा अस्पताल का मालिश सदन सिन्चांग में काफी मशहूर है . इस मशहूर मालिश सदन के नेत्रहीन मालिश मास्टर श्री जांग बिंगशिन वहां बहुत लोकप्रय रहे हैं । पिछले 20 से ज्यादा सालों में श्री जांग बिंग शिन ने चीनी मालिश पद्धति से रोगों का उपचार करने में समृद्ध अनुभव जुटाए है और इस के आधार पर मालिश की अपनी विशेष प्राणाली का विकास किया , जिस के इस्तेमाल से अनेकों किस्मों के रोगों का कारगर इलाज किया जा सकता है । आज से दस साल पहले श्री जांग बिंग शिन ने छांगजी प्रिफेक्चर के चीनी चिकित्सा अस्पताल के मालिश से सेहतमंदी सदन की स्थापना की । पिछले साल में उन्हों ने स्वावलंबन से स्वास्थ्य लाभ मालिश अस्पताल खोला । वे खुद इस अस्पताल के प्रभारी बने और अस्पताल के अधिकांश मालिश मास्टर नेत्रहीन लोग हैं ।

श्री जांग बिंगशिन वर्ष 1976 में सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के एक कृषि स्कूल से स्नातक हुए थे । पढ़ाई में श्रेष्ठ निकलने के फलस्वरूप वे स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्त किए गए । लेकिन दुर्भाग्यवश 24 साल की उम्र में एक यातायात दुर्घटना में उन की आंखों को चोट लगी , इलाज में विफल होने के कारण उन की दोनों आँखों की ज्योति चली गयी और वे नेत्रहीन बन गए । इस प्रकार के असह्य आघात से उन्हों ने एक बार खुद अपनी जान देने की भी सोची थी । किन्तु उन की माता ने उन की तनमन से देखभाल की और उन्हें कठिनाइयों पर विजय पाने और अपने भविष्य को रौशन करने का प्रोत्साहन दिया । अंत में श्री जांग बिंगशिन के दिल में आगे जीवित रहने का पक्का संकल्प पैदा हुआ और नए सिरे से जीवन बिताना शुरू किया । इस पर श्री जांग बिंगशिन ने कहाः

जब मेरे मन में ख्याल आया कि मेरी मां ने बड़ी मुश्किल से मुझे पाला पोषा , तो मुझे अपने पर टपकी इस आफत को वीरता के साथ झेलना चाहिए । सच है कि मेरी आंखों की ज्योति चली गयी है , किन्तु मेरी बुद्धि अच्छी तरह बरकरार रही है । मेरे हाथ पांव चंगे हैं , तो मैं समाज के लिए कल्याण का काम कर सकता हूं । ऐसा सोच विचार करने से जीवन के लिए मेरी इच्छा शक्ति सुदृढ़ हो गयी है ।

तत्काल, श्री जांग बिंग शिन की एक गर्लफ्रेंड थी , जो कई सालों में दोनों में प्रेम संबंध कायम रहा था । दुर्घटना से अंधा होने के बाद उन्हों ने अपनी असली हालत को गर्लफ्रेंड फान श्यु लेन को बतायी और उस के सामने प्रेम का संबंध तोड़ने का प्रस्ताव रखा । यद्यपि यह बुरी खबर सुनने पर सुश्री फान श्यु लेन का मन बड़ी दुख से भर पड़ा था , तद्यापि वह जांग के साथ प्रेम का संबंध समाप्त करने पर सहमत नहीं हुई और अंत में उस ने जांग बिंग शिन के साथ विवाह करने का निश्चय किया । इस पर श्रीमती फान श्यु लेन ने कहाः

आंखों की ज्योति खो जाने के आधा साल बाद उन्हों ने मुझे एक तार भेज कर असलियत बतायी और कहा कि उन की आंखें फिर कभी ठीक नहीं हो सकेंगी । यह खबर पाने पर मुझे असाधारण दुख हुई । मैं इतनी गम हो गयी थी कि मुझे गंभीर बीमारी पड़ गयी और जिस से मेरा शारीरिक वजन भी पहले के 58 किलोग्राम से घट कर 40 किलो हो गया था । लेकिन मेरे दिल में छपी उन की छवि बहुत अच्छी है , वे हमेशा सुशील और विनम्र दिखते हैं और काम करने में हमेशा संजीदा और परिश्रमिक हैं । मेरे परिवार के सभी लोग उन के साथ मेरे विवाह पर राजी नहीं थे , परन्तु अंत में मैं ने खुद निश्चय किया और उन के साथ विवाह के लिए प्रमाण पत्र ले लिया ।

अस्पताल में भर्ती होने के दौरान एक डाक्टर ने श्री जांग बिंगशिन को बताया कि नेत्रहीन लोग मालिश पद्धति से रोगों का उपचार करने का काम कर सकते हैं । डाक्टर की सलाह पर श्री जांग बिंगशिन ने चीनी मालिश पद्धति सीखने की ठान ली । वे चाहते हैं कि चीनी मालिश पद्धति से रोगियों को बीमारी से छुटकारा कराने में मदद देंगे और अपने जीवन का मूल्य परिचित करेंगे । फान श्यु लेन के साथ विवाह के बाद जांग बिंग शिन अपनी पत्नी के साथ मिल कर नेत्रहीन स्कूल में दाखिल हो कर नेत्रहीन लोगों की लिपि सीखने लगे और चीनी मालिश पद्धति का अध्ययन करना शुरू किया । मालिश की तकनीक पर महारत हासिल करने के लिए जांग बिंग शिन ने विशेष तौर पर दूर दूर सछ्वान प्रांत की राजधानी छङतू शहर में जा कर वहां के मालिश अस्पताल में मालिश तकनीक सीखी । दो सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्हों ने नेत्रहीन लोगों की हस्तलिपि पहचाने तथा मालिश की चिकित्सा प्राणाली पर अधिकार कर लिया ।

वर्ष 1980 में श्री जांग बिंग शिन सिन्चांग के छांगजी अस्पताल आए , और अस्पताल नेताओं द्वारा परीक्षा ली जाने पर वे खरे उतरे और छांगजी अस्पताल के एक नेत्रहीन मालिश मास्टर बन गये । मालिश से रोगियों की सेवा करते हुए बीस साल से ज्यादा साल हो गए , इस के दौरान उन्हों ने अपनी कुशल मालिश तकनीक से बेशुमार रोगियों को बीमारी से छुटकारा दिलाया । क्वो श्वीफङ नाम का एक रोगी था , वह घातक रीढ़ रोग से पीड़ित था , घात बीमारी के कारण दिमाग में चक्कर आने पर वह अकसर जमीन पर गिर पड़ता था और कभी कभी खड़े हो कर चल भी नहीं पाता था । बीमारी के इलाज के लिए उस ने दसियों हजार य्वान की धनराशि खर्च की , फिर भी बीमारी हल्की नहीं हुई । अंत में वह जांग बिंग शिन के पास आया । श्री जांग बिंग शिन ने उस शरीर पर जब तीस बार ही मालिश किए , तब उस की बीमारी स्पष्ट रूप से हल्की हो गयी । बाल दस्त और स्तन शोथ जैसे रोगों के इलाज में श्री जांग बिंग शिन के हाथों से जब तीन चार बार मालिश किए गए , ऐसे रोग बहुधा दूर हो जाते हैं । अपनी स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की भावना से असाधारण योगदान करने के फलस्वरूप श्री जांग बिंग शिन को वर्ष 1997 के मई माह में राष्ट्रीय स्तर का आदर्श स्वावलंबन व्यक्ति नामक पुरस्कार से सम्मानित किया गया और देश के शीर्ष नेताओं ने पेइचिंग के बृहत जन सभा भवन में उन से मुलाकात भी की ।

इस मौके पर श्री जांग बिंग शिन के दिल में एक नया विचार आया कि और अधिक नेत्रहीन लोगों को मालिश पद्धती सिखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद दी जाए , ताकि वे स्वावलंबन से अपना जीविका कमा सकें और समाज के कल्याण की सेवा कर सकें । इस पर श्री जांग बिंग शिन ने कहाः

वर्ष 1997 में मुझे स्वावलंबन के आदर्श व्यक्ति के पुरस्कार से सम्मानित किया गया , मुझे लगा कि इस तरह मेरे कंधे पर कर्तव्य और जिम्मेदारी और भारी हो गयी है । मेरा फर्ज है कि ज्यादा नेत्रहीन लोगों को विकलांग होने पर भी उपयोगी व्यक्ति बनने में सहायता दूं । मैं खुद नेत्रहीन हूं , इसलिए मुझे साफ साफ मालूम है कि नेत्रहीन लोगों का दिल कितना दुखी है । बहुत से नेत्रहीन लोग भी मेरे यहां आ कर मुझ से रोगगार ढूंढना तथा मालिश की तकनीक सीखना चाहते हैं । मैं अपने दोनों हाथों से रोज केवल दस बारह रोगियों का इलाज कर सकता , यह समाज के लिए एक कल्याण का काम है , लेकिन मैं इस काम को और बेहतर बनाना चाहता हूं और अधिक से अधिक नेत्रहीन लोगों को सिखा कर मालिश सेवा को बेहतर करूंगा और ज्यादा से ज्यादा रोगियों को सेवा प्रदान करूंगा ।

पिछले साल, जांग बिंग शिन ने तीस लाख य्वान की पूंजी लगा कर सिन्चांग का प्रथम विशेष मालिश अस्पताल स्थापित किया , सिन्चांग के इस सब से बड़े नेत्रहीन मालिश अस्पताल में हरेक वार्ड सितारों वाले होटल की भांति आरामदेह और स्नेहपूर्ण माहौल में है . नेत्रहीन मालिश मास्टरों के रहन सहन के सवाल के समाधान के लिए श्री जांग बिंगशिन ने फिर तीन लाख य्वान लगा कर 170 वर्गमीटर वाला रिहाइशी मकान खरीदा ।

श्री फांग ह्वा ने जांग बिंगशिन से पांच साल तक मालिश पद्धति सीखी , जन्मजात नेत्रहीन होने के कारण उसे अनुभव हुआ है कि जांग बिंगशिन से मालिश तकनीक सीखना एक सही चुनाव है . उस ने कहाः

मैं अपने जीविका के लिए आत्मनिर्भर हो गया हूं । मैं हर महीने 2000 य्वान का वेतन कमाता हूं । मैं दो नौसिखियों को भी सिखाता हूं । यदि मेरी मुलाकात श्री जांग बिंगशिन से हुई नहीं होती , तो मेरा आज का जैसा खुशहाल जीवन नहीं मिलता । पहले घर में रहने के समय मैं बहुत दुख था , मैं सोचता था कि जीवन की गति क्यों इतनी धीमी होती है , इसलिए मेरा आत्महत्था का विचार भी आया था । जब पहली बार मैं मास्टर जांग के अस्पताल आया , तो मुझे लगा मानो मेरा नया जीवन शुरू हो गया हो । मास्टर जांग खुद मुझे सिखाते हैं और जब मेरी थोड़ी सी प्रगति हुई , तो वे तारीफ करते हुए मुझे बढावा देते हैं । रोगियों का उपचार करने के दौरान मेरी आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता की भावना और दृढ़ हो गयी । विकलांग होने पर भी अब मैं निक्कम नहीं हूं । अब मैं चाहता हूं कि जीवन की गति और थोड़ी धीमी जाए ।

वर्ष 2002 में जांग बिंगशिन का मालिश अस्पताल सिन्चांग का नेत्रहीन रोजगार प्रबंधन की आदर्श संस्था के लिए चुना गया और खुद जांग बिंग शिन सिन्चांग के दस आदर्श नेत्रहीन व्यक्ति के लिए निर्वाचित किए गए । उन्हों ने कहा कि उन का यह सपना साकार हो गया है कि वे समाज के लिए एक उपयोगी व्यक्ति बन गया है ।