प्रिय दोस्तो , चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ चीन स्थित शिन यांग शहर में मध्य चीन की प्रथम झील के नाम से नामी नानवान झील के दौरे पर गये हुए हैं । आज हम फिर इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल का दौरा करना जारी रखेंगे ।
नानवान झील पर्यटन स्थल में नानवान झील की सब से बड़ी विशेषता यह है कि विशाल स्वच्छ पानी में विभिन्न प्रकार वाले 61 छोटे बड़े टापू फैले हुए हैं और इन टापूओं में पक्षी टापू , बंदर टापू और गर्मी से बचना टापू पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रहे हैं ।
पक्षी टापू के दौरे पर आने वाले पर्यटक पक्षी चहचहट जंगल नामक पार्क घूमने जरूर जाते हैं । इस पार्क का निर्माण 2004 में हुआ था और उस का क्षेत्रफल 15 हजार वर्गमीटर है , पर्वत पर झरने , मांदरिन बतख नाली , हंस झील , कबूतर चौंक और एक पक्षी खेल थिएटर उपलब्ध हैं और इस पक्षी खेल थिएटर में विशेष तौर तीन सौ से अधिक किस्मों वाले एक हजार से ज्यादा पक्षियों को पाला जाता है ।
इस पार्क में पर्यटक क्रीड़ा कर रहे मांदरिन बतख , हंस जैसे पक्षी हर जगह पर देख पाते हैं , पर इस से और मजेदार बात यह है कि पक्षी खेल थिएटर में पर्यटकों की अगवानी में मैना गाना गाते हैं , तोता बजाते हुए नाचते हैं , इतना ही नहीं , और बहुत से ऐसे पक्षी भी हैं , वे पैसे पहचानने और गणना करने में माहिर भी हैं , इन पक्षियों की चमत्कृत प्रदर्शनों को दर्शकों की ओर से वाह वाही और गड़गड़ाहट तालियां मिलती हैं । दक्षिण पूर्वी पक्षी चहचहाट जंगल पार्क में एक प्राकृतिक परिरक्षित पक्षी शाही राज्य भी है । इस पक्षी शाही राज्य में प्रवेश के बाद नीले आस्मान व पेड़ों पर ही नहीं , पानी में भी अंगिनत विविधतापूर्ण पक्षी देखने को मिलते हैं । विशेष तौर पर पक्षियों को देखने के लिये पेइचिंग शहर से आयी पर्यटक सुश्री ली फिंग ने भावविभोर होकर हमारे संवाददाता से कहा कि यह आश्चर्यजनक बात है कि मध्य चीन के इसी द्वीप पर हर वर्ष इतने अधिक जंगली पक्षी रहने आते हैं , बहुत से पक्षी ज़ू में देखने को भी नहीं मिलते हैं , उन का नाम भी मालूम नहीं है ।
पक्षी टापू को छोड़कर हमारे संवाददाता नाव पर सवार होकर बंदर टापू पर पहुंच गये । इस टापू पर देवदार पेड़ व चीढ़ जैसे बड़ी तादाद में पेड़ उगे हुए हैं , पेड़ों के बीच पत्थरों पर झुंडों में बंदर क्रीड़ा करते हुए दिखाई देते हैं । कुछ बंदर पत्थरों पर बैठे हुए इधर उधर देखते हैं , जब पर्यटक उन के पास से गुजर जाते हैं , तो वे बिना संकोच किये पर्यटकों के हाथों मूंकफली जैसी खाने वाली वस्तुओं को घूर घूर देखते हैं , जब पर्यटक ये खाने वाली वस्तुएं जमीन पर फेंकते हैं , तो वे तुरंत ही पकड़ने के लिये होड़ सी लगा देते हैं ,और कोई बंदर मूंकफली छीन लेता है , तो वह तुरंत ही मूंकफली का छीलका हटाकर मुंह में डाल देता है । और मजे की बात है कि यदि पर्यटक पानी के बोतल का ढकन हटाकर जमीन पर रख देते हैं , तो वे आगे बढ़कर बोतल पकड़कर फटाफट पी लेते हैं । यह हालत देखकर हरेक पर्यटक हंसे बिना नहीं रह सकता । गाइड ये ने हमारे संवाददाता से कहा कि ये बंदर थाई हां पर्वत से यहां स्थानांतरित हुए हैं , वे एक कुल के हैं और इस कुल में एक बंदर राजा है । यह राजा हर चार वर्षों में एक बार निर्वाचित किया जाता है , चुनाव में भाग लेने के लिये नर बंदरों के बीच लड़ाई की जाती है और लड़ाई का विजेता राजा बन सकता है । बंदर राजा बनने के बाद उसे सब से पहले फूट खाने , दूसरे बंदरों को गश्त लगाने का आदेश देने और सुंदर मादा बंदरों को अपनी पत्नी के रूप में बनाने का विशेषाधिकार प्राप्त है , अन्य बंदर इन विशेषाधिकारों का उल्लंघन नहीं कर पाते हैं । पर बंदरों का यह झुंट थाई हां पर्तव से यहां क्यों स्थानांतित हुआ और क्या न यहां के स्थानीय पर्यावरण उन के लिये अनुकूल है । बंदर की पालक सुश्री वांग च्येन फिंग ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारा नानवान जलाश्य का वातावरण बहुत अच्छा है , यहां के घने जंगल में उगे पेड़ पौधे बंदरों के लिये अनुकूल है , और तो और पेड़ों पर लदे विविधतापूर्ण जंगली फल बंदरों का पसंदीदा फूट ही हैं ।
चीन की प्रसिद्ध शिन यांग चाय भी इसी क्षेत्र में पैदा होती है , शिन यांग चाय चीन सब से विख्यात हरी चायों में से एक मानी जाती है , उस का इतिहास कोई दो हजार वर्ष पुराना है । नानवान झील के पास पांच ऊंचे पर्वत खड़े हुए हैं और इन पर्वतों पर शिन यांग चाय की पैदावार होती है । अब यहां पर चाय पैदा करने , चाय पत्तियां काटने ,चाय तैयार करने और चाय कला प्रदर्शन करने जैसी श्रृंखलाबद्ध चाय सांस्कृतिक परम्परा बन गयी है ।
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