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(GMT+08:00) 2007-12-25 15:10:50    
चीन के मशहूर थाईवानी मूर्तिकार श्री चू-मिंग

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 इधर के दिनों में चीन की राजधानी पेइचिंग स्थित चीनी ललितकला भवन में थाइवान प्रांत के मशहूर मूर्तिकार श्री चू-मिंग की व्यक्तिगत प्रदर्शनी लग रही है।इस प्रदर्शनी का नाम है शैडोबाँक्सिंग।अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला जगत में श्री चू-मिंग को वर्तमान दुनिया के प्रथम स्तर के चीनी मूर्तिकारों में से एक माना गया है।पेइचिंग में यह उन की पहली व्यक्तिगत प्रदर्शनी है,जिस ने चीन के मुख्यभूमि के ललितकला जगत और व्यापक दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया है।कुछ समय पहले हमारे संवाददाता ने इसे लेकर श्री चू-मिंग से इंटरव्यू लिया।

श्री चू-मिंग ने पेइचिंग में आयोजित शैडोबाँक्सिंग नामक अपनी इस मूर्ति-प्रदर्शनी में 60 से अधिक कृतियां शामिल की हैं,जिन में से पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक में लकड़ी से बनायी गई शैडोबाँक्सिंग नामक मूर्तियों के समूह और वर्ष 2002 में तांबे से बनायी गई मेहराबदार द्वार नामक मूर्ति ने अपने अद्वितीय नयापन से मूर्तिकला जगत में धूम माचाई थी।

हालांकि चीन की मुख्यभूमि पर श्री चू-मिंग की कृतियों की यह प्रथम प्रदर्शनी है,पर खूद वह कब से ही यहां के ललितकला जगत में नामी हो चले हैं।चीनी ललितकला भवन के महानिदेशक श्री फ़ान ती-आन ने कहा:

"मैं ने कोई एक दशक पहले ही श्री चू-मिंग की व्यक्तिगत प्रदर्शनी लगवाने की सोची थी।श्री चू-मिंग ने वैश्विक मूर्तिकला के विकास को बढावा देने में असाधाराण योगदान किया है।वह पूर्वी संस्कृति की श्रेष्ठता में ढले हुए पर अद्भुत आधुनिक मानसिकता रखने वाले एक महान कलाकार हैं।उन्हों ने जिन्दगी के हर मूड को खूबसूरती से लकड़ियों, पत्थरों और तांबे पर उकेरा है।उन के द्वारा निर्मित शैडोबाँक्सिंग नामक मूर्तियों के समूह में पूर्वी और पश्चिमी मूर्तिकला का बेजोड़ मेल है।शैडोबाँक्सिंग खेलने वाली आकृतियों की मूर्तियों से प्राचीन चीनी ऊशु की संस्कृति सजीव रूप से झलकती है।दर्शक बिना एक शब्द कहे,आत्मविभोर होकर उन्हें देखते ही रहेंगे।उन्हों ने अपनी प्रतिभा से निर्मित इन कृतियों को दुनिया भर के मूर्तिकला प्रेमियों को उपहार में दिया है। "

चीनी ललितकला भवन के वृहद गोलाकार गृह में हमारे संवाददाता ने शैडोबाँक्सिंग नामक मूर्तियों का समूह देखा।ये मूर्तियां लकडी,पत्थर और तांबे की हैं।इन बेजान सामग्रियों पर तराशी गई शैडाबाँक्सिंग की विभिन्न अंग-भंगिमा वाली मूर्तियों में मानों जान डाला गया हो।इन मूर्तियों के सामने कोई भी व्यक्ति बिना कल्पना किए नहीं रह सकता है।

शैडो-सिद्धांत परंपरागत चीनी संस्कृति का एक अंग है।प्राचीन काल में चीनी लोग उस के जरिए ब्राह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के चक्र जैसे मायामय सवालों की व्याख्या करते थे।शैडोबाँक्सिंग इस सिद्धात पर आधारित है,जो व्यायाम और आत्मरक्षा के साथ आध्यात्मिक निखार पर भी जोर देता है।शैडोबाँक्सिंग से जुड़ी अपनी कृतियों की चर्चा करते हुए श्री चू-मिंग ने बताया कि इन मूर्तियों के निर्माण का इस बात से रिश्ता है कि पिछली सदी के 8वें दशक में उन के अध्यापक ने उन्हें शैडोबाँक्सिंग का अभ्यास करने की सलाह दी।श्र चू-मिंग का कहना है :

"मेरे अध्यापक का नाम यांग ईन-फंग है।वे पढाई और जीवन में मेरी बड़ी तवज्जह करते थे।एक दिन उन्हों ने मुझ से कहा कि तुम दुबले पतले हो औऱ कमजोर लगते हो।इसलिए तम्हें शैडोबाँक्सिंग का अभ्यास करना चाहिए,ताकि तबीयत हृष्ट-पुष्ट हो सके।मैं ने उन की बात मानी और शैडोबांक्सिंग सीखना शुरू किया।धीरे धीरे शैडोबाक्सिंग का अभ्यास करना मेरे जीवन का एक हिस्सा बन गया।व्यस्तता चाहे कितनी भी हो,मैं उस के लिए जरूर समय निकालता रहता हू।शैडोबोक्सिंग बाहरी ताकत से ज्यादा भीतरी शांति अथार्थ अध्यात्मिक निखार पर जोर देता है।इसलिए मैं उस से बेहद प्रभावित रहा हूं और उस की खूबियां मूर्तियों के जरिए अभिव्यक्त करना चाहता था।"

ऐसे में शैडोबाँक्सिंग नामन मूर्तियों का समूह श्री चू-मिंग के जादूगरी के से हाथों से पैदा हो गया।पिछले 20 वर्षों से अधिक समय में इन मूर्तियों की थाईलैंड,फ़िलिफिन्स,सिंगापुर,ब्रिटेन,

जापान,लक्सेमबर्ग,फ़्रांस और बेलजियम आदि देशों में प्रदर्शनियां लगायी गईं।उन्हें खूब प्रशंसा मिली।