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(GMT+08:00) 2007-12-21 16:20:12    
चीनी और भारतीय थल सेनाओं के बीच आतंक विरोधी संयुक्त प्रशिक्षण आरंभ

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चीनी और भारतीय थल सेनाओं के बीच संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण की आरंभ रस्म 21 तारीख को दक्षिण पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत के खुनमिंग शहर में औपचारिक रूप से आयोजित हुई , यह दोनों देशों की थल सेनाओं के बीच आयोजिक प्रथम आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण है , जिस का मकसद दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग साझेदारी संबंध को आगे बढ़ाना है।

चीनी व भारतीय थल सेनाओं के बीच आयोजित संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण का कोड नाम है हाथ मिलाओ –2007 । दोनों पक्षों ने इस में अलग अलग 103 जवान और प्रशिक्षण के निरीक्षण के लिए अपना अपना पर्यवेक्षक मंडल भेजे हैं ।

सूत्रों के अनुसार इधर के सालों में चीन और भारत के बीच प्रतिरक्षा क्षेत्र में आदान प्रदान उत्तरोत्तर घनिष्ठ होता गया । पिछले साल , भारतीय रक्षा मंत्री की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में आदान प्रदान व सहयोग बढ़ाने के बारे में समझदारी ममोरेंडम संपन्न किया, दोनों देशों ने एक दूसरे के सैनिक पर्यवेक्षक आमंत्रित भी किए । इस साल के शुरू में दोनों देशों की नौ सेनाओं के बीच संयुक्त सैनिक अभ्यास आयोजित हुआ । गत माह में दोनों के बीच रक्षा के क्षेत्र में प्रथम सलाह मशविरा हुआ । चीनी रक्षा मंत्रालय के वैदेशिक मामला कार्यालय के एशिया ब्यूरो के उप प्रधान वु शोई ने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में आदान प्रदान व सहयोग पर संपन्न समहति को मूर्त रूप देने के लिए दोनों ने मौजूदा संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण करने का निश्चय किया । उन्हों ने कहाः

मौजूदा आतंक विरोधी प्रशिक्षण का मकसद दोनों सेनाओं के बीच आपसी समझ और विश्वास बढ़ाना , आतंक विरोधी क्षेत्र में आदान प्रदान सुदृढ करना और आतंकवाद , अलगाववाद तथा उग्रवाद को धक्का पहुंचाना है। ताकि दोनों के शांति व समृद्धि उन्मुख रणनीतिक सहयोग साझेदारी संबंधों का सर्वांगीण विकास हो सके ।

प्रशिक्षण के लिए भारतीय टुकड़ी 19 तारीख को खुनमिंग पहुंची और चीनी पक्ष ने उन के खान पान और आवास का अच्छी तरह बंदोबस्त किया , जिस पर भारतीय सैन्य अफसर और जवान संतुष्ट हैं ।

भारतीय टुकड़ी के कमांडर ब्रिगेडिर जनरल श्री डी .एस. दाद्वाल ने कहा कि भारत चीन अच्छे पड़ोसी हैं , दोनों में आतंकवाद पर प्रहार तथा क्षत्रीय सुरक्षा व स्थिरता बनाए रखने में समान समझ और जिम्मेदारी है , ज्यादा आदान प्रदान से दोनों देशों व सेनाओं के संबंधों के विकास को बढ़ावा मिलेगा । उन्हों ने कहाः

मौजूदा प्रशिक्षण से हमारे बीच समझ और सहयोग और गहरा हो गया है . हम चीन के साथ आदान प्रदान , संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यास करने का इंतजार कर रहे हैं । मुझे पक्का विश्वास है कि प्रशिक्षण में शिरकत सभी भारतीय अफसर और जवान तथा हमारी दोनों सेनाएं इस प्रशिक्षण से लाभ पाएंगे ।

श्री दाद्वाल ने यह भी बताया कि अगले साल भारत चीनी सेना को भारत में संयुक्त प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित करेगा ।

21 तारीख को प्रशिक्षण के आरंभ की रस्म के बाद प्रशिक्षण में शामिल दोनों देशों के लोगों ने प्रथम चरण का प्रशिक्षण किया ,जिस में दोनों पक्षों ने तकनीक व युद्ध के बुनियादी मुद्दों का प्रदर्शन किया और एक दूसरे को अपना अपना हथियार व सामान प्रदर्शित किये तथा एक दूसरे के बंदुकों का इस्तेमाल कर गोलीबारी का अभ्यास किया।

सूत्रों के अनुसार प्रथम चरण के बाद संयुक्त प्रशिक्षण का दौर होगा , जिस में दोनों पक्ष मनोविज्ञानिक प्रशिक्षण , बाधा लांग प्रशिक्षण आदि विषयों पर प्रशिक्षण योजना बनाएंगे और निरीक्षण करेंगे और अनुभवों का आदान प्रदान करेंगे । अंत में दोनों पक्ष पहाड़ों पर आतंकवाद विरोधी लड़ाई लड़ने का अभ्यास करेंगे ।

प्रशिक्षण में शिरकत चीनी टुकड़ी के कमांडर मेजर जनरल शङ च्वोमिंग ने कहा कि मौजूदा प्रशिक्षण के सभी मुद्दे दोनों पक्षों द्वारा सलाह के जरिए तय हुए हैं और सभी व्यवहारिक हैं । उन्हों ने कहाः

मौजूदा प्रशिक्षण में आतंक विरोधी प्रशिक्षण के विषय आम तौर पर आतंक विरोध के उद्देश्य पर आधारित है , इस के बुनियादी विषय भी है और बहुमुखी अभ्यास के विषय भी । जिस से आतंक विरोध सवाल पर सिलसिलेवार प्रशिक्षण हो सकेंगे ।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता छिनकांग ने 20 तारीख को प्रश्नोत्तर में कहा कि मौजूदा चीन भारत संयुक्त आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण का मकसद दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग के साझेदारी संबंधों को आगे बढाना है , दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग मुख्य धारा है । वर्तमान में चीन भारत में सीमा सवाल के समाधान के बारे में राजनीतिक निर्देशन सिद्धांत पर सहमति प्राप्त हुई है । चीन भारत के साथ इस में प्रयास बढ़ाने को तैयार है । सीमा सवाल के संपूर्ण हल से पहले दोनों देशों के सीमांत क्षेत्रों में शांति , स्थिरता और अमनचैन बनाए रखना चाहिए , ताकि सीमा सवाल दोनों देशों के संबंधों के विकास में बाधा न बने ।