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(GMT+08:00) 2007-12-20 14:59:29    
मध्य चीन की प्रथम झील के नाम से नामी नानवान झील का दौरा

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नानवान झील पर्यटन क्षेत्र में जंगलों की खूब भरमार होती ही नहीं , बहुत से द्वीप और बहतरीन पारिस्थितिकी पर्यावरण उपलब्ध भी हैं , इतना ही नहीं , सघन शिनयांग चाय संस्कृति और नानवान मछली संस्कृति बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेती है । नानवान झील पर्यटन प्रबंधन ब्यूरो के उप प्रधान ल्यू पिन ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि हमारा नानवान झील पर्यटन क्षेत्र चार ए दर्जे वाले राष्ट्रीय पर्यटन स्थल , राष्ट्रीय जल संरक्षण प्राकृतिक क्षेत्र और राष्ट्रीय जंगल पार्क इन तीनों भागों से गठित है और वह मध्य चीन की प्रथन झील के नाम से जाना जाता है । नानवान झील का जल क्षेत्रफल 75 वर्गकिलोमीटर है , जो पूर्वी चीन के चचांग प्रांत की सुप्रसिद्ध पश्चिम झील की 12 गुनी बड़ी है । इस झील की सब से बड़ी विशेषता यह है कि विशाल स्वच्छ पानी में विभिन्न प्रकार वाले 61 छोटे बड़े टापू फैले हुए हैं और इन टापूओं में पक्षी टापू , बंदर टापू और गर्मी से बचना टापू पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रहे हैं ।

प्रिय दोस्तो , आज के इस साप्ताहिक कार्यक्रम चीन का भ्रमण में हम आप को मध्य चीन स्थित शिन यांग शहर में मध्य चीन की प्रथम झील के नाम से नामी नानवान झील के दौरे पर ले चलते हैं ।

नानवान झील पर्यटन स्थल शिन यांग शहर के दक्षिण पश्चिम भाग से पांच किलोमीटर की दूरी पर खड़ी हुई है , इस झील का कुल क्षेत्रफल कोई 75 वर्गकिलोमीटर बड़ी है , इस के अतिरिक्त राजकीय जंगल पार्क भी है । समूचा पर्यटन क्षेत्र नानवान झील को केंद्र बनाकर पहाड़ी जंगलों व विभिन्न रूपों वाले छोटे बड़े द्वीपों से बना हुआ है ।

नानवान झील पर्यटन क्षेत्र में जंगलों की खूब भरमार होती ही नहीं , बहुत से द्वीप और बहतरीन पारिस्थितिकी पर्यावरण उपलब्ध भी हैं , इतना ही नहीं , सघन शिनयांग चाय संस्कृति और नानवान मछली संस्कृति बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर खिंच लेती है । नानवान झील पर्यटन प्रबंधन ब्यूरो के उप प्रधान ल्यू पिन ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि हमारा नानवान झील पर्यटन क्षेत्र चार ए दर्जे वाले राष्ट्रीय पर्यटन स्थल , राष्ट्रीय जल संरक्षण प्राकृतिक क्षेत्र और राष्ट्रीय जंगल पार्क इन तीनों भागों से गठित है और वह मध्य चीन की प्रथन झील के नाम से जाना जाता है । नानवान झील का जल क्षेत्रफल 75 वर्गकिलोमीटर है , जो पूर्वी चीन के चचांग प्रांत की सुप्रसिद्ध पश्चिम झील की 12 गुनी बड़ी है । इस झील की सब से बड़ी विशेषता यह है कि विशाल स्वच्छ पानी में विभिन्न प्रकार वाले 61 छोटे बड़े टापू फैले हुए हैं और इन टापूओं में पक्षी टापू , बंदर टापू और गर्मी से बचना टापू पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रहे हैं ।

बातचीत करते करते हमारे संवाददाता नाव पर सवार होकर सब से प्रसिद्ध पक्षी टापू के लिये रवाना हुए । लगभग तीन चार किलोमीटर का रास्ता तय कर एक हरे भरे छोटे टापू पर पहुंच गये , स्थानीय लोग इस छोटे टापू को पा क्वा पहाड़ कहलाते हैं । पा क्वा पहाड़ के दक्षिण पश्चिम से पांच किलोमीटर की दूरी पर नानवान झील का प्रसिद्ध पक्षी टापू अवस्थित है । स्थानीय लोगों का कहना है कि पक्षी टापू का पूर्व नाम मंडप टापू था , कहा जाता है कि छिंग राजवंश के अंत में इस टापू पर छाओ नाम का दंपति रहता था , इस दंपति का एक बेटा भी था । बाद में किसी बीमारी से पति इस दुनिया से चल बसा , छाओ की पत्नी ने बड़ी कठोरता से अपने बेटे का पालन पोषण किया । इसी बीच उसे न जाने कितनी मुसीबतें झलनी पड़ी , पर किसी भी कठिन स्थिति होने पर वह दूसरी शादी करने को तैयार ही नहीं थी । बाद में राजा ने उस की प्रशंसा में इस टापू पर विशेष तौर पर एक मंडप खड़ा करवाया , तब से यह टापू मंडप टापू के नाम से नामी होने लगा । पर बाद में जलवायु परिवर्तन के साथ साथ विभिन्न किस्मों वाले पक्षी धीरे धीरे इसी टापू पर रहने आ जाते हैं , मंडप टापू के नाम की जगह पक्षी टापू ने ले लिया और अब यह टापू पक्षी टापू के नाम से जाना जाता है ।

इस पक्षी टापू पर कदम रखते ही पक्षियों की आवाज सुनायी देती ही नहीं , क्राड़ी कर रहे विविधतापूर्ण पक्षी झुंडों में दिखाई भी देते हैं । यहां हर वर्ष में हजारों लाखों विभिन्न रूपों वाले पक्षी आ बसते हैं , फिर चले जाते हैं । शी साइ पर्वत के सामने उड़ते अग्रेड दिखे और झुंडों में अगेड नीले आकाश पर मंडराते हुए उड़ रहे हैं जैसी प्राचीन कविताओं में इसी पक्षी टापू के अद्भुत प्राकृतिक दृश्य का वर्णन किया गया है । पर समझ में नहीं आता है कि नानवान झील पर्यटन क्षेत्र में कुल 61 छोटे बड़े टापू पाये जाते हैं , पर अग्रेड सिर्फ इसी शी साइ टापू पर रहना क्यों पसंद करते हैं । कारण यह है कि इस पक्षी टापू पर नाना प्रकार के पेड़ घने रूप से उगे हुए हैं , विशेषकर मा ली नामक पेड़ों की भरमार है । ऐसे पेड़ों के पतों से एक विशेष महक निकलती है और यह महक अग्रेड और दूसरी विस्मों वाले पक्षियों को बहुत पसंद है , अतः हर वर्ष हजारों लाख अग्रेड पक्षी दूर दूर से घौंसले बनाने और अंड्डे देने यहां आते हैं । इस के अलावा इस टापू पर छोटी नदियां जाल की तरह फैली हुई है , अग्रेड पक्षी इन छोटी नदियों के तट पर छोटी झींगा व मछली पकड़कर खाते हैं । यहां की श्रेष्ठ प्राकृतिक स्थिति की वजह से हर वर्ष के मार्च से नवम्बर के बीच करीब एक लाख अग्रेड पक्षी यहां रहने आते हैं ।