आप को मालूम हुआ होगा कि चीन के सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के उत्तर पश्चिम भाग में एक विशाल तेल क्षेत्र स्थित है , जिस के साथ उभरा तेल नगर खेलामायी चीन में बहुत मशहूर है । 29 अक्तूर 1955 को खेलामायी तेल क्षेत्र में नम्बर एक तेल कुआ से औद्योगिक तेल का उत्पादन शुरू हुआ था , इस के साथ ही साथ नए चीन का प्रथम विशाल तेल क्षेत्र यानी खेलामायी तेल क्षेत्र प्रकाश में आया । इस के दो साल बाद चीनी राज्य परिषद ने वहां खेलामायी शहर की स्थापना को अनुमोदन दिया । पिछले 50 से ज्यादा सालों के निरंतर विकास के फलस्वरूप अब खेलामायी नगर का बिलकुल कायापलट हो गया है ।
सिन्चांग के खेलामायी शहर का कुल क्षेत्रफल 9 हजार 500 वर्गमीटर है , जहां हान , उइगुर , कजाख आदि 40 जातियों के लोग रहते हैं , जिन की कुल जन संख्या तीन लाख 60 हजार है , अल्प संख्यक जातियों के निवासी यहां 23.5 प्रतिशत हैं । खेलामायी का उइगुर भाषा में अर्थ है काला तेल । यह नाम शहर के निकट खड़े एक श्याम तेल नामक पर्वत से पड़ा है , श्याम तेल पर्वत खेलामायी शहर के उत्तर पूर्व में स्थित है , उस की तलहटी से तेल निकलने के कारण जमा तेल के ऊंचे ऊंचे टीले बन गए और स्थानीय निवासियों ने उसे श्याम तेल पर्वत का नाम दिया । अतीत में स्थानीय लोग पहाड़ी तलहटी से निकले तेल का प्रयोग कर दीप जलाते थे और बैल गाड़ी की पहियाओं को चिकना बनाने में इस्तेमाल करते थे ।
यद्यपि इस क्षेत्र में प्रचूर मात्रा में तेल का भंडार होता है , तद्यपि अतीत में यहां की प्राकृतिक स्थिति अत्यन्त खराब थी और तेल संसाधन का कभी दोहन नहीं किया गया था । चीन में प्रचलित एक मशहूर गीत , जिस का नाम है खेलामायी का गान , के बोल से उस जमाने की दूभर स्थिति अभिव्यक्त हुई हैः
गीत के बोल में कहा गया है कि अतीत में जब मैं घोड़ा ले कर यहां आया था , तो मैं तुम्हारी हालत देखते ही रुक पड़ा , अनंत गोबी रेगिस्तान अग्नि सागर सा दिखता है । तुरंत मुड़ कर मैं यहां से चला पड़ा । ओ, खेलामायी , मैं तुम्हारे पास नहीं आना चाहता , तुम्हारी छाती पर न घास है , न पानी है और पक्षी भी यहां आने से डरती है ।
खेलामायी की प्राकृतिक स्थिति बेहद खराब जरूर होती थी , लेकिन नए चीन की स्थापना के बाद हजारों तेल मजदूर इस समृद्ध तेल क्षेत्र का विकास करने आए। उन के दसियों सालों के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप , अब खेलामायी का बिलकुल काया पलट हो गया । खेलामायी शहर के नगर पालिका के अधिकारी श्री थांग च्यान बालावस्था में मां बाप के साथ खेलामायी आए । उन के दिमाग में आज भी पुरानी पीढ़ि के मजदूरों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत का दृश्य ताजा बना रहा है । उन का कहना हैः
खेलामायी में चाहे पुराने निवासी हों , या नए , सभी लोग इस भूमि से गहन रूप से प्यार करते हैं । उन्हों ने यहां के तेल भंडार का दोहन करने तथा शहर का निर्माण करने में अपना सर्वस्व अर्पित किये हैं । तेल क्षेत्र के विकास के आरंभिक काल में उत्पादन और जीवन की स्थिति अत्यन्त कठोर थी । खेलामायी शहर के विकास के लिए हमारी पितृ पीढि के लोगों को असाधारण कठिनाइयां और मुश्किलें झेली थीं । उन की कड़ी मेहनत तथा कुर्बानी की भावना ने हमारी नयी पीढि पर अमिट छाप छोड़ी है । उन्हों ने जो कर्तव्यपरायण भावना का परिचय किया था , वह हमारे लिए प्रेरक शक्ति है ।
खेलामायी तेल क्षेत्र के निर्माण के लिए पिछली शताब्दी के पचास व साठ वाले दशकों में बड़ी संख्या में निर्माता देश के विभिन्न स्थानों से यहां आए और तेल क्षेत्र के विकास में जुट गए । तब से अब आधी शताब्दी बीत गयी है । असंख्य निर्माताओं के कठोर परिश्रम के फलस्वरूप अब खेलामायी एक ऐसा आधुनिक तेल क्षेत्र का रूप ले चुका है , जिस में तेल सर्वेक्षण , तेल ड्रेलिंग , वैज्ञानिक तकनीती अनुसंधान, तेल दोहन , तेल शोधन तथा पेट्रोरसायन और लोजिस्टिक सेवा की बहुमुखी व्यवस्था कायम हुई है ।
तेल क्षेत्र का बड़ा विकास हुआ है , पर शहर में पेय जल का अभाव निवासियों को परेशान करने की समस्या बन गयी है । खेलामायी में वर्षा की वार्षिक मात्रा महज 108 मिलीमीटर होती है , पानी की कमी होने तथा तेज हवा चलने तथा सूखा पड़ने के कारण यहां भूमि पर पानी का वाष्पीकरण हर साल 3000 मिलीमीटर होता है । पर्यावरण सवाल का शहर के निरंतर विकास और जन जीवन पर असर पड़ता है , इसलिए खेलामायी शहर में पर्यावरण सुधार का काम निहायत जरूरी बन गया है । चीनी तेल कापरेशन के सिन्चांग तेल प्रबंध ब्यूरो के वन इंजिनियरिंग विभाग के प्रधान श्री ई ह्वेफङ ने कहाः
खेलामायी तेल संसाधन पर आश्रित एक शहर है , अंततः शहर का विकास ठेठ प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करता है । ऐसे विशेषता वाले शहर के निरंतर विकास के लिए यहां पारिस्थितिकी गारंटी व्यवस्था कायम होना बहुत जरूरी है । हमें खेलामायी को सुरक्षित पारिस्थितिकी गारंटी व्यवस्था के तहत रखने की पूरी कोशिश करना चाहिए ।
वर्ष 2001 के वसंत में खेलामायी शहर का वन रोपन परियोजना शुरू की गयी । वर्ष 2003 तक करीब 7 हजार हैक्टरों की भूमि पर पेड़ लगाये जा चुके थे । वनरोपन के काम में स्थानीय लोगों ने रेगिस्तान में कृत्रिम वन क्षेत्र के निर्माण की विशेष तकनीक का सृजन किया , जिस से पेड़ों के पौधे तेज गति से बढ़ जाते हैं और कम समय में जंगल का रूप ले सकते हैं । अब 6 साल गुजरे हैं । वन रोपन के प्रथम स्थल की उच्चतम ऊंचाई पर दृष्टिपात किया जाए ,तो आप की आंखों के सामने हरियाली ही हरियाली फैली नजर आती है । श्री ई ह्वेफङ ने कहाः
शहर में इस प्रकार के पेड़ लगाए जाने के बाद यहां वर्षा की मात्रा उल्लेखनीय रूप से बढ़ती जा रही है और भूसतही पानी का वाष्पीकरण भी लगातार घटता जा रहा है। मौसम विभाग ने हमें एक आंकड़ा बताया है कि यदि भूसतही पानी का वाष्पीकरण 40 प्रतिशत घटा है , तो वर्षा की मात्रा 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी । इस के चलते जंगलों में पेड़ पौधों और वनस्पतियों की किस्में और तादादें भी बढ़ जाएंगी और जीव जंतुओं की संख्या बहुत ज्यादा हो जाएगी। हम जंगलों के बीच बेशुमार कृषि फसलें भी उगाते हैं , जिन में फल तरबूज और साग सब्जी आदि शामिल है , इन के अलावा बैल बकरी और मुर्गी बत्तख भी पाले जाते हैं । इस से खेलामायी शरह के नागरिकों को सुरक्षित और हरित खाद्य पदार्थ खाने को मिल जाता है ।
वर्तमान में खेलामायी शहर में हरियाली ढके क्षेत्रफल एक हजार पांच सौ हैक्टर तक पहुंचा है और औसतन हरेक शहरी निवासी के हिस्से में करीब दस वर्गमीटर की हरियाली ढकी भूमि बंटी है । खेलामायी का पूर्व सफेद खारी भूमि वाला क्षेत्र अब चीन के आदर्श मानव आबादी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।
खेलामायी नए चीन के तेल उद्योग का प्रथम विकास क्षेत्र है , शहर के विभिन्न स्थानों में चीन के तेल उद्योग के विकास के इतिहास की झलक मिलती है । वर्ष 2005 के मार्च में खेलामायी शरह चीनी राष्ट्रीय पर्यटन ब्यूरो द्वारा प्रथम जत्थे की राष्ट्रीय तेल उद्योग संबंधी पर्यटन स्थल की आदर्श मिसाल घोषित किया गया और वह सिन्चांग के औद्योगिक संस्कृति का प्रदर्शन करने वाला आदर्श शहर बन गया ।
तेल उद्योग संबंधी संस्कृति के अलावा खेलामायी में हर जगह अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने को मिलता है । यहां विश्वविख्यात पवन नगर से मशहूर स्थान है , जहां सदियों के कालांतर में प्राकृतिक परिवर्तन के कारण संपन्न हुए अनेकों दर्शनीय कुदरती सौंदर्य उपलब्ध है , अनेकों बड़ी छोटी पहाड़ी घाटियां और वादियां है , जिनसे तेज हवा गुजरने से विचित्र आवाज सुनाई देती है । रात को जब संनाटा समय में वह आवाज सुनी , तो अवश्व ही डर से शरीर की रोमें खड़ी हो जाती हैं । इसलिए स्थानीय लोग ऐसी जगह को भूत प्रेत नगर कहलाते हैं । यहां हरित जीवन से ओतप्रोत ऊंचे ऊंचे विलो पेड़ों वाली विशाल घाटी , मानव निर्मित वास्तु मकान और कुदरती नदियों से बना नौ ड्रैगन उद्यान आदि दर्जनों दर्शनीय रमणिक स्थल हैं । खेलामायी पर्यटन ब्यूरो के उप प्रधान श्री हु चुन ने कहाः
हम पर्यटन सेवा के प्रचार प्रसार पर बल देते हैं और इस के जरिए खेलामायी को पूरे देश और फिर पूरे विश्व से अवगत कराते हैं । इधर के सालों के प्रयासों से बहुत से लोगों ने खेलामायी के बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त किए हैं । बहुत से लोग खेलामायी की यात्रा पर भी आए हैं । हमारा लक्ष्य है कि खेलामायी को सिन्चांग के उत्तरी भाग का एक श्रेष्ठ पर्यटन स्थल बनाया जाए ।
पिछली आधी शताब्दी के विकास से खेलामायी न केवल चीन का अहम तेल उत्पादन क्षेत्र बना है , साथ ही चीन के उत्तर पश्चिम भाग का श्रेष्ठ पर्यटन शहर और मानव आबादी का आदर्श शहर बन गया है । अब खेलामायी पश्चिमी चीन का मरूभूमि सुन्दरी के नाम से संबोधित किया गया है । वह अपनी विशेष खूबसूरती और मोहन शक्ति से विभिन्न स्थानों के मित्रों का स्वागत करता है ।
खेलामायी का गान में अच्छा कहा जाता है कि आज मैं फिर खेलामायी आया हूं , हर जगह हरे भरे पेड़ और ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी नजर आती हैं , तेल कुओं पर ड्रेलिंग मशीनें गगन से बातें करती दिखाई देती हैं , मानो विशाल भूमि पर लाल रंग का कंबल बिछा हुआ हो . मैं अपने घोड़े को आगे तेज दौड़ने देता हूं और मैं नजदीक से नजदीक खेलामायी देखने का आतुर हो गया हूं ।
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