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(GMT+08:00) 2007-12-19 15:36:29    
मौसम परिवर्तन से निपटने के लिए मानव की संयुक्त कार्यवाही

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विश्व में सामाजिक विकास और प्रगति तेज होने के साथ साथ मानव के जीवन स्थल पृथ्वी पर मौसम और पर्यावरण दिनोंदिन बिगड़ता जा रहा है । वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र अन्तरसरकारी मौसम परिवर्तन विशेष कमेटी ने वर्ष 2007 के जलवायु परिवर्तन के बारे में आकलन रिपोर्ट जारी की , जिस में स्पष्ट शब्दों में पूरी पृथ्वी के गर्म होने की हालत इंगित की गयी , इस से जाहिर है कि मौसम परिवर्तन से निपटने की समस्या मानव के लिए एक अहम मुद्दा बन गया है।

13 दिन की कठोर वार्ता के बाद 15 दिसम्बर को इंडोनेशिया में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मौसम परिवर्तन सम्मेलन में मील का पत्थर स्वरूपी बाली रोड मैप प्रस्ताव पारित किया गया , इस दस्तावेज को पारित किए जाने के तथ्य से साबित हुआ है कि विभिन्न देशों ने मौसम परिवर्तन के प्रति गंभीर रवैया अपनाया है और साथ ही इस से पूरे विश्व का मौसम गर्म होने की संगीन समस्या भी प्रतिबिंबित हुई है ।

संयुक्त राष्ट्र मौसम परिवर्तन रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2080 तक विश्व में औसत तापमान 2 से 4 डिग्री तक उन्नत होगा और असामान्य मौसम भी हुआ करेगा तथा बेशुमार लोगों के जीवन और संपति की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी । उस समय जाकर उष्णकटिबद्ध आंधी तूफान अकसर एशिया व लातिन अमरीका के कुछ शहरों को नुकसान पहुंचा देगा और अन्य स्थानों में सूखे का संकट पैदा होगा एवं अफ्रीका व यूरोप के कुछ खेतीयुक्त क्षेत्र बंजर हो जाएंगे और जल स्रोत छीनने के लिए मुठभेड़ भी प्रायः हुआ करेंगे।

इस प्रकार की पृष्ठभूमि में विश्व के विभिन्न देशों की सरकारों ने मौसम परिवर्तन की गंभीरता समझ ली है और इस से निपटने के लिए कार्यवाही करना भी शुरू किया है । अफ्रीकी संघ के शिखर सम्मेलन से ले कर जी आठ के शिखर सम्मेलन तक और एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन के अनौपचारिक शिखर सम्मेलन से ले कर पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन तक सिलसिलेवार अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में मौसम परिवर्तन सवाल एक अहम एजेंडा बन गया है । संयुक्त राष्ट्र महा सचिव श्री बान कि मून ने नवम्बर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाताओं के प्रश्नोतर में कहाः

मौसम परिवर्तन एक अकाट्य तथ्य बन गया है , वैज्ञानिकों ने भी इस समस्या को स्पष्ट रूप से साबित कर दिया है । समझाने की कोई जरूरत नहीं है , सबूत पर्याप्त हो चुके हैं । अब इस से निपटने के लिए कार्यवाही करना चाहिए और आगा पीछा करने की फरसत नहीं रह गयी है , अभी ही कार्यवाही शुरू करना चाहिए ।

विश्व के सब से बड़े विकासमान देश होने के नाते चीन को विश्वव्यापी मौसम परिर्वतन से निपटने के लिए ठोस योगदान करना चाहिए । चीनी प्रधान मंत्री श्री वन चापाओ ने नवम्बर के उत्तरार्द्ध में सिंगापुर में आयोजित तीसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कहाः

चीन बड़ी जन संख्या वाला विकासशील देश है . चीन को गंभीरता के साथ संयुक्त और अलग कर्तव्य के सिद्धांत का स्पष्टीकरण करना चाहिए । चीन मौसम परिवर्तन के प्रति संजीदा रूख अपनाता है , क्योंकि चीन के विचार में यह समूचे मानव से संबद्ध मामला है । इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुशिलो ने बाली द्वीप सम्मेलन में संयुक्त और अलग कर्तव्य के सिद्धांत का व्याख्या करते समय विकसित देशों से विश्वव्यापी मौसम गर्म होने की रोकथाम के लिए अपना कर्तव्य निभाने की अपील कीः

विकिसित देशों को विश्वव्यापी मौसम गर्म होने के लिए ऐतिहासिक जिम्मेदारी उठानी चाहिए । वे खुद भी समझ गए है कि उन्हें प्रदूषण उत्सर्जन के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए , साथ ही विकासशील देशों के साथ अधिक सहयोग करना चाहिए ।

यह बताना जरूरी है कि बाली रोड मैप असल में एक सुलह समझौते का दस्तावेज है , उस में 2010 के बाद विकसित देशों के लिए प्रदूषण उत्सर्जन के लक्ष्य नहीं तय किए गए , इसलिए मौसम परिवर्तन के सवाल को सच्चे माइने में हल करने के लिए विभिन्न देशों को और कठोर प्रयास करने की जरूरत है और उन्हें सहयोग कर उपलब्धि प्राप्त करने की कोशिश करना चाहिए । जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून ने कहा कि यह समाप्ति नहीं है । हमारे सामने बहुत से जटिल , कठिन और दीर्घकालिक वार्ता होगी । लेकिन बाली द्वीप रोड मैप ने हमारे लिए एक ठोस रास्ता दिखाया है । मेरे विचार में यह एक बहुत अच्छी शुरूआत है ।