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(GMT+08:00) 2007-12-17 15:17:35    
कोरिया गणराज्य के कांसुलर का चीन से प्यार

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चीन के शानतुंग प्रांत भौगोलिक दृष्टि से कोरिया गणराज्य के नज़दीक है । इधर के वर्षों में शानतुंग प्रांत में पूंजी लगाने आने वाले दक्षिण कोरियाई लोगों की संख्या लगातार बढ़ती गयी । वे चीन में मेहनत से काम करते हैं और सुखचैन का जीवन बिता रहे हैं, उन्होंने चीन कोरिया गणराज्य के आर्थिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान व स्थानीय समाज के विकास के लिए भारी योगदान किया है। आज के इस लेख में आप को कोरिया गणराज्य के एक कांसुलर की कहानी से अवगत किया जाएगा ।

श्री किमसुन होंग पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत के छिंगताओ शहर स्थित कोरिया गणराज्य के जनरल कांसुलेट के कांसुलर हैं । वे एक स्नेह भाव वाले राजनयिक हैं और धारावाही चीनी भाषा बोल सकते हैं ।

" चीन के साथ मेरा का संबंध बहुत घनिष्ठ और पुराना है । वर्ष 1982 में मैं ने चीन के थाईवान प्रांत की राजधानी थाईपे शहर में एक साल तक चीनी भाषा सीखा । बीस सालों के बाद मैं ने दक्षिण चीन के शांगहाई शहर में ढाई साल काम किए और इस के बाद मैं सीधे पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत में आ गया हूं । अब यहां रहते हुए मुझे एक साल हो चुका है । मेरे तीन बेटों में से दो का जन्म चीन में हुआ है । मुझे लगत है कि मेरा चीन के साथ गाढ़ा घनिष्ठ संबंध रहा है ।"

श्री किमसुन होंग ने कहा कि बीस साल पूर्व चीन के थाईपे शहर जाकर चीनी भाषा सीखने के बाद उन का भाग्य चीन से जुड़ गया । उन्होंनेकहा कि अपने तीन बच्चों में से दूसरा बच्चा चीन के थाईपे शहर में जन्मा था और तीसरे बच्चे का जन्म शांगहाई शहर में । श्री किम सुन होंग ने मुस्कराते हुए कहा कि किस्मक का बदा हुआ है कि स्वयं उन के और उन के बच्चों का जीवन चीन के साथ घनिष्ठ रूप से बंध गया है और उनके परिवार के सभी सदस्य चीन के प्रति एक विशेष प्यार स्नेह की भावना रखते हैं ।

पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत का छिंगताओ शहर और दक्षिण कोरिया समुद्र के दोनों पार आमने सामने खड़े हैं और दोनों के बीच भौगोलिक दूरी अधिक नहीं है और एक दूसरे को देख सकता है । प्राचीन समय से ही इन दो क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक आवाजाही तथा आर्थिक व व्यापारिक आदान प्रदान हुआ करता आया है । कोरिया गणराज्य के ह्युंदाई ग्रुप के एक बोर्ड अध्यक्ष ने कहा था कि कोरिया गणराज्य में एक कहावत है कि जब कोरिया गणराज्य के यनच्वान बंदरगाह में लोग सुबह उठते है , अगर उस समय मौसम अच्छा है, तो उन्हें सामने स्थित चीन के शानतुंग प्रांत के छिंगताओ शहर में मुर्ग़ा बांग देते सुनाई दे सकता है । इस कहावत से जाहिर है कि दोनों क्षेत्रों के बीच दूरी बहुत कम है । शानतुंग प्रातं की श्रेष्ठ भौगोलिक स्थिति, पूंजी निवेश के बेहतरीन वातावरण, सामंजस्यपूर्ण जीवन वातावरण तथा प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा ने बड़ी संख्या में दक्षिण कोरियाई लोगों को अपनी और बरबस खींच लिया है । इस की चर्चा में कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा:

"कोरिया गणराज्य की संस्कृति और चीन के शानतुंग प्रांत की संस्कृति मिलती-जुलती है । लम्बे अरसे से कोरिया गणराज्य की संस्कृति शानतुंग से प्रभावित रहती आयी है । चीन के कंफ्युसेयस और मङसेयस की विचारधारा कोरिया गणराज्य की संस्कृति की बुनियाद है । इस के साथ ही कोरिया गणराज्य की संस्कृति में अनेक अन्तगर्भित विषय शानतुंग प्रांत से मिले हुए हैं । कोरिया गणराज्य के लोग चीनी प्राचीन उपन्यास《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》को बहुत पसंद करते हैं । कोरिया गणराज्य में चीनी संस्कृति के चिन्ह जो मिलते है , उन के अधिकांश भाग शानतुंग प्रांत से संबद्ध है । मसलन्, कोरिया गणराज्य में लोकप्रिय रहे कंफ्युसेयस, मङ सेयस , उपन्यास《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》में वर्णित 108 वीर बागी ,《सुन ची युद्ध रणकौशल 》के लेखक सुन वु और चीपो शहर के मशहूर प्राचीन राज सलाहकार च्यांग थाई कोंग आदि ऐतिहासिक हस्ती शानतुंग प्रांत से संबंधित हैं ।"

दक्षिण कोरियाई कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा कि वे खुद चीनी संस्कृति के प्रेमी हैं । मीडिल स्कूल में उन्हें चीनी उपन्यास विशेष कर वीर शूरों की कहानी और चीनी कुंगफ़ू वाले उपन्यास अत्यन्त पसंद थे । बीस और तीस वर्षों के बाद भी युवावस्था में पढ़े उपन्यासों के चीनी लेखक वो लुंगशङ और चिनयोंग आदि के नाम उन की याद में ताजा बने है । श्री किम सुनहोंग ने कहा कि चीनी कुंगफ़ू वाले उपन्यास के अलावा वे विशेष तौर पर शानतुंग प्रांत की संस्कृति को पसंद करते हैं । कोरिया गणराज्य में उन्होंने लगन से《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》और《सुन ची रण कौशल》आदि रचनाएं पढ़ी और शानतुंग प्रांत आने के बाद एक बार फिर《ल्यांगशान पर्वत के एक सौ आठ वीर बागियों की कहानी》पढ़ा और भूले हुए कुछ कथा विषय एक बार फिर याद में आ गए ।

मिलती-जुलती भौगोलिक स्थिति और जलवायु के कारण ज्यादा से ज्यादा कोरिया गणराज्य के लोग पूंजी निवेश करने, पढ़ने और काम करने के लिए चीन आते हैं । परिचय के अनुसार वर्तमान में कोरिया गणराज्य की पूंजी से स्थापित कारोबारों द्वारा शान तुंग प्रांत में लगाई गई पूंजी की राशि बीस अरब अमरीकी डालर को पार कर गई, जो चीन में लगाई गयी कुल दक्षिण कोरियाई पूंजी का 57 प्रतिशत बनता है । इस तरह शानतुंग प्रांत कोरिया गणराज्य का सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है । कोरिया गणराज्य के कारोबार क्यों शानतुंग प्रांत को पसंद करते हैं?कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा कि भौगोलिक स्थिति के अलावा दूसरे अनेक कारण भी हैं । उन्होंने कहा:

"शानतुंग प्रांत का जलवायु, रीति रिवाज़ और खान पान कोरिया गणराज्य के बराबर होते है , इस के साथ ही उस की भौगोलिक स्थिति भी अच्छी है । शानतुंग वासी बहुत मेहमाननवाज और खुले स्वाभाव के हैं । मुझे लगता है कि यहां के माहौल में कोरिया गणराज्य के लोगों को जरा भी परेशानी नहीं महसूस होती है । वे शानतुंग को विदेश के बजाए अपनी जन्मभूमि जैसी समझते हैं।"

कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा कि इधर के वर्षों में चीन में कोरिया गणराज्य द्वारा लगाई गई पूंजी का पैमाना लगातार बढ़ रहा है । अब तक मात्र चीन के शानतुंग प्रांत में कोरिया गणराज्य के दस हज़ार से अधिक कारोबार हैं, जिन में छह हज़ार छिंगताओ में स्थित हैं । वर्तमान में शानतुंग प्रांत में कोरिया गणराज्य की भाषा और चीनी भाषा बोलने वाले व्यक्तियों की संख्या भी ज्यादा है । आंकड़ों के अनुसार शानतुंग के विभिन्न विश्वविद्यालयों में 17 हज़ार चीनी लोग कोरिया गणराज्य की भाषा सीख रहे हैं । इस के साथ ही शानतुंग के विभिन्न कॉलजों में चीनी भाषा सीखने वाले दक्षिण कोरियाई लोगों की संख्या दस हज़ार को पार कर गई । इन के अलावा, शानतुंग प्रांत में दो लाख चीनी कोरियाई जाती के लोग रहते हैं । ये लोग चीन और कोरिया गणराज्य दो राष्ट्रों की आवाजाही और सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । छिंगताओ स्थित कोरिया गणराज्य के कांसुलर श्री किम सुन होंग ने कहा:

"इन लोगों को चीनी भाषा और कोरिया गणराज्य की भाषा बोलना आता है और वे दोनों देशों के आर्थिक व सांस्कृतिक आदान प्रदान से प्राप्त उपलब्धियों का उपभोग कर रहे हैं । मेरा विचार है कि यदि राष्ट्रिकता से ऊपर उठ कर भाषा के मुताबिक लोगों का वर्गीकरण किया जाए, तो इन लोगों को चीनी व कोरियाई भाषा बोलने वाली जाति कहा जा सकता है । मुझे लगता है कि इस प्रकार की जाति के निरंतर विकास से चीन कोरिया गणराज्य संबंध के विकास, यहां तक कि पूर्वी एशियाई क्षेत्र की शांति व स्थिरता के लिए भी भारी योगदान किया जा सकेगा ।"

श्री किम सुन होंग ने कहा कि चीनी और कोरिया गणराज्य की संस्कृति मिलती-जुलती है, इस तरह चीन में रहने वाले कोरिया गणराज्य के लोग शीघ्र ही चीनी समाज में समावेश हो सकते हैं । चीन के विकास और परिवर्तन हर पल उन पर प्रभाव डालते हैं । दोनों देशों की आवाजाही के दूत बनना और चीन कोरिया गणराज्य मैत्री में नया अध्याय जोड़ना चीन में रहने वाले सभी कोरिया गणराज्य के लोगों की समान अभिलाषा है ।