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(GMT+08:00) 2007-12-14 16:18:35    
ईरानी नाभिकीय सवाल पर मंडराता हुआ बादल हटने लगा

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गत 24 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने ईरानी नाभिकीय सवाल संबंधी नया प्रस्ताव प्रारूप पारित कर ईरानी नाभिकीय व मिसाइल योजना से जुड़े क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगने पर जोर दिया है । लेकिन ईरान इसी संदर्भ में पीछे हटने के बजाये अपना नाभिकीय कार्यक्रम स्थिर रूप से आगे बढ़ाने में फिर भी लगा हुआ है । 2007 वर्ष में ईरानी नाभिकाय सवाल को लेकर एक दूसरे का मुकाबला करने में काफी तेजी लायी है , इस वर्ष के अंत में अमरीकी खुफिया विभाग द्वारा राष्ट्रीय सूचना आंकलन रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के बाद ईरानी नाभिकीय सवाल पर मंडराता हुआ काला बादल हटने लगा है । 2008 में हालांकि विभिन्न संबंधित पक्ष ईरानी नाभिकीय सवाल को लेकर छीना झपटी करते रहेंगे , लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि परिस्थिति आम तौर पर ईरान के लिये लाभदायक है ।

ईरान औद्योगिकरण नाभिकीय ईंधन बनाने में सक्षम है और वह विधिवत रूप से नाभिकीय तकनाक प्राप्त देशों की पंक्ति में बढ़ रहा है । ईरानी राष्ट्रपति नेजाद ने गत 9 अप्रैल को औपचारिक तौर पर उक्त घोषणा की है ।

गत 28 अगस्त को ईरानी राष्ट्रपति नेजाद ने फिर एक बार यह घोषित किया है कि ईरान एक नाभिकीय देश बन चुका है और वह नाभिकीय ऊर्जा का शांतिपू्र्वक प्रयोग करना जारी रखेगा ।

इस बात से अमरीका बेहद नाराज है । गत 25 अक्तूबर को अमरीका ने एक तरफा तौर पर ईरान के खिलाफ नया प्रतिबंधात्मक कदम उठाने की घोषणा की है । फिर दोनों पक्षों ने ईरानी नाभिकीय सवाल को लेकर एक दूसरे के मुकाबले का दर्जा बढ़ा दिया है ।

सौभाग्य की बात है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने उक्त सवाल पर काफी विवेकपूर्ण व धैर्यशील रूख अपनाया है । अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के महा निदेशक बारादी ने बार बार यह दोहराते हुए कहा कि ईरानी नाभिकीय सवाल के समाधान की कुंजी वार्तालाप ही है । चीनी विदेश मंत्री यांग चेह छी ने भी अनेक बार जोर देकर कहा कि राजनयिक माध्यम के जरिये ईरानी नाभिकीय सवाल का समाधान किया जायेगा । रूसी विदेश मंत्री लोवरोव ने भी कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से ईरानी नाभिकीय सवाल का समाधान करना जरूरी है । उन का कहना है हमें पक्का विश्वास है कि आज की दुनिया में बल प्रयोग से किसी भी सवाल का समाधान नहीं हो पायेगा , ईरानी नाभिकीय सवाल निस्संदेह इस का अपवाद भी नहीं है ।

ईरान ने प्रतिबंध के सामने हालांकि कड़ा रूख अपनाया है , पर उस ने वार्ता का गेट बंद नहीं किया । ईरानी राष्ट्रपति नेजाद ने भी बारंबार यह दोहराया है कि समानता की शर्त तले वार्ता करने की संभावना का बहिष्कार नहीं है । गत 9 अप्रैल को उन्हों ने कहा ईरान हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के साथ सहयोग का रुख अपनाये हुए है और उस ने इसी संगठन को अपने नाभिकीय संस्थापनों की जांच पड़ताल करने की इजाजत भी दे दी है । ईरानी नाभिकीय कार्यक्रम खुला और पारदर्शी है और वह अभी तक नाभिकीय ऊर्जा का शांतिपूर्वक प्रयोग करने के दायरे से बाहर नहीं है ।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के महा निदेशक बारादी ने गत 23 जून को तत्कालीन ईरानी प्रथम वार्ताकार अली लारिजानी के साथ वार्ता करने के बाद कबूल किया है कि ईरान का सचमुच ही अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के साथ सहयोग करने का इरादा है । उन्हों ने कहा अली लारिजानी ने ईरान सरकार की ओर से जता दिया है कि ईरान अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के साथ संबंधित सवालों के समाधान के लिये सहयोग करने को तैयार है । ईरानी वायदे से जाहिर है कि वह अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा संस्था के साथ सभी महत्वपूर्ण सवालों पर विचार विमर्श करना चाहता है ।

लेकिन अमरीका इसे मानने को तैयार नहीं है , जब उस ने दूसरे देशों के साथ ईरान के खिलाफ और नये कड़े प्रतिबंध लगाने की कोशिश की है , तो इसी माह की तीन तारीख को अमरीकी खुफाया विभाग ने जारी एक रिपोर्ट में मान लिया है कि ईरान 2003 में ही अपनी नाभिकीय शस्त्र परियोजना बंद कर चुका है ।

अमरीकी अरिज़ोना युनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सवाल विशेषज्ञ गोर्जाक का विचार है कि उक्त रिपोर्ट प्रकाशित होने का वक्त ईरान के लिये फायदेमंद है । सक्षेप में कहा जाये , आगामी 2008 में आम परिस्थिति अमरीका के बजाये ईरान के लिये अनुकूल होगी ।

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