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(GMT+08:00) 2007-12-13 15:42:19    
चीन व भारत के मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान के पुल की स्थापना

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चीन व भारत अच्छे पड़ोसी देश हैं जो हिमालय पर्वत से आपस में जुड़े हुए हैं । प्राचीन काल में ही दोनों देशों के बीच परम्परागत मैत्री की स्थापना हुई थी। यह मित्रता सदियों से रेश्म मार्ग और घुड़ चाय मार्ग से चीन और भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों के बीच मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान बनाए रखी हुई है। वर्ष 1952 में चीन में गैरसरकारी मैत्री संगठन चीन-भारत मैत्री संघ की औपचारिक स्थापना हुई। उस ने चीन व भारत दोनों देशों के आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक व स्वास्थ्य आदि विभिन्न क्षेत्रों में आदान प्रदान व सहयोग बढ़ाने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हाल ही में चीन-भारत मैत्री संघ की स्थापना की 55वीं वर्षगांठ का एक समारोह पेइचिंग में भव्य रूप से आयोजित हुआ।

यों नवम्बर के माह में पेइचिंग का मौसम बहुत सर्द हो रहा है, किन्तु चीनी जन मैत्री संघ के भवन में तो वसंत काल जैसा गर्मागर्म माहौल छाया रहा है। चीन-भारत मैत्री संघ की स्थापना की 55वीं वर्षगांठ का समारोह यहां आयोजित हो रहा है। चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के उपाध्यक्ष, चीन-भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष च्यांग जडं ह्वा, चीनी वैदेशिक मैत्री संघ के उपाध्यक्ष फडं च्वो खू, चीन स्थित भारतीय राजदूत सुश्री निरुपमा राव तथा चीन के विभिन्न सामाजिक तबकों से आये कुल 120 से ज्यादा लोग इक्ट्ठे हो कर चीन व भारत की मैत्री के इतिहास का सिंहावलोकन किया और चीन-भारत मैत्री संबंध के विकास के लिए अच्छे अच्छे सुझाव पेश किये। संघ ने अपनी नयी परिषद के सदस्य भी चुने ।

वर्ष 1950 में चीन व भारत के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई। भारत चीन लोक गणराज्य को मान्यता देने वाला प्रथम गैर समाजवादी देश है। चीन-भारत मैत्री संघ भी चीन में सब से पहले स्थापित की गयी गैर सरकारी मित्रता संस्थाओं में से एक है, जिस ने दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संगठनों के आदान प्रदान के लिए एक प्लेटफार्म कायम किया है। चीन-भारत मैत्री संघ की स्थापना के पिछले 55 वर्षों में उस ने चीन व भारत दोनों देशों की जनता के बीच समझदारी व मैत्री को प्रगाढ़ करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के आदान प्रदान व सहयोग बढाने के लिए उल्लेखनीय योगदान किया है। चीन-भारत मैत्री संघ के उपाध्यक्ष श्री फड़ं च्वो खू ने चीन-भारत मैत्री संघ का उच्च मूल्यांकन किया और ने कहाःपिछले 55 वर्षों में चीन-भारत मैत्री संघ ने जनता के बीच मैत्री को महत्व देकर व्यापक भारतीय जनता के साथ मित्रता का रिश्ता कायम किया। संघ ने दोनों देशों की जनता के बीच मित्रता को प्रगाढ़ करने के लिए अच्छा आधार स्थापित किया है।

आदान प्रदान चीन व भारत की जनता की सद्भाव व मैत्री को मजबूत करने का आधार है। अपनी स्थापना के बीद चीन-भारत मैत्री संघ ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत के विभिन्न वर्गों के संगठनों के साथ सिलसिलेवार मैत्री गतिविधियों का आयोजन किया है। वर्षों से चीन भारत मैत्री संघ ने भारत-चीन मैत्री संघ, अखिल भारतीय कोटनीस स्मृति कमेटी , भारतीय वैदेशिक मैत्री संघ आदि 10 से ज्यादा संगठनों के साथ अच्छा संपर्क बरकरार रखा हुआ है।

21वीं शताब्दी में प्रवेश होने के बाद चीन व भारत के बीच मैत्रीपूर्ण आवाजाही का निरंतर विकास होता जा रहा है, उच्च स्तरीय आपसी यात्रा दिन ब दिन व्यस्त हुआ करती है, व्यापार की कुल रक्म भी दिन ब दिन बढ़ती रहती है। चीन व भारत के संबंध में विकास की अच्छी प्रवृत्ति बनी रही है। गत वर्ष चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने भारत की सफलतापूर्ण यात्रा की, जिस से दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग संबंधों को सार्थक रूप से उन्नत किया गया है। चीन व भारत का द्विपक्षीय संबंध चतुर्मुखी विकास के नये दौर में प्रवेश कर गया है। नयी परिस्थिति के मद्देनजर चीन-भारत मैत्री संघ ने तदनुरुप संगठनात्मक रुपांतरण भी किया। अभी अभी निर्वाचित संघ की नयी परिषद में चीन की आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक आदि विभिन्न जगतों के सदस्य शामिल हैं, जिन में विशेषज्ञ, विद्वान , विदेशों में स्थित चीनी राजदूतों और विभिन्न स्थानीय मैत्री संघों के जिम्मेदार व्यक्ति जैसे जाने माने लोग शामिल हैं , जिस से संघ का संगठनात्मक दायरा पहले से कहीं अधिक विस्तृत हो गया है । 

नयी परिषद के भावी कार्य की चर्चा में श्री फडं च्वो खू ने विचारधारा को मुक्त करने, नए सृजन की कार्य दृष्टि और कार्य तरीके पर कायम रहने, कार्य के नये क्षेत्र ढूंढने की निर्देशक दिशा प्रस्तुत की है। उन्होंने बताया कि भविष्य में चीन-भारत मैत्री संघ के कार्य का केंद्र आदान प्रदान और आवाजाही बढाने और और विस्तृत संपर्क कायम करने में होगा। अगले साल, चीन-भारत मैत्री संघ अपने निश्चित लक्ष्यों को आंजम करने के लिए सिलसिलेवार आदान प्रदान गतिविधियों का आयोजन करेगा।

अगले वर्ष , भारतीय मेडिकल मिशन के चीन आने की 70वीं वर्षगांठ होगी । मौके पर, चीन-भारत मैत्री संघ संबंधित गतिविधियों का आयोजन करेगा , जिन में भारतीय मेडिकल मिशल के बारे में डाक्युमेंट्री फिल्म बनाना, चीन-भारत मैत्री संबंधी पुस्तक का प्रकाशन करना और चीन व भारत के युवा डॉक्टरों से गठित एक संयुक्त चिकित्सा दल की स्थापना करना आदि शामिल हैं। चीनी कोटनीस चिकित्सा दल चीन-भारत मैत्री संघ द्वारा डॉक्टर कोटनीस की याद में गठित एक दल है, जिस की स्थापना वर्ष 1996 में हुई थी। हर वर्ष, यह चिकित्सा दल युवा डॉक्टरों को संगठित कर चीन के शानतुंग, शानशी, हबेई व हनान आदि तत्काल डॉक्टर कोटनीस के कार्यरत क्षेत्रों में जा कर रोगियों का मुफ्त इलाज करता है। डॉक्टर कोटनीस की कहानी व्यापक चीनी लोगों की जुबान पर है। कठोर युद्धरत काल में भारतीय सुपुत्र डॉक्टर कोटनीस ने चीन को सहायता देने वाले भारतीय मेडिकल मिशन के सदस्य के रूप में दूर दूर भारत से चीन आये। उन्होंने न जाने कितने युद्ध में घायल सैनिकों व आम चीनी रोगियों का इलाज किया था। अंत में अपने असाध्य रोग और कड़ी मेहनत के कारण उन का उत्तरी चीन में दैहांत हो गया। डॉक्टर कोटनीस अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी भावना से ओतप्रोत योद्धा थे और चीनी जनता के घनिष्ट पुराना मित्र भी । अनेकों वर्षों के बाद भी चीनी जनता में उन की यादा ताजा रहती है और चीनी लोग कभी भी उन्हें नहीं भूलती है। हर वर्ष चीन-भारत मैत्री संघ डॉक्टर कोटनीस की याद में तरह तरह की गतिविधियों का आयोजन करता है। कोटनीस चिकित्सा दल के प्रधान श्री रन मींग काओ चीन-भारत मैत्री संघ के पुराने सदस्य हैं, जिन्होंने चीन-भारत मैत्री कार्य के लिए 20 से ज्यादा वर्षों से काम किया है। अब हालांकि वे वृद्ध बन गये हैं, फिर भी चीन-भारत मैत्री संघ में व्यस्त रहे हैं। इस बार भी श्री रन मींग काओ को परिषद के नये सदस्य चुने गये। उन्होंने कहा कि वे चीन व भारत की मैत्री के लिए अपना योगदान देने की भरसक कोशिश करेंगे ।

हमें और ज्यादा काम करना है। हमें ठोस कदम के साथ यथार्थ काम करना है। हम भारत जाऐंगे और भारतीय मित्र हमारे यहां आऐंगे। आशा है कि चीन व भारत के बीच और ज्यादा आदान प्रदान और आवाजाही दोनों देशों की मैत्री को प्रगाढ़ करेगी।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों की जनता को डॉक्टर कोटनीस की भावना को हमेशा के लिए याद रखने और चीन व भारत की जनता के बीच बिरादराना मैत्री को निरंतर आगे विकसित करने के लिए चीन-भारत मैत्री संघ चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की गतिविधि को व्यवस्थाकृत बनाएगी। चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की गतिविधियों को चीन स्थित भारतीय दूतावास से भी भारी समर्थन व मदद हासिल हुई है। चीन स्थित भारतीय राजदूत सुश्री राव ने जल्द ही स्थापित होने वाले चीन-भारत संयुक्त चिकित्सा दल की चर्चा में कहा, जब डॉक्टर कोटनीस चीन में आये थे, वे एक युवक थे, इसलिए हम भी 35 से कम उम्र वाले डॉक्टरों को आमंत्रित करके चीन व भारत दोनों देशों के गरीब क्षेत्रों की जनता के लिए इलाज करने भेजेंगे। हम आशा करते हैं कि इसी गतिविधि से मैत्री का मशाल नयी पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा।

चीन व भारत ये दो पुरानी सभ्यता वाले देश घनिष्ठ पड़ोसी हैं, दोनों ने शानदार प्राचीन सभ्यता तैयार की थी । अब दोनों देश चीन-भारत मैत्री के सुन्दर अध्याय जोड़ने जा रहे हैं। वर्ष 2005 चीनी प्रधान मंत्री ने भारत की यात्रा की थी और उन्होंने दोनों देशों के संबंधों का उच्च मूल्यांकन किया। उन्होंने कहा कि चीन व भारत द्वारा सहयोग करने से ही एशिया में चिरस्थायी शांति की स्थापना की जा सकेगी। हमें आशा है कि चीन व भारत दोनों देशों की जनता परम्परागत मैत्री को और विकसित करके मैत्रीपूर्ण आदान प्रदान व हिन्दी चीनी भाई भाई की भावना को आगे बढ़ाएगी। चीन-भारत संबंध के भविष्य के प्रति चीनी जन वैदेशिक मैत्री संघ के अध्यक्ष च्यांग जडं ह्वा को पूरा विश्वास है।हमें उम्मीद है कि हम नयी परिस्थिति से प्रस्थान होकर चीन व भारत के आपसी विश्वास को और मजबूत करेंगे और द्विपक्षीय आदान प्रदान व आवाजाही के लिए सक्रिय योगदान प्रदान करेंगे। हम समाज के विभिन्न तबकों के साथ हाथ में हाथ मिलाकर चीन-भारत मैत्री का नया अध्याय जोड़ने की कोशिश करेंगे।