इजराइल और फिलिस्तीन के वार्ता प्रतिनिधियों के बीच 12 तारीख को यरूशल्म में नए दौर की शांति वार्ता आयोजित हुई । यह फिलिस्तीन इजराइल शांति प्रक्रिया के अवरूद्ध होने के सात सालों के दौरान और फिलिस्तीनी व इजराइली नेताओं द्वारा नवम्बर माह में पुनः शांति वार्ता शुरू करने की घोषणा की जाने के बाद दोनों पक्षों में चला प्रथम औपचारिक सलाह मशविरा है । लेकिन यह वार्ता ज्यादा प्रतीकात्मक महत्व की साबित हुई है और इस के महत्व के कम मूल्यांकन के साथ संपन्न हो गयी है ।
फिलिस्तीन और इजराइल के बीच इस दौर की वार्ता पत्रकारों को कवर करने नहीं दिये जाने की हालत में आरंभ हुई थी । नए दौर की वार्ता में शुरू से ही तनाव का माहौल छाया था । पूर्व योजना के अनुसार वार्ता से पहले यरूशलम के सब से बढ़िया होटल किंग डाविड में वार्ता के बारे में प्रचार प्रसार तथा वार्ता के आरंभ की रस्म भी रद्द कर दी गयी । वार्ता शहर के एक अन्य होटल में गुप्त रूप से की गयी और 90 मिनटों के बाद ही जल्दबाजी से समाप्त हुई । वार्ता के बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्री मेकेल ने कहा कि दोनों के बीच आने वाले दो हफ्तों के भीतर पुनः वार्ता करने की सहमति छोड़ कर अन्य किसी विषय पर सहमति प्राप्त नहीं हुई ।
विश्लेषकों का कहना है कि वार्ता के इस प्रकार का परिणाम निकलने के निम्न कई कारण हैः
एक , फिलिस्तीन और इजराईल दोनों साफ साफ जानते हैं कि यरूशल्म का स्थान , फिलिस्तीनी शरणार्थियों की वापसी , अंतिम सीमा आदि संवेदनशील सवालों पर दोनों के बीच जो भारी मतभेद मौजूद है , वे एकबारगी की वार्ता से नहीं हल किए जा सकते हैं । इसलिए मौजूदा वार्ता से पहले ही दोनों ने वार्ता के लिए विचारार्थ विषय नहीं तय किए , जबकि केवल भावी वार्ता के तौर तरीके पर विचार विमर्श करने का फैसला किया था । मीडिया के अनुसार वार्ता सिर्फ तकनीक और कार्यविधि के सवाल से जुड़ी है । इसलिए कहा जा सकता है कि फिलिस्तीन इजराइल सवाल के जटिल होने की स्थिति के मद्देनजर और वार्ता की विफलता तथा हताश से बचने के लिए दोनों पक्षों ने वार्ता से पहले ही वार्ता पर कम उम्मीद बांधने का निश्चय किया ।
दो , इजराइली पक्ष ने चार तारीख को पूर्वी यरूशल्म में यहुदि बस्तियों के विस्तार के लिए निविदन करने की योजना घोषित की थी । इस योजना के अनुसार इजराइल यरूशल्म के दक्षिण पूर्व किनारे पर स्थित हार होमा पहाड़ पर 307 मकानों की एक नयी रिहाइशी बस्ती निर्मित करना चाहता है । यह फिलिस्तीनी पक्ष , जो शुरू से अब तक पूर्वी यरूशल्म को फिलिस्तीन देश की राजधानी बनाने का पक्ष लेता आया है , के लिए अस्वीकार्य है । इस के अलावा , इजराइल ने 11 तारीख को गाजा में सैनिक कार्यवाही चलाई , जिस में इजराइली सेना की दर्जनों टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां गाजा में घुस गयीं और आठ फिलिस्तीनी सशस्त्र व्यक्ति मारे गए । इजराइल की इस कार्यवाही पर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास के प्रवक्ता रूडेएना ने कहा कि इजराइल हठधर्मी के साथ अधिकृत फिलिस्तीनी भूमि पर सैनिक कार्यवाही चलाता रहा और यहुदि बस्तियों के विस्तार पर कायम रहा , जिस से वार्ता के प्रति इजराइल की सदिच्छा पर प्रश्न चिंह लग गया है। वार्ता से पहले दोनों पक्षों के बीच ऐसी अप्रिय घटनाएं हुई थीं , इसलिए मीडिया ने कहा कि फिलिस्तीनी वार्ता प्रतिनिधि क्रोध की मुड में वार्ता के मेज पर बैठे हैं ।
जैसा कि विभिन्न पक्षों का पूर्व अनुमान है कि मौजूदा वार्ता में कोई सार्थक महत्व का परिणाम नहीं निकला और वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अपने अपने ध्यानाकर्षक विषयों पर बल दिया ।
फिर भी विश्लेषकों ने कहा कि मौजूदा वार्ता में कुछ बातें सकारात्मक साबित होंगी । यद्यपि दोनों में भारी मतभेद है और वार्ता का माहौल तनावपूर्ण है , तद्यापि दोनों पक्ष बड़ा संयम बनाए रखे हुए हैं । फिलिस्तीन इजराइल शांति प्रक्रिया सात सालों तक गतिरोध में पड़ी है , जिस के दौरान 4400 फिलिस्तीनी और 1100 इजराइली विभिन्न हिंसा मुठभेड़ों में मारे गए । मौजूदा शांति वार्ता का मौका मुश्किल से मिला है , इसलिए दोनों पक्ष उसे आसानी से हाथ से धोने नहीं देना चाहते। खास कर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास पर कुछ नेताओं द्वारा वार्ता का बहिष्कार करने की मांग का दबाव है, फिर भी वे चाहते हैं कि फिलिस्तीनी पक्ष सक्रिय रूख अपनाए और इजराइल वार्ता में फिलिस्तीन की चिंता वाले सवालों पर ध्यान दे । उन के रवैये की मीडिया द्वारा प्रशंसा की गयी । नए जन मत संग्रह से जाहिर है कि दोनों पक्षों के ज्यादातर लोग शांतिपूर्ण समाधान के प्रारूप की प्रतीक्षा कर रहे हैं । इस के अलावा दोनों पक्ष अगले हफ्ते में पैरिस में होने वाले फिलिस्तीन को सहायदा देने वाले अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में आगे संपर्क करना चाहते हैं ।
विश्लेषकों का कहा है कि मौजूदा वार्ता एक नयी शुरूआत है , दसियों सालों से चली मुठभेदों का समाधान एक दिन में नहीं हो सकता , दोनों पक्षों के गुणों अधिक प्रयासों की जरूरत है ।
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