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(GMT+08:00) 2007-12-11 10:52:18    
चीन सक्रिय रूप से वन संरक्षण के लिए काम करेगा

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इंडोनेशिया के बाली द्वीप में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मौसम परिवर्तन सम्मेलन में वन के विनाश पर नियंत्रण की उचित व्यवस्था की स्थापना का सवाल सम्मेलन में उपस्थित 188 देशों के प्रतिनिधियों में बहुचर्चित मसला बन गया । विश्वव्यापी वन संरक्षण व्यवस्था की स्थापना के बारे में चीनी प्रतिनिधि मंडल का क्या दृष्टिकोण है , इस सवाल को लेकर हमारे संवाददाता ने चीनी प्रतिनिधि मंडल के सदस्य , चीनी राष्ट्रीय वन ब्यूरो के वनरोपन विभाग के प्रधान श्री वांग छुनफङ से इंटरव्यू लिया ।

वन संसाधन की बर्बादी में वन का विनाश और वन का ह्रास दो सवाल शामिल है । अन्तरराष्ट्रीय परिभाषा के मुताबिक वन का विनाश औद्योगिक विकास , वास्तु निर्माण तथा खेतीबारी के कारण हुआ है । जबकि वन के ह्रास का अर्थ मुख्यतः मानवी कार्यवाही और प्राकृतिक प्रकोप , जैसा कि वन की कटाई , अग्नि कांड तथा हानिकर कीट संकट आदि की वजह से वन की गुणवत्ता का निम्न हो जाना है । श्री वांग छुन फङ ने बाली सम्मेलन में इस सवाल पर हुए विचार विमर्श का परिचय दे कर कहाः

मौजूदा सम्मेलन में विचार विमर्श का मुख्य विषय वन के विनाश पर केन्द्रित है , जिस का उद्देश्य कुछ उचित कदम उठा कर वन विनाश की गंभीर स्थिति वाले देशों में वन को नष्ट होने से बचाना है । उन की आशा है कि इन कदमों को अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होगा और उन देशों को पूंजी के क्षेत्र में कुछ क्षतिपूर्ति दी जाएगी । चीनी प्रतिनिधि मंडल के विचार में यह एक अहम काम है । चीन ने इस क्षेत्र में बहुत से काम भी किये हैं ।चीन की आशा है कि वन संरक्षण व वन विकास के क्षेत्र में चीन के प्रयासों को भी अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होगी । चीन के अलावा अफ्रीकी देश और इंडोनेशिया आदि भी अपने अपने वन संरक्षण कार्य को इस मान्यता व्यवस्था में शामिल करना चाहते हैं , ताकि वनों के आगे विनाश पर अंकुश लगाया जा सके ।

श्री वांग ने कहा कि चीन सरकार वर्षों से सक्रिय रूप से वन संरक्षण तथा वन विकास का पक्ष लेती आयी है । गत शताब्दी के 70 वाले दशक से ले कर आज तक चीन सरकार ने इस के क्षेत्र में सिलसिलेवार कदम उठाए हैं और उल्लेखनीय कामयाबियां भी हासिल की हैं । श्री वांग छुनफङ ने कहाः

चीन में वन रोपन और वन संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है । खास कर वृक्षरोपण के क्षेत्र में चीन विश्व में अग्रिम स्थान पर है । 2005 की संयुक्त राष्ट्र अनाज व कृषि संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वन्य क्षेत्रों के विस्तार से मौसम को गर्म होने से रोकने में मदद मिलती है । वन संरक्षण के क्षेत्र में भी चीन ने अनेकों कदम उठाए हैं । चीन में प्रकृति संरक्षित क्षेत्रों की संख्या अब दो हजार नौ सौ तक पहुंची है। चीन ने नीतिगत कदम के अलावा हर साल भारी पूंजी भी लगायी है । वर्तमान में चीन नहीं चाहता है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय उसे वन संरक्षण के लिए ज्यादा धन राशि प्रदान करे , चीन चाहता है कि चीन के कार्य को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से मान्यता मिल सके ।

मौजूदा बाली सम्मेलन में उष्णकटिबंधी क्षेत्र के देशों में वन के विनाश के सवाल पर विचार विमर्श किया गया । वन संरक्षण पर महत्व देने के परिणामस्वरूप चीन में वन के विनाश की समस्या उष्णकटिबंधी देशों से जितनी गंभीर नहीं है । फिर भी यह समस्या मौजूद है । वन विनाश के कारण और वन संरक्षण के सामने खड़ी चुनौति की चर्चा में श्री वांग ने कहाः

चीन में वन का विनाश मुख्यतः आर्थिक विकास के दौरान कुछ वन्य भूमि का अधिग्रहण , उस पर कब्जा तथा उस का प्रयोग करने के कारण हुआ है , साथ ही खेतीबाड़ी के कारण भी वन्य भूमि को खेतों में बदला गया । अब चीन के सामने वन संरक्षण के लिए बहुत सी चुनौतियां भी मौजूद हैं । सरकार इस पर बहुत ध्यान देती है , लेकिन कुछ जगतों में भिन्न भिन्न रायें भी हैं । चीन के लिए वन संरक्षण में पूंजी का भी अभाव है । वृक्षरोपण में चीन सरकार ने भारी पूंजी लगायी है , फिर भी पर्याप्त नहीं है । चीन ने 2010 तक देश की 23 प्रतिशत भूमि पर वन बिछाने का लक्ष्य रखा है , इसे पूरा करने में और ज्यादा पूंजी की आवश्यकता है और वन की रक्षा में भी पूंजी की कमी की समस्या है।

श्री वांग छुनफङ ने कहा कि मौसम परिवर्तन के ढांचे में स्थापित कार्बन विनिमय व्यवस्था ने चीन को सीखने का आधार प्रदान किया है । बाजार की विनिमय व्यवस्था के जरिए वन का संरक्षण व विकास करने वाले लोगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए और उन के मुनाफे और आय को बढ़ाया जाना चाहिए । इस प्रकार के अन्तरराष्ट्रीय तौर तरीकों से सीखते हुए चीन अपने कार्य को सुधार कर वन संरक्षण व विकास की नीति को परिपक्व और परिपूर्ण करेगा ।