5 तारीख को चीन में केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन संपन्न हुआ।इस में स्पष्ट रूप से यह प्रस्तुत किया गया है कि चीन अलगे साल स्थिर व स्वस्थ वित्तीय नीति और संकोचित मौद्रिक नीति लागू करेगा,ताकि अर्थतंत्र को ज्यादा गर्मी व मुद्रास्फीति से बचाया जा सके।चीनी अर्थशास्त्रियों व वित्तशास्त्रियों ने कहा कि अभी समाप्त केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन में जो प्रस्तुत किया गया है,उस से समष्टिगत नियंत्रण के प्रति चीन का दूर नजरिया और पूर्वानुमान की शक्ति दिखाई गई है और वह चीन में स्थिर व तेज आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए भी हितकार है।
सन् 2007 में भी चीनी अर्थतंत्र में बड़ी वृद्धि रही है।सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में पिछले साल के मुकाबले 11.5 प्रतिशत बढोतरी होनी पूर्वानुमानित की गई है।लेकिन आर्थिक संचालन के दौरान अचल पूंजी में निवेश के ज्यादा तेजी से होने,कर्जदान में धनराशि के हद से ज्यादा दिए जाने और व्यापार में मुनाफे व घाटे के बीच खाई के बढने जैसे सवाल गंभीर बने रहे हैं।खासकर इस साल के शुरू से ही मुद्रास्फीति का दबाव बढता चला जा रहा है और सीपीआई लगातार तीन महीनों तक 6 फीसदी से भी अधिक रहा है
इन समस्याओ के समाधान के लिए इस केंद्रीय आर्थिक कार्य सम्मेलन में निर्णय लिया गया है कि तेज आर्थिक वृद्धि को ज्यादा गर्मी से और ढांचागत महंगाई को मुद्रास्फीति से रोकने को वर्तमान सगष्टिगत नियंत्रण का प्रमुख कार्य बनाया जाएगा।इस के लिए चीनी सामाजिक अकादमी के आर्थिक अनुसंधान-कार्यालय के प्रधान अर्थशासत्री श्री य्वान कांग-मिंग ने कहा कि केंद्र सरकार का यह निर्णय देश में अर्थतंत्र के स्थिर,सतत व तेज विकास के बने रहने के लिए लाभदायक है।उन का कहना हैः
` चीन में तेज आर्थिक विकास पिछले 5 सालों से बना रहा है।चालू वर्ष आर्थिक वृद्धि-दर 11 प्रतिशत से ज्यादा है।इस से हमारी अनेक लम्बे अरसे से अनसुझली समस्याओं का हल तो हो गया है,लेकिन आर्थिक वृद्धि-दर हद से ज्यादा तेजी तक पहुचने पर मुद्रास्फीति उत्पन्न हो सकती है।इस साल देश में सीपीआई तेजी से बढने की स्थिति उभरकर सामने आई है।इस से गंभीर महंगाई की नौबत आएगी कि नहीं? बेशक अभी तो नहीं आई है,लेकिन इस की रोकथाम करने की जरूरत है।`
इस आर्थिक कार्य सम्मेलन के अनुसार चीन अगले साल स्थिर व स्वस्थ वित्तीय नीति और संकोचित मौद्रिक नीति पर अमल शुरू करेगा।इस का मतलब है कि सन् 2004 में स्थिर व स्वस्थ वित्तीय व मौद्रिक नीतियों का क्रियान्वयन शुरू किए जाने के बाद चीन ने अपनी समष्टिगत नियंत्रण की नीति में प्रथम बड़ा सुधार लाया है।चीनी वित्तशास्त्री श्री ई श्यैन-रूंग के अनुसार संकोचित मौद्रिक नीति एक तरफ पूर्व नीति की निरंतरता का संकेत देती है और दूसरी तरफ यह भी दिखाती है कि आर्थिक नियंत्रण पर जोर दिया जाएगा।उन्हो ने कहाः
`केंद्र सरकार साफ तौर पर समझ गयी है कि इस समय आर्थिक विकास हद से ज्यादा तेजी से हो रहा है और इस से अर्थतंत्र में ज्यादा गर्मी आने का खतरा है।इसलिए उस ने संकोचित मौद्रिक नीति लागू करने का फैसला किया है।`
श्री ई श्येन-रूंग का कहना है कि हालांकि इस साल बैंकों में जमाराशि के लिए निवेश व ब्याज संबंधी दरों को उन्नत करने और कर्जदान पर निंयत्रण करने आदि उपायों से अर्थतंत्र को ज्याद गर्मी से रोकने की बड़ी कोशिश की गई है,लेकिन ज्यादा उपलब्धियां अभी हासिल नहीं हुई हैं।उन्हों ने पूर्वानुमान लगाया है कि अगले साल भी केंद्र सरकार बैंकों की ब्याज-दरों में रद्दोबदल करने को मौद्रिक नीति में संकोचन लाने का एक मुख्य तरीका बनाएगी।
अगले साल चीन में स्थिर व स्वस्थ वित्तीत नीति के क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए श्री ई ने कहा कि सरकारी स्टोक के वितरण के पैमाने को गत साल के बराबर करने और शुल्क-वसूली में सुधार नहीं बदलने के आधार पर अगले साल केंद्रीय वित्त बुनियादी सार्वजनिक सेवा से जुड़े उद्योगों के समान विकास को ज्यादा सहायता देगा।
चीनी सामाजिक अकादमी के अर्थशास्त्री श्री य्वान कांग-मिंग श्री ई श्येन-रूग के विचारों से सहमत हैं।उन्हों ने कहा कि अगले साल लागू होने वाली वित्तीय नीति न्याय व मुनाफे को साथ-साथ महत्व देने वाली वित्तीय नीति है।उन के अनुसार अगले साल देश में शिक्षा,
चिकित्सा औऱ परोपकारी कार्य में ज्यादा निवेश किया जाएगा।इस निवेश को विभिन्न क्षेत्रों में बसे जन समुदायों की आमदनियों में मौजूत अंतर के अनुसार किया जाना चाहिए।खासकर अविकसित क्षेत्रों,गांवों और निम्न आय वाले क्षेत्रों में ज्यादा निवेश किया जाना चाहिए।इस तरह ही राष्ट्रीय अर्थतंत्र के समंवयपूर्ण विकास में वित्तीय भूमिका बेहतर ढंग से अदा हो सकेगी।
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