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(GMT+08:00) 2007-12-07 14:34:41    
य्वे फ़ेइ

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किन राज्य कायम होने के बाद उसके हमले ल्याओ राज्य पर लगातार जारी रहे। 1125 में उस ने ल्याओ राज्य पर कब्जा कर लिया और उसके सम्राट थ्येन च्वो को बन्दी बना लिया। इसके बाद किन राज्य ने उत्तरी सुङ राज्य पर बड़े पैमाने पर हमला शुऱू किया।

किन फौजों ने उत्तरी सुङ की राजधानी प्येनचिङ पर कब्जा कर लिया और सम्राट छिनचुङ व उस के पिता सम्राट ह्वेइचुङ को , जो राजगद्दी छोङ चुका था, तथा उन के बहुत बडे बड़े अफसरों को बन्दी बना लिया। इस से उत्तरी सुङ राजवंश के शासन का अन्त हो गया।

उसी साल सम्राट छिनचूङ का छोटा भाई चाओ कओ सम्राट की उपाधि धारण कर इङथ्येनफू ( वर्तमान हनान प्रान्त के शाङछ्यू शहर के दक्षिण ) में गद्दी पर बैठा । तब से वह सम्राट काओचुङ के नाम से मशहूर हुआ। बाद में उस ने लिनआन (वर्तमान हाङचओ) को अपनी राजधानी बनाया। इतिहास में यह राजवंश दक्षिणी सुङ राजवंश (1127-1279) कहलाता है।

सम्राट कोओचुङ में किन सेनाओं से लड़ने का साहस नहीं था, इसलिए वह दक्षिण की ओर लगातार पीछे हटता गया जहां वह अमन चैन से रहना चाहता था। इस बीच किन फौजों ने उत्तरी चीन के विशाल इलाके पर कब्जा कर लिया था।

उन का प्रतिरोध करने के लिए ह्वाङहो नदी के दक्षिण ओर उत्तर के इलाकों की जनता ने बहुत से किन विरोधी संगठन व सशस्त्र दल संगठित किए। उन्होंने किन सेनाओं द्वारा विजित इलाकों में किन शासन को स्थिर नहीं होने दिया और दक्षिण की ओर बढने वाली किन फौजों को उलझाए रखा।

किन विरोधी संघर्ष में स्वयं दक्षिणी सुङ सेनाओं के बीच से भी कुछ वीर सेनापति उभरकर सामने आए, जिन में सबसे मशहूर य्वे फ़ेइ (1103-1142) था।

वह थाङइन (वर्तमान हनान प्रान्त) का निवासी था और एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था। य्वे फेइ शुरु में सुङ राजवंश की सेना में एक छोटा अफसर था, किन्तु बाद में उसने युद्धक्षेत्र में अपने पराक्रम व बुद्धिमत्ता के बल पर खूब नाम कमाया और अन्ततः किन विरोधी संघर्ष का एक मुख्य सेनापति बन गया।

उस की सेना य्वे फेइ की सेना कहलाती थी, जिस ने उत्तर चीन की किन विरोधी सशस्त्र शक्तियों के साथ मिलकर किन फौजों के खिलाफ अनेक लडाइयां लड़ीं और बहुत से खोए हुए इलाकों पर फिर से कब्जा कर लिया।

1140 में येनछङ (वर्तमान हनान प्रान्त में) नामक स्थान पर हुई एक घमासान लड़ाई में य्वे फेइ की सेना ने किन की सर्वश्रेष्ठ सेना को पूरी तरह पराजित कर दिया।

इस विजय से प्रोत्साहित होकर य्वे फेइ की सेना और आगे बढी तथा चूश्येनचन नामक स्थान (वर्तमान हनान प्रान्त के खाएफङ शहर के नजदीक) तक पहुंच गई।

उसी समय किन सेना में फूट पड गई और किन विरोधी स्वयंसेवकों ने उसकी रसद पंक्ति काट दी तथा प्रधान किन सेनापति ऊचू ने खाएफङ छोड़ने और उत्तर की ओर भागने की तैयारी कर ली।

ठीक इसी मौके पर जबकि दक्षिणी सुङ की सेनाएं किन विरोधी संघर्ष में अन्तिम विजय प्राप्त करने ही वाली थीं, आत्मसमर्पणवादी गुट ने, जिस की अगुवाई सम्राट काओचुङ और प्रधान मंत्री छिन ह्वेइ करते थे, इस डर से कि कहीं किन विरोधी संघर्ष में जन सशस्त्र शक्तियां अपनी ताकत बढाकर खुद उनके ही शासन के लिए खतरा न बन जाएं।

किन सेनाओं से सुलह करने का निश्चय किया और य्वे फेइ को सेनापति पद से हटा दिया तथा बाद में उसकी हत्या करवा दी।