मनोरोग सिर्फ वयस्कों में दिखता नहीं है , वास्तव में स्कूली उम्र वाले बच्चों को मनोरोग लगने की खबरें रोज सुनती रहती हैं । अगर बच्चों के मनोरोगों का समय पर इलाज नहीं दिया जा सके , तो इस का जिन्दगीभर कुप्रभाव पड़ेगा । चीन में एक परिवार में एक बच्चा की नीति लागू होने से ऐसी स्थिति संपन्न हुई है कि आज देश में दस करोड़ इकलौते बच्चे हैं । ऐसे परिवार में माता पिजा अपने बच्चे को हद से ज्यादा प्यार देते हैं जिससे उन के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है । इसलिए छात्रों में उभरी मनोरोगों को दूर करने के लिए चीन सरकार ने स्कूलों के प्रबंध विभागों से कदम उठाने की मांग की ।
सरकार के आहवान से चीन के बहुत से प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में मनोविज्ञान पाठ्यक्रम शुरू किया गया है । कुछ श्रेष्ठ स्कूलों में विशेष तौर पर मनोविज्ञानिक शिक्षक भी सुरक्षित है । इससे जुड़ी एक बात है कि समाज में मनोरोग के खतरे पर ध्यान रखना चाहिये । चीन में इधर मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रहने का विचार जोर पकड़ता जा रहा है। सिर्फ आत्महत्या का विचार रखने वाले ही नहीं, अनेक आम लोग भी अपनी छोटी-बड़ी मनोवैज्ञानिक समस्याओं के हल के लिए मनोवैज्ञानिकों की सेवा लेने लगे हैं। सुश्री सुनली पेइचिंग मनोवैज्ञानिक समस्या अनुसंधान सेवा केंद्र में इलाज खोजने आयीं। उन्हें कालेज से स्नातक होने के बाद काम ढ़ूंढ़ने में बड़ी तकलीफ ने मनोरोगी बना दिया। केंद्र की मनोवैज्ञानिक सेवा लेने के बाद उन्हें राहत मिली। उन्होंने बताया कि मनोवैज्ञानिक समस्या होने पर लोगों को घर में बैठे रहकर स्वयं सोच-विचार करने के बजाय मनोवैज्ञानिकों की सेवा लेनी चाहिये, क्योंकि ऐसे में मनोविज्ञान ही हमारा सही इलाज कर सकता है। जीवन में अक्सर देखने को मिलता है कि कुछ लोग लगातार चिन्ता या उदासीनता के शिकार हैं। कुछ लोग अपने दिल में घर जमा बैठी अप्रसन्नता को आसानी से दूर कर लेते हैं, पर कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते और कुछ आत्महत्या का रास्ता तक चुनते हैं।
आज के चीन में आत्महत्या एक गंभीर सामाजिक समस्या है। इसने पूरे समाज का ध्यान आकर्षित किया है। आत्महत्या की संभावना को कम करने के लिए चीन में इधर मनोरोगों के इलाज ने जोर पकड़ा है। आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के मुताबिक गहरी उदासीनता, भावनात्मक संकट, संबंधों की समस्या और निजी कोशिशों की विफलता आदि आत्महत्या के कारण बन सकते हैं। चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चीन में हर वर्ष दो लाख पचास हजार व्यक्ति आत्महत्या करते हैं और अन्य बीस लाख आत्महत्या का विचार करते हैं। कुछ लोग ऐसे मनोरोग से एक हद तक अपाहिज़ से हो गये हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार प्रोफेसर फे लीफंग का विचार है कि आत्महत्या करने की सोचने वाले अधिकतर व्यक्तियों के दिमाग में बहुत से अंतरविरोध होते हैं। वे अपनी जान लेकर अपने जीवन के सबसे असहनीय दर्द को ही खत्म कर देना चाहते हैं। पर अगर सही वक्त पर उनका मनोवैज्ञानिक उपचार किया जाए , तो उन में से अधिकांश का जीवन बचाया जा सकता है।
प्रोफेसर फेइ के अनुसार आज बहुत से लोग मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन सभी के सामने आत्महत्या का संकट है। लेकिन उन के मनोवैज्ञानिक उपचार के रास्ते की तलाश मुश्किल होती है। कुछ लोग इस आशंका से मनोवैज्ञानिक उपचार टाल देते हैं कि दूसरे लोग उन्हें पागल समझेंगे । इस सवाल के समाधान का एक रास्ता यह है कि टेलिफोन के जरिये उन लोगों को मनोवैज्ञानिक उपचार की सेवा प्रदान की जाए। ऐसी सेवा में रोगी से हॉटलाइन पर संपर्क के अतिरिक्त उसका बहु-उपचार करना तथा उसे मनोवैज्ञानिक शिक्षा देना भी शामिल होता है। जरूरत पड़ने पर दवाओं का प्रयोग भी किया जाता है।
इस सेवा का अंतिम लक्ष्य रोगियों का मनोवैज्ञानिक संतुलन बहाल करना और उनके मन से आत्महत्या का विचार दूर करना है।आंकड़े बताते हैं कि विश्व के कुछ देश ऐसी मनोवैज्ञानिक उपचार सेवा के जरिये आत्महत्या का विचार रखने वाले नब्बे प्रतिशत लोगों की जान बचाने में सफल रहे हैं। इधर कुछ वर्षों से चीन में भी मनोरोगों को दूर करने की व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। हॉटलाइन इस में सब से प्रमुख है। चीन में ऐसी प्रथम हॉट लाइन पेइचिंग मनोवैज्ञानिक समस्या अनुसंधान सेवा केंद्र के तहत कायम की गई। इस केंद्र के प्रधान श्री छ्वाओ ल्यैन यवान ने कहा कि हॉटलाइन मनोरोग से ग्रस्त लोगों को लिए पेशेवर सेवा प्रदान करती है।
उन्हों ने बताया कि उनकी हॉटलाइन के लिए कार्य करने वाले सभी स्वयं सेवक या तो मनोरोग चिकित्सक हैं या मनोनिज्ञानी। उन्हें हॉटलाइन सेवा की पेशेवर ट्रेनिंग दी गयी है। वर्ष दो हजार दो से अब तक जिन एक लाख दस हजार से अधिक व्यक्तियों ने इस हॉटलाइन की सेवा ली, उन में अस्सी प्रतिशत की इस सेवा ने चिन्ता व उदासीनता काफी हद तक कम की और जीवन के प्रति उनका विश्वास वापस लौटाया। सुश्री वांग यासिन पेइचिंग मनोवैज्ञानिक समस्या अनुसंधान सेवा केंद्र में परामर्शदाता के रूप में कार्यरत हैं। उन्हों ने कहा कि आत्महत्या की बात सोचने वाले बहुत से लोग अपने दिल की बात न बता सकने के कारण ही अपनी जान खोते हैं।
इसलिए उनका मनोवैज्ञानिक उपचार करने वाले का प्रथम लक्ष्य उनकी बात सुनना होना चाहिए। इससे इन व्यक्तियों की चिन्ता, उदासीनता या आत्महत्या की सोच को ठंडा किया जा सकता है। सुश्री वांग ने बताया, मुझे अक्सर ऐसे टेलीफोन आते हैं, जिनमें बोलने वाले की भानवा बहुत उग्र होती है। पर मैं आमतौर पर उससे यही कहती हूं कि रुक कर, चिन्ता किये बगैर धीरे-धीरे अपने दिल की बात बताये। मैं इन्तजार कर रही हूं। सुश्री वांग ने बताया कि उनकी सेवा से बहुत से रोगियों की स्थितियों में सुधार आया है। हॉटलाइन पर परामर्शदाता अक्सर टेलिफोन करने वालों के खतरे की स्थिति का मूल्यांकन करते हैं।
अगर उनकी की स्थिति बहुत खतरनाक हुई तो उसकी जानकारी उनके परिवार, पुलिस और अग्निशमन विभाग आदि को दी जाती है। अगर वे अवसाद से ग्रस्त हुए तो परामर्शदाता उन्हें अस्पताल में इलाज कराने का सुझाव देते हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें खुद टेलीफोन करते हैं, ताकि उन्हें आत्महत्या के विचार से दूर रखा जा सके। अब पेइचिंग के अतिरिक्त चीन के नानचिंग और छांगशा आदि नगरों में भी विशेष मनोवैज्ञानिक समस्या अनुसंधान सेवा केंद्र स्थापित हो चुके हैं। उन में मनोवैज्ञानिक समस्याओं के हल की सेवा प्रदान की जा रही है तथा आत्महत्या का विचार रखने वालों को परामर्श दिया जा रहा है। इस के अलावा ये संस्थाएं चिकित्सकों और अध्यापकों को मनोवैज्ञानिक समस्याओं के हल संबंधी प्रशिक्षण दे रही हैं, ताकि लोगों की आत्महत्या की खतरनाक सोच को दूर किया जा सके।
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