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(GMT+08:00) 2007-12-05 12:36:09    
बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था का 60 वर्ष

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विश्व व्यापार संगठन ने चार दिसम्बर को जेनेवा स्थित अपने मुख्यालय में जारी 2007 विश्व व्यापार रिपोर्ट में बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को स्थापित हुए 60 वर्षों में प्राप्त सफलताओं का सिंहावलोकन करते हुए भावी विकास के सामने खड़ी चुनौतियों को बता दिया ।

एक जनवरी 1948 को विश्व व्यापार संगठन यानी सीमा शुल्क और व्यापार सामान्य समझौता स्थापित हुआ । उस समय से ही 23 देशों से गठित यह अस्थायी संगठन भारी मिशन निभाने लगा । गत सदी के तीस व चालिस वाले दशकों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भित्ति का बोलबाला था , विभिन्न देशों की व्यापार संरक्षणवादी नीतियों से विश्व आर्थिक विकास गम्भीर रूप से बाधित हो गया है । ऐसी स्थिति में मुक्त आर्थिक व्यवस्था की स्थापना और बैंकिंग , पूंजी निवेश और व्यापार इन तीन क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की पुर्नस्थापना करना अत्यावश्यक है । सीमा शुल्क व व्यापार सामान्य समझौता और 1955 में स्थापित विश्व व्यापार संगठन व्यापार भित्ति हटाने और व्यापार मुक्तिकरण को बढावा देने को अपना कार्य केंद्र बनाते थे , दसियों साल बित गये हैं , इस संगठन ने सचमुच ही इसी लक्ष्य को साकार बना दिया है । आंकड़ों के अनुसार 2006 में विश्वव्यापी व्यापार सन 1950 से 27 गुना अधिक रहा , जबकि विश्वव्यापी अर्थतंत्र का कुल मून्य नौ गुनी बढ़ गया और व्यापार की वृद्धि रफ्तार आर्थिक विकास से तीन गुनी से अधिक रही । विश्व व्यापार संगठन के महा निदेशक लामी ने एक न्यूज ब्रीफिंग में कहा कि पिछले दसियों सालों में बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था भूमंडलीय समृ्द्धि व स्थिरता का अहम आधार बन गयी है और उस ने बहुत से देशों के आर्थिक विकास बढाने और गरीबी उन्मूलन करने में योगदान किये हैं ।

विश्व व्यापार संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व व्यापार संगठन अब विश्व आर्थिक क्षेत्र में सब से महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में से एक है। उस ने 151 सदस्य देशों के लिये भूमंडलीय व्यापार में सहयोग का एक ढांचागत मंच अदा किया है और उस के पारस्परिक लाभ और संतुलन वाले उसूल को व्यापक सदस्य देशों की ओर से मान्यता मिली है । साथ ही विश्व व्यापार संगठन की विवाद समाधान व्यवस्था द्वारा किये गये कानूनी फैसलों ने नुकसान झेलने वाले पक्ष के हितों की रक्षा की है और युक्तिसंगत व्यापार को सुनिश्चित किया है । इसी बीच एक तरफ व्यापक सदस्य देशों ने औद्योगिक उत्पादनों के अधिक निर्यात से अपना आर्थिक विकास किया है , दूसरी तरफ अविकसित देशों के प्रारम्भिक उत्पादनों की रक्षा पर उस का ध्यान भी गया है , इस का अर्थ है कि भिन्न विकसित स्तर के हिसाब से भिन्न भिन्न नीतियां अपनायी जाती हैं ।

उक्त रिपोर्ट में बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियों की चर्चा भी की गयी है । रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि विश्व में सीमा शुल्क का स्तर बड़ी हद तक गिर गया है , पर कृषि वस्तुओं और निर्माण उद्योग में सीमा शुल्क भित्ति फिर भी मौजूद है । कुछ देशों की राजनीतिक स्थितियों में परिवर्तनों और सशस्त्र मुठभेंड़ों जैसे तत्वों से भूमंडलीय व्यापार की संभावना पर भी कुप्रभाव पड़ा है । विवाद समाधान व्यवस्था के नियम अविकसित देशों के हितों की पूरी तरह हिफाजत करने में असमर्थ हैं । व्यापार वार्ता में कार्यांवित वर्तमान उसूल ने विश्वा व्यापार संगठन की क्रमबद्ध क्षमता को बाधित कर दिया है । नयी स्थिति में ऊर्जा व पर्यावरण से संबंधित व्यापार नियमों का सख्त अभाव रहा है ।

रिपोर्ट में दोहा राऊंट वार्ता विफल होने से बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के लिये उत्पन्न चुनौतियों व खतरे का विशेष उल्लेख किया गया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि दोहा राऊंट वार्ता के गतिरोध में पड़ने से विकासमान सदस्य देशों को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था से लाभ प्राप्त करने से रोका जायेगा , साथ ही व्यापार संरक्षणवादी रूझान फिर पैदा होगा । श्री मीला ने भाषण देते हुए कहा कि सफल दोहा राऊंट वार्ता बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को बढ़ावा देगी । उन्हों ने विभिन्न देशों से तीव्र अपील की है कि संकटमय डोमिनो परिणाम से बचने के लिये व्यापार संरक्षणवादी हरकतों का प्रतिरोध किया जाये ।

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