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(GMT+08:00) 2007-12-04 16:19:26    
गुल मुशर्रफ के बड़े समर्थक

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दोस्तो,तुर्की के राष्ट्रपति गुल ने दिसेम्बर की दूसरी औऱ तीसरी तारीख को पाकिस्तान की राजकीय यात्रा की।पाकिस्तान में उन्हों ने राष्ट्रपति मुशर्रफ से वार्ता की।दोनों ने समान विचार व्यक्त किया कि वे एक साथ मिलकर तुर्की-पाक सहयोग को मजबूत करेंगे और क्षेत्रीय शांति व स्थायित्व बनाए रखने की कोशिश करेंगे।श्री गुल श्री मुशर्रफ के दुबारा राष्ट्रपति बनने के बाद पाकिस्तान में आए प्रथम विदेशी राजाध्यक्ष हैं।इसलिए उन की इस यात्रा को मुशर्रफ की कूटनीति के प्रति विशेष समर्थन के रूप में देखा गया है।

श्री मुशर्रफ 6 साल की उम्र में ही अपने मां-बाप के साथ तुर्की गए और वहां 7 सालों तक पढे।सो तुर्की के प्रति उन में गहरी भावना है।इस से ज्याजा अहम बात यह है कि इस्लाम दुनिया में तुर्की और पाकिस्तान दोनों सुन्नी समुदाय के हैं बल्कि अपेक्षाकृत नरम इस्लाम देश भी माने गए हैं।दोनों देश पश्चिमी देशों के साथ संबंधों से निबटने में एक जैसा या मिलता-जुलना रूख अपनाते हैं।इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मामलों में दोनों के सहयोग की अपक्षाकृत पुख्ता नींव है।इसी कारण श्री गुल ने मुशर्रफ के राष्ट्रपति बने रहने में सफल होने के तुरंत बाद पाकिस्तान की यात्रा की है।वे चाहते हैं कि इस से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मुशर्रफ का समर्थन करने का तुर्की का ढृढ़ रूख जान सके।

दरअसल श्री गुल की पाकिस्तान-यात्रा ने सचमुच साफ तौर पर तुर्की का उपरोक्त रुख दिखाया है।

श्री गुल ने पाक-यात्रा के दौरान अनेक बार अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह रचनात्मक कदम उठाए और पाकिस्तान को स्वीकार करें,न कि पाकिस्तान से दूर रहें।यही कठिन दौर से गुजर रहे मुशर्रफ को दिया गया एक बड़ा सर्मथन है।तीसरी दिसेम्बर को उन्हों ने मुशर्रफ के साथ वार्ता के बाद स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण देश है।इस के प्रति रचनात्मक कदम उठाना अत्यंत जरूरी है।पश्चिमी देशों द्वारा प्रवर्तित लोकतंत्र इस देश के लिए आवश्यक है,तो भी उस की घरेलू वस्तुस्थिति को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

तुर्की और पाकिस्तान बहुत से द्विपक्षीय व अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर समान रूख अपनाते हैं और दोनों की गैरसरकारी मित्रता मजबूत है।तुर्की पाकिस्तान में शांति व स्थिरता बने रहने की आशा करता है और उस की आतंकविरोधी कोशिशों का समर्थन करता है।

श्री गुल ने पाकिस्तान के विपक्षी दलों के नेताओं से भेंट के दौरान उन्हें राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानकर देश को वर्तमान राजनीतिक कठिन दौर से उबारने के लिए समझाने-बुझाने की बड़ी कोशिश की।उन्हों ने पीपुल्स पार्टी की अध्यक्षा बेगम बेनजीर भेट्टो और मुस्लिम लीग के शरीफ समुदाय के नेता श्री नवाज शरीफ समेत विपक्षी दलों के नेताओं से कहा कि मौजूदा फौरी घड़ी पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को पाकिस्तान के भविष्य पर, न कि सिर्फ अपने दलीय हितों पर विचार करना चाहिए और रचनात्मक कदमों से देश को वर्तमान कठिनाइयां दूर करने में मदद देनी चाहिए।श्री मुशर्रफ ने श्री गुल के बयान को सकारात्मक बताया और कहा कि राष्ट्रपति गुल ने पाक राष्ट्रीय हितों के पक्ष में, न कि व्यक्तिगत या किसी दलीय हित की ओर से बयान दिया है।

चालू साल तुर्की-पाक रायनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है।दोनों देशों के नेता इस सुअवसर का फायदा उठाकर द्विपक्षीय संबंधों का नया विकास करना चाहते हैं।श्री मुशर्रफ ने श्री गुल से वार्ता के बाद कहा कि राष्ट्रपति गुल की पाक-यात्रा से दोनों देशों के बीच 60 वर्षीय पुरानी व गहरी मैत्री में मजबूती आई है और आतंकविरोध,अर्थतंत्र,ऊर्जा,संस्कृति,रक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मामलों जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के सहयोग को भी नया बढावा मिलेगा।श्री गुल ने कहा कि विगत 60 वर्षों में तुर्की-पाक संबंध विभिन्न क्षेत्रों में मजूबत होते चले गए है।क्षेत्रीय शांति व सुरक्षा आदि मुख्य सवालों पर दोनों के मिलते-जुलते रचनात्मक दृष्टिकोण हैं।आतंकवाद और उग्रवाद पर प्रहार के सवाल पर तुर्क जनता सदैव के लिए पाक जनता के पक्ष में खड़ी है।

जब तुर्क राष्ट्रपति गुल इस्लामाबाद स्थित छाक्लाल वायु सैनिक अड्डे पर पहुंचे,तो राष्ट्रपति मुशर्रफ और उन की पत्नि दोनों स्वयं उन की अगवानी के लिए वहां उपस्थित थे।दोनों नेताओं ने लाल कालीन पर एक दूसरे से गले लगाए।इस से जाहिर है कि तुर्की और पाकिस्तान के बीच 60 सालों के संबंध बहुत गहरे हैं और तुर्की मुसिबत में पड़े मुशर्रफ को बड़ा समर्थन देता है।