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(GMT+08:00) 2007-12-03 11:51:47    
विकलांगों को सामाजिक संपत्ति का निर्माता बनने दो

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तीन दिसम्बर को विश्व अपाहिज दिवस है । इस उपलक्ष में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने जेनेवा में जारी एक रिपोर्ट में विभिन्न देशों से यह अपील की है कि वे अपाहिजों को बराबर रोजगार मौका दिलाने के लिये और ठोस कदम उठाये , ताकि अपाहिज सामाजिक संपत्ति के निर्माता के रूप में अपना मूल्य अदा कर सके ।

अपाहिजों का सम्मानित श्रम अधिकार नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि इधर सालों में विभिन्न देशों ने कायदा कानून के निर्माण के जरिये अपाहिजों को भेदभाव से बचने देने और उन के जीवन स्तर को उन्नत करने में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं , जिस से कुछ अपाहिज सुचारू रूप से रोजगार पाकर समाज से जा मिले हैं , लेकिन अधिकांश अपाहिजों के लिये बेरोजगारी और निर्घनता सब से बड़ी चुनौती ही हैं ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों के अनुसार समूचे विश्व में अपाहिजों की संख्या 65 करोड़ है , जो विश्व कुल जन संख्या का एक बटे दस है , जिन में श्रमिकों की संख्या करीब 50 करोड़ शामिल है । और तो और 80 प्रतिशत के अपाहिज विकासमान देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में बसे हुए हैं और उन का अधिकांश भाग संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निश्चित गरीबी रेखा के नीचे रहकर सब से कमजोर समुदाय बन गया है । यदि यह हालत नहीं सुधरेगी , तो सामाजिक विकास प्रक्रिया प्रत्यक्ष रूप से बाधित होगी , साथ ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित 2015 में निर्धन लोगों को आधा भाग कम करने वाले सहस्राब्दी विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिये खतरा बनेगी ।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अपाहिजों की निर्धनता को दूर करने के लिये यह जरूरी है कि अपाहिजों को रोजगार दिलाने के माध्यमों को उन्नत करने और उन्हें सहायता देने के साथ साथ अपनी महनत के जरिये गरीबी से पिंड छुड़ाया जाये । रिपोर्ट में कहा गया है कि लाखों करोड़ श्रम क्षमता वाले अपाहिज रोजगार से वंचित हैं , वास्तव में यह सामाजिक श्रम शक्ति का एक बड़ा खर्चा है । विश्व बैंक के अध्ययन व अनुमान के अनुसार हर वर्ष में विश्व में रोजगार से वंचित जन संख्या से उत्पन्न संकल राष्ट्रीय उत्पाद को 13 खरब 70 करोड़ से 19 खरब 40 करोड़ तक अमरीकी डालर की क्षति पहुंच जाती है ।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपाहिजों को सम्मानित रोजगार मिलना ही चाहिये । वर्तमान में अपाहिजों की रोजगारी स्थिति काफी संतोषजनक नहीं है , कुछ अपाहिज नीचले स्तर वाले काम करते हैं और उन की आय भी बहुत कम है , तकनीकी व दिमाग से जैसे उच्च स्तर वाले काम करने वालों का अनुपात फिर भी बहुत कम है । यह स्थिति पैदा होने के अनेक कारण ही हैं , मसलन अपाहिजों का अपर्याप्त शिक्षा स्तर , रोजगार नीति , कार्यस्थल और यातायात आदि संस्थापनों की असुविधाएं और समाज व सहकर्मियों का भेदभाव आदि आदि ।

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कहा कि गत 13 दिसम्बर को हुई 61 वीं संयुक्त राष्ट्र महा सभा ने समान सलाह मशविरे के जरिये मील पत्थर वाली अपाहिजों की मानवाधिकार संधि पारित की , विश्व में इसी प्रकार वाली प्रथम अंतर्राष्ट्रीय संधि को 80 देशों की ओर से मान्यता मिल गयी है , विभिन्न देशों के अपाहिजों के मानवाधिकार के संरक्षण से जुड़े कानून निर्माण काम और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ने बड़ी भूमिका निभायी है । इस संगठन ने विभिन्न देशों से यह अपील भी की है कि वे रोजगार दिलाने के दौरान अपाहिजों के साथ असमान बर्ताव और भेदभाव करने की हरकतों को दूर करने के लिये और बड़ा प्रयास करें , ताकि अपाहिज सम्मानित रोजगार प्राप्त कर समाज के लिये और अधिक संपत्ति तैयार कर सके ।

1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने हर वर्ष तीन दिसम्बर को विश्व विकलांग दिवस निश्चित किया , ताकि विभिन्न देशों की सरकारें , उपक्रम और विकलांग संगठन व सामाजिक संगठन विकलांगों के राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के संरक्षण को बड़ा महत्व दे सके ।