दोस्तो,इस शताब्दी के शुरू से अब तक चीन के बहुत से सरकारी विभागों ने संयुक्त रूप से दूरदराज गांवों तक पुस्तकें पहुनाने की गतिविधि चलाई है,ताकि किसानों को ज्ञान और आधुनिक तकनीकों के सहारे अमीर बनने में मदद मिल सके।इस के साथ देश के बहुत से गैरसरकारी संगठनों ने भी गांवों में सांस्कृतिक निर्माण को बढावा देने के उद्देश्य से शहरी और ग्रामीण बच्चों के बीच हाथों में हाथ मिलाओ नामक मैत्रीपूर्ण आयोजन किए हैं।
वर्तमान में चीन के बहुत से सरकारी विभाग और गैरसरकारी सगंठन ऐसी गतिविधियों में लगे हुए है,जिन से गांवों में सांस्कृतिक निर्माण को मदद मिलेगी,किसानों का सांस्तृतिक स्तर उन्नत होगा और ज्ञान व आधुनिक तकनीकों से उन के भौतिक व सांस्कृति जीवन में सुधार आएगा।सन् 1993 में चीनी सांस्कृतिक गरीब सहायता समिति कायम की गई,जो एक गैरसरकारी कल्याणकारी संगठन है और जिस के सभी सदस्य अपने-अपने अवकाश के समय में किसानों की सेवा करने के काम में जुटे हुए हैं।इस समिति ने सामाजिक संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल कर दूरदराज गांववासियों को विज्ञान के सहारे गरीबी से पिंड छुड़ाने में मदद देने के साथ-साथ दूसरों का ख्याल रखने और मदद करने का सामाजिक वातावरण
तैयार करने का प्रवर्तन भी किया।सन् 1994 में उस ने राजकीय प्रेस प्रकाशन महाब्यूरो के साथ संयुक्त रूप से गावों तक पुस्तकें पहुंचाने की परियोजना बनाई और देश भर के प्रकाशनगृहों,पुस्तक-दुकानों और आम लोगों को किसानों के लिए चंदे के रूप में पुस्तकें देने के लिए आमंत्रित किया।इस के लिए ही विशेष ढंग के पुस्तकालय भी कायम किये गये हैं।अब तक इस ढंग के पुस्तकालयों की संख्या कोई 90 हजार हो गई है।
कुछ समय पूर्व हमारे संवाददाता ने उत्तरी चीन के हपे प्रांत की ल-थिंग काऊंटी के चाओ छाई-ज्वांग नामक एक गांव के पुस्तकालय का दौरा किया।इस में बठे एक किसान चाओ वन-फिंग ने कहा कि उन्हों ने इस पुस्तकालय में विज्ञान-टेकनाँलाजी के बारे में अनेक पुस्तकें पढी हैं और इन से मिली ज्ञान का फलों की खेती में प्रयोग कर मोटा मुनाफा प्राप्त किया है।उन का कहना हैः
"गांवों में सांस्कृतिक निर्माण से हमें बहुत से ज्ञान प्राप्त हुए हैं।मैं ने पुस्तकों में लिखी तकनीकों का व्यावहारिक प्रयोग किया है।इस तरह चालू वर्ष मेरे घर के खरबूजों और आडुओं की पैदावार में बड़ी वृद्धि हुई है।"
गांवों तक पुस्तकें पहुचाने की गतिविधि ने चीनी किसानों में पढने और सीखने की आदत पाल ली है।बहुत से किसानों को पुस्तकों में उलिखित उपायों से गरीबी से निजात मिली है और उन्हों ने पुस्तकें पढने के अपने अनुभवों के आधार पर लेख लिखकर उन्हें रेडियो व अखबारों में भेज दिया है।मीडिया से उन के सीधे-सादे शब्दों वाले लेख सुनने और पढने के बाद अन्य किसानों में भी पढने और सीखने का शौक बहुत बढ़ गया है।
चीनी सांस्कृतिक गरीब-सहायता समिति ने पूरे देश के किसानों में पुस्तकें पढने के बारे में अनेक लेखन-प्रतियोगिताएं आयोजित की हैं और इन के जरिए अर्जित किसानों के लिखे श्रेष्ठ लेखों का पुस्तक के रूप में प्रकाशन भी किया है।
गांवों तक पुस्तकें पहुंचाने की गतिविधि में उपलब्धियां हासिल हुई हैं।इस तरह सरकारी विभागों ने उसे भारी महत्व दिया है।सन् 2006 में चीनी राजकीय प्रेस प्रकाशन महाब्यूरो ने किसानों के लिए पुस्तक-गृह बनाने की परियोजना तैयार की,जिस के तहत 5 सालों के भीतर सारे देश के गांवों में 2 लाख पुस्तक-गृह निर्मित किए जाएंगे और हरेक पुस्तक-गृह में कम से कम 1000 पुस्तकें,दसियों किस्मों की पत्र-पत्रिकाएं और सौ किस्मों के औडियो-वीडियो उत्पाद रखे जाएंगे।चीनी राजकीय प्रेस प्रकाशन महाब्यूरो के अखबार व पत्र-पत्रिका वितरण विभाग के प्रभारी श्री फ़ान वई-फिंग ने कहा कि इन पुस्तक-गृहों के निर्माण में सरकार ने धनराशि लगाई है और इन के लिए बड़ी मात्रा में पुस्तकें भी खरीदी हैं।हां,इन के संचालन की देखरेख करने की जिम्मेदारी भी सरकार उठाती है।इन पुस्तक-गृहों में सुरक्षित सभी पुस्कतें किसानों के लिए जरूरी है।श्री फान ने कहाः
"सरकार के संबंधित विभागों ने व्यापक किसानों की जरूरतें मालूम करने के बाद पुस्तकें खरीदी हैं।सो ये पुस्तकें किसानों के लिए उपयोगी हैं।पुस्तक-गृहों में किसान सरकार की नीतियों,सिद्धांतों,संवैद्धानिक ज्ञान,विज्ञान-टेकनाँलाजी और आम संस्कृति के बारे में जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।इन जानकारियों से वे अपने जीवन को समृद्ध बना सकते है।"
चीन के कृषि मंत्रालय,विज्ञान-टेकनाँलाजी मंत्रालय और चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्रालय हर साल अपने-अपने विशेषज्ञों को गांवों में भेजते हैं।ये विशेषज्ञ किसानों को तरह तरह के ज्ञान की व्याख्या देते हैं।
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