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(GMT+08:00) 2007-12-12 16:06:54    
सब्ज़ियों का डाक्टर श्री चांग यैन श्यांग

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उत्तरी चीन के शानतुंग प्रांत की शौक्वांग शहर के उपनगर में चांग यैन श्यांग नामक एक किसान रहते हैं । वे आसपास मशहूर है क्योंकि वे सब्जियों के मर्ज़ का इलाज ले सकते हैं और इसी वजह उन्हें सब्ज़ियों के डाक्टर का उपनाम रखा गया है । उन के नाम का व्याख्यान होते के चलते लोग ल्याओनींग जैसी दूर जगहों से उन से बात करने आते रहे हैं ।

श्री चांग यैन श्यांग के सब्ज़ियों के डाक्टर के उपनाम के पीछे ऐसी कहानी घटित हुई है कि विज्ञान व तकनीक सीखकर किसानों का जीवन संपन्न हो सकता है और उन का भाग्य भी विज्ञान व तकनीक के जरिये बदला जा सकेगा ।

उन्हों ने कहा, मैं भी एक किसान हूं । पर मुझे लगा है कि विज्ञान व तकनीक के जरिये किसानों का जीवन अमीर हो सकता है । मैं दूसरे किसानों और विज्ञान व तकनीक के बीच पुल सी पात्र निभाना चाहता हूं , ताकि वे विज्ञान व तकनीक के जरिये अमीर होने का रास्ता चुन सकें ।

35 वर्षीय श्री चांग यैन श्यांग उत्तरी चीन के शानतुंग प्रांत के शौक्वांग शहर के छिआन-सैन-ली गांव में जन्म हुए । पिता जी उन के बचपन के दिन चले गये , माता जी के साथ वे कठोर पर प्यार भरा जीवन बिताया । पर उन का घर गांव में सब से गरीब वालों में से एक बना रहा , सरकार के राहत धन के बिना उन दोनों का जीवन नहीं रह सका ।

वर्ष 1989 में शौक्वांग शहर में ग्रीन हाउस में सब्ज़ियों की खेती की जाने लगी , जिससे वहां सर्दियों में सब्ज़ियां न उगने का दिन खत्म हुआ और किसानों को स्पष्ट लाभ मिला । उस समय चांग यैन श्यांग एक मिडिल स्कूल में पढ़ता था , जीवन के लिए उन्हों ने अध्ययन को छोड़कर अपना ग्रीन हाउस भी निर्मित किया । लेकिन प्रथम साल किसी मर्ज़ की वजह से चांग चैन श्यांग के ग्रीन हाउस में उगे टमाटर सब मर गये । तकनीकी जानकारियों के अभाव से चांग यैन श्यांग सड़े हुए टमाटरों को देखते हुए कोई भी नहीं कर सका ।

उन्हों ने कहा , सब्ज़ियां उगने में भी वैज्ञानिक तकनीक चाहिये । इसलिए मैं ने पुनः मिडिल स्कूल की वनस्पती संबंधी पुस्तकें पढ़नी शुरू की । पुस्तक पढ़ने के बाद मुझे तकनीक सीखने की रूचि आयी । फिर मैं ने लाइयांग कृषि अकादमी और शानतुंग कृषि विश्वविद्यालय जैसे कालेज़ों से पुस्तक ढ़ूंढ़कर पढ़ाई शुरू की ।

दूसरे वर्ष चांग यैन श्यांग ने दो ग्रीन हाउस निर्मित किये , एक में टमाटर उगता था और दूसरे में ककड़ी । कृषि विज्ञान व तकनीक की मदद से दोनों ग्रीन हाउस में फसलदार उपज पैदा हुए । घर का जीवन भी अमीर होने लगा । पर खेतियों में चांग चैन श्यांग को महसूस हुआ कि सब्ज़ियों की उगाई में सब से भयानक खतरा मर्ज़ और कीड़े ही हैं । इसलिए चांग यैन श्यांग ने सब्ज़ियों के मर्ज़ और कीड़ों की रोकथाम करने के संदर्भ में अपना मुख्य समय डाला । अथक कोशिशों से वे कृषि उपयोगी विज्ञान व तकनीक के संदर्भ में प्रोफेशनल बने हुए और स्थानीय सरकार ने उन्हें उच्च स्तरीय कृषि तकनीशियन का गौरव भी सौंप दिया ।

वर्ष 1990 में चीन सरकार ने देशभर में शौक्वांग शहर की विशेष ग्रीन हाउस तकनीकों का प्रसार शुरू किया । अधिकाधिक किसानों ने सर्दियों के दिन ग्रीन हाउस में सब्ज़ियां उगने वालों में भाग लिया । लेकिन किसान अक्सर सब्ज़ियों के मर्ज़ और कीड़ों से ग्रस्त रहे हुए । सरकार ने कृषि तकनीशियनों को किसानों की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया । और यह चांग यैन श्यांग के लिए भी अच्छा मौका है , क्योंकि वे अपनी तकनीकों के जरिये किसानों की मदद करते हुए खुद भी आर्थिक लाभ जीत सकेंगे । और सब्ज़ियों के मर्ज़ और कीड़ों को रोकते समय वे अपनी कृषि उपयोगी दवा और सामग्री भी बेचाते हैं । इसतरह चांग यैन श्यांग ने सब्ज़ियों के डाक्टर का काम अपने कंधे पर रखा ।

वर्ष 2002 में स्थानीय सरकार की मदद में चांग चैन श्यांग ने शौक्वांग शहर में प्रथम सब्जी अस्पताल स्थापित किया । बहुत से किसान दूर दूर से उन के अस्पताल में सब्ज़ी उगाने में मिली समस्याओं पर पूछताछ करने गये । किसान फू श्वेइ ल्यांग ने बताया कि उन्हों ने कई साल पहले ही चांग चैन श्यांग के अस्पताल में जाकर पूछताछ शुरू की । वे डाक्टर चांग चैन श्यांग की मदद के प्रति आभारी हैं ।

उन्हों ने कहा कि डाक्टर चांग के सब्ज़ी अस्पताल से हमें बड़ी सुविधा मिली है । सब्ज़ियों के मर्ज़ का यहां इलाज ले सकता है । पहले हम अपनी सब्ज़ियों के मर्ज़ों के प्रति हाथ धो बैठे थे , अब हमें चांग चैन श्यांग के अस्पताल में बड़ी सुविधा मिल पायी है । इसतरह सब्ज़ियों की गुणवत्ता और उत्पादन मात्रा सब उन्नत होने लगी है ।

वर्ष 2004 में शौक्वांग शहर के सब्ज़ी मर्ज़ों व कीड़ों विरोधी संघ की स्थापना हुई । चांग चैन श्यांग ने इस संघ के अध्यक्ष का पद संभाला । संघ के विशेषज्ञ और तकनीशियन गांव गांव में किसानों को सब्ज़ियों के मर्ज़ों व कीड़ों को रोकने के लिए मदद करने गये । उन्हों ने फोटो प्रदर्शनी और सब्ज़ियों के मर्ज़ों व कीड़ों विरोधी प्रशिक्षण आदि गतिविधियों का आयोजन किया । वर्ष 2005 में चांग चैन श्यांग ने शानतुंग प्रांत के कृषि विभाग से एक लाख यवान के पूंजीनिवेश के जरिये कंप्यूटर , माइक्रोस्कोप और विड्यो आदि उपकरण खरीदकर'दूरगामी सब्ज़ी मर्ज़ विरोधी व्यवस्था'स्थापित की । इससे चांग चैन श्यांग देश के दूर क्षेत्रों में भी सब्ज़ी डाक्टर का पात्र निभाने लगे ।

हम अपने प्रयोगशाले में सब्ज़ियों के मर्ज़ों की रोकथाम के प्रति अनुसंधान करते हैं । ल्याओनींग, शानशी , हनान, हपेई और कानसू आदि के बहुत से किसानों को सब्ज़ियों के मर्ज़ों की कम जानकारियां हैं । सब्ज़ियों के मर्ज़ों का समय पर इलाज न देने से बहुत नुकसान भी हुआ है । इसलिए हम अपनी दूरगामी व्यवस्था के जरिये दूर रहने वाले किसानों को सब्ज़ी उगाने की जानकारियां प्रदान करते हैं ।

उत्तर पूर्वी चीन के ल्याओनींग प्रांत में रहने वाली 58 वर्षीया मैडम ली फंग श्यांग भी अपने घर में एक विड्यो बातचीत व्यवस्था सुरक्षित की । वे अक्सर इंटरनेट के जरिये चांग चैन श्यांग के साथ सब्ज़ियों के मर्ज़ों का इलाज करने वाले अनुभवों का आदान प्रदान करती हैं । और वे भी अपने अनुभवों से दूसरे किसानों की मदद करती हैं । वे भी अपने क्षेत्र में मशहूर बनी हैं । जभी समस्या हो , वे तभी विड्यो व्यवस्था के जरिये चांग चैन श्यांग के साथ संपर्क करती हैं ।

मैं ने दो साल इस व्यवस्था से सब्ज़ियों के मर्ज़ों का इलाज लेती हूं । जब कठिनाई सामने आयी , तब मैं ने चांग चैन श्यांग से मदद मांगी । मैं इंटरनेट से उन से जानकारियां प्राप्त करती हूं । और उन का उपचार हमेशा काम से चलता है । मैं चांग चैन श्यांग को बहुत आभारी हूं ।

इधर के वर्षों में शानतुंग प्रांत ने नये शैली वाले गांवों के निर्माण को महत्व दिया । सरकार कृषि तकनीशियनों के प्रशिक्षण को महत्व देती है । चांग चैन श्यांग जैसे नये शैली वाले प्रतीभा को आदर्श किसान माना जाता है । उन्हें वार्षिक न्यूज़ सितारा , सृजनात्मक प्रतीभा , कृषि उपयोगी तकनीकों का चोटी वाला प्रतीभा तथा सरकार के कृषि तकनीक सलाहकार आदि का गौरव सौंपा गया है । उन्हों ने कहा कि विज्ञान व तकनीक के जरिये कृषि का विकास करने वाले कार्यों को महत्व दिया जाता है । मैं पुल सा काम कर कृषि तकनीकों का खूब प्रसार करना चाहता हूं ।

अगले साल हम हरे रंग सब्ज़ियों का निर्यात भी करेंगे , और विदेशी बाजारों में मुनाफा प्राप्त करेंगे । तब हम किसान भी विदेशी मुद्रा कमा सकेंगे ।