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(GMT+08:00) 2007-11-28 15:50:25    
फिलिस्तीन और इजराइल के बीच शांति वार्ता की बहाली पर समझौता संपन्न

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अमरीका के सुझाव और तत्वावधान में मध्य पूर्व सवाल का अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन 27 तारीख को अमरीका के मारिलैंड स्टेट के अन्नापोलिस में उद्घाटित हुआ । अमरीकी राष्ट्रपति बुश , इजराइली प्रधान मंत्री ओल्मेर्त , फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास और विश्व के 40 से ज्यादा देशों व क्षेत्रों तथा प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया । सम्मेलन में श्री बुश ने फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संपन्न संयुक्त वक्तव्य पढ़ कर सुनाया । संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि फिलिस्तीन और इजराइल ने सात साल तक अवरूद्ध रही शांति वार्ता को तुरंत शुरू करने का फैसला किया और दोनों पक्ष 2008 के अंत से पहले सभी सवालों के समाधान के बारे में शांति संधि तैयार करने की भरसक कोशिश करेंगे । फिर भी लोकमतों का कहना है कि फिलिस्तीन इजराइल वार्ता में अब भी बहुत सी कठिनाइयां मौजूद हैं ।

अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने सम्मेलन में कहा कि वर्तमान में शांति वार्ता की बहाली करने का मौका परिपक्व हो गया है , दोनों पक्षों को अपना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए । श्री बुश ने कहाः

दोनों पक्षों की वार्ता सफल बनाने के लिए फिलिस्तीनियों को दुनिया के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि फिलिस्तीन देश की स्थापना के बाद तमाम फिलिस्तीनियों को मौका प्रदान किया जाएगा , आतंकवाद की उत्पत्ति के सभी वातावरण को नष्ट किया जाएगा और इस की गारंटी दी जाएगा कि फिलिस्तीन देश फिलिस्तीनियों और इजराइलियों तथा मध्य पूर्व के लिए शांति ला देगा। इजराइल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह वार्ता के जरिए वर्ष 1967 के बाद अधिकृत फिलिस्तीनी भू-भागों पर अपना कब्जा खत्म करे , एक समृद्ध व कामयाब फिलिस्तीन देश की स्थापना का समर्थन करे और अधिकृत फिलिस्तीनी भूमि से अनुमति के बिना स्थापित बस्तियों को हटा ले और यहुदी बस्तियों के विस्तार को बन्द करे ।

फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास और इजराइली प्रधान मंत्री ओल्मेर्त ने सम्मेलन में भाषण दिये । श्री अब्बास ने कहा कि फिलिस्तीन और इजराइल दोनों के शांति प्रयासों को दोनों के जन समुदाय का समर्थन मिलने की जरूरत है । इसलिए उन्हों ने इजराइली जनता से शांति प्रक्रिया का समर्थन करने का आग्रह किया और इस पर बल दिया है कि युद्ध और आतंकी कार्यवाही गयी गुजरी बात हो गयी है । उन्होंने कहाः

शांति , स्वतंत्रता और सुरक्षा हम सभी का समान अधिकार है । अब हम दोनों पक्षों के बीच खूनखराबी , हिंसा और कब्जे को समाप्त करने का वक्त आ पहुंचा है । हमें पूर्ण विश्वास व आशा से भविष्य का स्वागत करना चाहिए, इस भूमि को सच्चे मायने का शांति स्थल होने देना चाहिए।

श्री ओल्मेर्त ने सम्मेलन में उपस्थित देशों से इजराइल देश के अस्तित्व की उपेक्षा न करने तथा इजराइल का बहिष्कार करने को बन्द करने की अपील की । उन्हों ने कहा कि फिलिस्तीन इजराइल वार्ता कुछ कठिन समस्याओं से नहीं बच जाना चाहिए । उन्हों ने कहाः

हमारे बीच की वार्ता द्विपक्षीय , खुली और निरंतर होना चाहिए । 2008 में सभी सवालों के समाधान के बारे में शांति संधि संपन्न की जानी चाहिए । वार्ता इन सवालों से भी जुड़ेगी , जिन से दोनों पक्ष पहले बचना चाहते थे । हम खुले , सीधे और साहस के साथ विचार विमर्श करेंगे और हम जानबूझ कर किसी भी सवाल से नहीं कतरेंगे और हम सभी केन्द्रीय सवालों पर विचार विमर्श करेंगे।

फिलिस्तीन और इजराइल में शांति वार्ता की बहाली का अन्तरराष्ट्रीय समाज ने स्वागत किया ,चीनी विदेश मंत्री यांग च्येछी ने उसी दिन सम्मेलन में कहा कि चीन शांति वार्ता की बहाली के लिए संपन्न संयुक्त समझदारी दस्तावेज का स्वागत करता है । चीन मौजूदा सम्मेलन की सफलता के लिए योगदान देगा और मध्य पूर्व शांति के लिए रचनात्मक भूमिका अदा करता रहेगा ।

यद्यपि फिलिस्तीन और इजराइल वार्ता की तुरंत बहाली पर समहत हो गए , तद्यापि दोनों पक्षों ने कुछ मूल मतभेदों पर रियायत देने का रवैया नहीं दिखाया। इन मतभेदों में फिलिस्तीन देश की सीमा , यरूशलम का भावी स्थान और फिलिस्तीनी शरणार्थियों की वापसी आदि शामिल है । फिलिस्तीनी प्रतिनिधि मंडल के अफसरों ने कहा कि दोनों पक्षों के लिए वार्ता की प्रक्रिया कठिन और लम्बी होगी।

लोकमतों का कहना है कि असल में फिलिस्तीन और इजराइस दोनों पूर्ण शांति के लिए अच्छी तरह तैयार नहीं हो पाए ।श्री ओल्मेर्त पर देश के भीतर का बड़ा दबाव होगा और श्री अब्बास के सामने हमास का जबरदस्त विरोध है । विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा सम्मेलन का महत्व महज शांति वार्ता के पुनः आरंभ तक सीमित होगा ।