अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा संबंधी उच्च स्तरीय मंच के सम्मेलन का 27 तारीख को पेइचिंग में पटाक्षेप हुआ।सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा संबंधी पेइचिंग घोषणा-पत्र पारित किया गया,जिस में विभिन्न देशों से अपील की गई है कि वे खाद्य सुरक्षा में सहयोग व सूचनाओं के आदान-प्रदान को मजबूत करें और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी क्षमता को बढाने के लिए संबंधित प्रभावकारी निगरानी व्यवस्था कायम करें।
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा संबंधी उच्च स्तरीय मंच का यह सम्मेलन पेइचिंग में पहली बार आयोजित किया गया है।विभिन्न देशों के करीब 30 मंत्री स्तरीय अधिकारियों समेत कोई 600 प्रतिनिधियों ने इस में भाग लिया।अब सभी देश समझ गए हैं कि खाद्य सुरक्षा एक संवेदनशील,गंभीर और जटिल सवाल है।इसी पृष्टभूमि में ही चीन सरकार के संबद्ध विभाग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ संयुक्त रूप से यह मंच स्थापित किया है।इस से जु़ड़े दो दिवसीय सम्मेलन में विचार-विमर्श के बाद प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से खाद्य सुरक्षा संबंधी पेइचिंग घोषणा-पत्र को पारित किया।
घोषणा-पत्र में इस पर जोर दिया गया है कि विभिन्न देशों को खाद्य सुरक्षा से जुड़े सवाल के समाधान में अर्जित अनुभवों का पूर्ण रूप से साझा करना चाहिए और इस सवाल के निबटारे के लिए तरह-तरह के सहयोग करने चाहिए।चीनी राजकीय गुणवत्ता निरगरानी व जांच एवं संगरोधन महाब्यूरो के प्रभावी श्री ली छांग-च्यांग ने कहाः
`सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने इस तरह की एकमतता प्राप्त की है कि खाद्य सुरक्षा में अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान व सहयोग और खाद्य सुरक्षा संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए समान कोशिश अंत्यत जरूरी है।सम्मेलन में प्राप्त एक प्रमुख कामयाबी पेइचिंग घोषणा-पत्र है।प्रतिनिधियों ने कहा कि यह पत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संबंधित सहयोग व आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत बनेगा।`
इस घोषणा-पत्र में विभिन्न देशों से खाद्य सुरक्षा की कारगर निगरानी व्यवस्था कायम करने का आग्रह भी किया गया है,ताकि खाद्य सुरक्षा की गारंटी की उन की क्षमता बढ सके।घोषणा-पत्र में कहा गया है कि विभिन्न देशों की सरकारों को चाहिए कि वे खाद्य पदार्थों के उत्पादन और उपभोग की सभी कड़ियों की निगरानी के लिए खाद्य सुरक्षा की स्वतंत्र बौधिक संस्थाएं बनाएं, खाद्य सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानूनों से मेल खाने वाले पारदर्शी नियम-कानून बनाकर उन का सही अमलीकरण करें,खाद्य सुरक्षा की द्रुत गति व उच्च क्षमता वाला निगरानी जाल बिछाए और प्रश्न से घिरे हुए खाद्य पदार्थों को वापस बुलाने की व्यवस्था स्थापित करें।घोषणा-पत्र में खास तौर पर यह बात कही गई है कि खाद्य सुरक्षा की प्रभावकारी निगरानी व्यवस्था की स्थापना और खाद्य पदार्थों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाली क्षमता के निर्माण में विकासशील देशों व विकसित देशों के बीच और विकासशील देशों में कारगर सहयोग को महत्व दिया जाना चाहिए।
घोषणा-पत्र ने यह भी कहा है कि खाद्य सुरक्षा की गारंटी करना सरकारों का एक अनिवार्य दायित्व है,लेकिन इस गारंटी को पक्का करने के लिए सिर्फ सरकारों पर निर्भर करना नाकाफी है।चीनी स्वास्थ्य मंत्री श्री छन चु ने कहाः
`खाद्य सुरक्षा व प्रबंधन-काम को अच्छी तरह करना विभिन्न देशों की सरकारों की जनहित के लिए एक ठोस कदम है।इस कदम का लक्ष्य पूरा करने के लिए समाज के विभिन्न जगतों की शक्तियों को गोलबंद करना जरूरी है।मैं समझता हूं कि उपभोक्ताओं में खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करना और उद्योग धंधों में जिम्मेदारी व कानूनों के प्रति चेतना जगाना बहुत महत्वपूर्ण है।`
सूत्रों के अनुसार घोषणा-पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सुरक्षित खाद्य पदार्थ बनाना संबंधित उद्योगधंधों की बुनियादी जिम्मेदारी है।खाद्य सुरक्षा के लिए कानून-कायदे बनाने के दौरान उपभोक्ताओं,उद्योगधंधों और अन्य संबंधित पक्षों से राय-मशविरा करना आवश्यक है।
पेइचिंग घोषणा-पत्र का सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने स्वागत किया।विश्व स्वास्थ्य संगठन के खाद्य सुरक्षा विभाग के प्रधान श्री स्चलुनध के अनुसार इस घोषणा-पत्र का भारी महत्व है।उन का कहना है कि सम्मेलन में आम सहमति बनी है कि खाद्य सुरक्षा का सवाल वैश्विक स्तर पर है।चाहे विकसित देश या विकासशील देश क्यों न हो,सब को इस सवाल से जूझना पड़ रहा है।विभिन्न देशों में खाद्य सुरक्षा संबंधी जो घटनाएं हुई हैं,उन की भिन्नता को खोजना कुंजीभूत मायने नहीं रखता है।सब से जरूरी है कि घटना के कारण का सही समाधान खोजना ही है,बल्कि पेइचिंग घोषणा-पत्र यही समाधान बताता है।
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