प्राचीन काल में चीन के उत्तर पश्चिम भाग में अनेक शानदार सभ्यताएं उत्पन्न हुई थीं और कालांतर में वे गायब भी हुईं , इसलिए वहां बड़ी मात्रा में प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष रह गए । आठवीं शताब्दी के समय , चीन में विश्वविख्यात शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य थांग राजवंश का शासन था । थांग राजवंश में चीन के इतिहास में एकमात्र महिला सम्राट ऊ चेथ्येन का प्रादुर्भाव हुआ , महिला सम्राट ऊ चे थ्येन के शासन काल में थांग राजवंश बहुत धनवान और ताकतवर था और थांग राजवंश आज के पश्चिम चीन के सिनचांग क्षेत्र पर भी शासन करता था । तत्काल , उत्तर पश्चिम चीन के सिन्चांग पर कारगर रूप से राज करने के लिए थांग राजवंश ने सिन्चांग के चीमुसार जिले से ले कर थ्येनशान पर्वत की उत्तरी तलहटी तक एक विशाल सैन्य सुरक्षा विभाग कायम किया , इस सुरक्षा विभाग के अवस्थित क्षेत्र में एक नगर निर्मित हुआ , जिस का नाम था महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर । उत्तरी क्षेत्रीय सुरक्षा नगर पश्चिम चीन की प्राचीन सभ्यता के एक उद्गम स्थलों में एक बन गया , जिसे आज देश के राष्ट्र स्तरीय श्रेणी के संरक्षित ऐतिहासिक अवशेष निकाय का दर्जा दिया गया । आज सिन्चांग के महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के विकास और पतन के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत है।
चीन के थांग राजवंश के आरंभिक काल में देश के पश्चिमी भाग में शांति और स्थायित्व प्राप्त नहीं हुई थी , वहां विभिन्न कबीलों और स्थानीय सैन्य सरदारों के बीच अकसर युद्ध हुआ करता था और जनता का जीवन युद्ध और अकाल से बहुत दुभर होता था । युद्ध और प्राकृतिक प्रकोप से जन साधारण के सामान्य जीवन की भी गारंटी नहीं हो सकती थी । चीन के पश्चिमी भाग में घुसे विदेशी आक्रमणकारियों और कबलाई राजाओं के विद्रोहों को कुचलने के लिए थांग राजवंश के विवेक और प्रताप सम्राट ली शमिन ने साम्राज्य की सेना भेज कर उन का दमन किया और पश्चिमी भाग में शांति और स्थायित्व स्थापित किया । सम्राट ली शमिन के निधन के बाद उस का पुत्र ली ची सम्राट की गद्दी पर बैठा , उस की पत्नी सम्राज्ञी ऊ चेथ्येन एक बुद्धिमान और महाकांक्षी स्त्री थी । सम्राट ली ची के देहांत के बाद ऊ चेथ्येन ने अपने को थांग राजवंश का सम्राट घोषित किया और थांग राजवंश का बगडोर अपने हाथ में मजबूती से रख गया । उस के शासनकाल में सन् 702 में उस ने पश्चिम चीन के सिन्चांग में महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा कार्यालय कायम किया , इस तरह देश के पश्चिमी भाग पर थांग राजवंश का प्रशासन काफी सुव्यवस्थित और सुदृढ हो गया । इसी कारण था कि उत्तरी सुरक्षा कार्यालय की जगह एक सभ्य व मजबूत नगर उत्पन्न हो गया । लेकिन कालांतर में यह प्राचीन नगर भी ढह कर खंडहर हो गया ।
उस समय से एक हजार से ज्यादा वर्ष गुजरने के बाद महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के खंडहर पर छाये रहस्य का उद्घाटन किया गया । सन् 1776 में छिंग राजवंश के इतिहासकार श्री श्यु सोंग सिन्चांग के चीमुसार आए थे । वहां उस ने थांग राजवंश से छूटे प्रस्तर स्तंभ जैसे अवशेषों का पता लगाया और इन अवशेषों के बारे में विवरण अपनी रचना पश्चिमी क्षेत्र के जल मार्ग में कलमबंद किया । सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के चिचओ प्रिफेक्चर की चीमुसार काऊंटी के प्रचार प्रसार विभाग के उप प्रधान श्री लो यु ने कहा कि शु सोंग ने जिस खंडहर का पता चला था , वह महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर का अवशेष है । उन्हों ने कहाः
नए चीन की स्थापना के बाद उत्तर पश्चिम चीन के संस्कृति ब्यूरो तथा सिन्चांग सांस्कृतिक अवशेष प्रबंध कमेटी और सिन्चांग के संग्रहालय ने अनेक बार महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के खंडहर के स्थल पर अपने कर्मचारी भेजे और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष संगृहित किए , खंडहर की खुदाई में थांग राजवंश के बहुत से अवशेष प्राप्त हुए हैं , जिन में कांस्य आईना , प्रस्तर सिंह मुर्ति , कमल पुष्प वाली चौकोण ईंट , खपरेल और चीनी मिट्टी के बर्तन आदि शामिल हैं । 20 वीं शताब्दी के अस्सी वाले दशक में चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के पुरातात्विक अनुसंधान प्रतिष्ठान ने उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के पश्चिमी भाग में बड़ी मात्रा में पक्की मिट्टी की मुर्तियां और उत्कृष्ट भित्ति चित्र खुदाई से उपलब्ध किए है।
चालू साल के अगस्त की पहली तारीख को सी .आर .आई के संवाददाता भी सिन्चांग की चीमुसार काऊंटी आये और उन्हों ने आज से 1300 साल पहले निर्मित महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के खंडहर देखे । तत्काल के आलीशान किले का अब केवल कुछ खंडहर रह गए हैं , जिन में से दो बौद्ध मठ यानी काओथाई मठ और तासी मठ के खंडहर है । अब तक बचे खचे नगरकोट दो मीटर ऊंचे हैं , उस के चारों ओर नगरकोट रक्षक नहर बहता है और नगर के भीतर तत्कालीन सड़कों , बाजारों , मंदिर मठों , बुर्जों तथा चौकियों के अवशेष भी देखने में मिलते हैं ।
महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर का इतिहास में काफी अहम स्थान था । उस सुरक्षा नगर की स्थापना से पश्चिमी क्षेत्र में तत्कालीन थांग राजवंश की सत्ता मजूबत की गयी थी और उस जमाने में स्थानीय जातियों के पशुपालन के विकास और स्थाई निवास के निर्माण के लिए बेहतर वातावरण तैयार हो गया था । सिन्चांग विज्ञान अकादमी के इतिहास प्रतिष्ठान के प्राचीन इतिहास अनुसंथान कार्यालय के पूर्व प्रधान श्री श्ये चुंगजङ ने कहाः
महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर के ऐतिहासिक विषय बहुत ही विस्तृत और गहन रूप से गर्भित है । वह न सिर्फ एक सैन्य व राजनीतिक शासन केन्द्र था , बल्कि उस के गर्भित विषय तत्कालीन समाज के विभिन्न पहलुओं से जुड़े हुए है । इसलिए मुझे महसूस हुआ है कि यह प्राचीन शहर तत्कालीन मानव समाज के इतिहास और मानव सभ्यता का एक झलक भी है । अतएव महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर एक सांस्कृतिक खजाना भी है । जिस में तत्कालीन चित्र कला , मुर्ति कला की अनेकों उत्तम और उत्कृष्ट अमोल कृतियां प्राप्त हुई हैं , जो लोगों का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच लेती हैं ।
महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर की स्थापना थांग राजवंश द्वारा अपने स्थानीय शासन को मजबूत करने तथा विभिन्न जातियों के साथ संबंधों का विकास करने के लिए उठाया गया एक अहम कदम था । साथ ही वह थांग राजवंश के आरंभिक काल के स्वच्छ व बेहतर शासन , आर्थिक विकास तथा सामाजिक समृद्धि का एक कारण भी था। तत्काल , महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर की स्थापना ने पूर्व और पश्चिम की सभ्यताओं के आदान प्रदान और मिश्रण को भी बढ़ावा दिया था ।
एक हजार कई सौ सालों के लम्बे अरसे के परिवर्तन के कारण महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर का काफी बदलाव हुआ , वह 15 वीं शताब्दी यानी चीन के मिंग राजवंश के समय छिड़े युद्ध में नष्ट हो गया , फिर स्थानीय किसानों ने नगर के भीतर या नगरकोट के पास खेतीबाड़ी के लिए मिट्टी खोदी और बहुत सारे बर्बादी के काम किए थे , जिस से भी इस प्राचीन नगर के बचे खुचे भाग सिकुड़ गए और उस के खंडहर भी घट गये । इधर के सालों में चीन सरकार के संबंधित विभागों ने इस प्राचीन नगर के खंडहर को देश के राष्ट्र स्तरीय सांस्कृतिक अवशेष संरक्षण निकाय का दर्जा प्रदान किया और उस में सिलसिलेवार जीर्णोद्धार के काम किए । इस पर सिन्चांग की चीमुसार काऊंटी के सांस्कृतिक अवेशष ब्यूरो के प्रधान श्री क्वो शा ने कहाः
प्राचीन महा उत्तर क्षेत्रीय सुरक्षा नगर को बचाने के काम कई मुद्दों में बांटे गए हैं , अलग अलग भाग के लिए बचाव व संरक्षण के अलग अलग तरीके बनाये गए हैं । तीन पांच सालों के भीतर इन कामों में अच्छी पूंजी लगायी जाएगी । इस प्राचीन नगर का काफी ऊंचा ऐतिहासिक महत्व होता है , पुरातत्व के लिए इस का ऊंचा मूल्य युक्त है और वह स्थानीय पर्यटन कार्य को बढ़ाने में भी मददगार होगा ।
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