प्रिय दोस्तो , सुंदर चंद्रमा झील से अराशान क्षेत्र विख्यात ही नहीं , यह अराशान क्षेत्र ऊंटों की प्रसिद्ध जन्मभूमि भी जाना जाता है , यहां पर पालने वाले ऊंट सुंदर ही नहीं , बहुत हृष्टपुष्ट हैं और मानव जाति के साथ उन का सामजस्यपूर्ण संबंध भी है । सुपुल नाम का पुरुष इसी पर्यटन स्थल में ऊंट पालकों में से एक है । उस ने कहा कि वह पिछले सात सालों में इसी चंद्रमा झील पर्यटन स्थल में ऊंट पालने में लग गया , वह पहले एक स्थानीय चरवाहा था , इस पर्यटन स्थल के निमार्ण के शुरू में वह अन्य एक परिवार के साथ यहां से स्थानांतरित हुआ । उस का कहना है कि हमारा घर इस चंद्रमा झील पर्यटन स्थल से 60 किलोमीटर दूर है । हर वर्ष के मई से अक्तूबर तक हम दोनों परिवार ऊंटों को लेकर यहां आते हैं । दूसरे समय हम चरागाह में रहते हैं । शुरू शुरू में उस के पास केवल पांच छ ऊंट थे । अब पर्यटन स्थल के समर्थन में अब उन के पास तीस से अधिक ऊंट हुए हैं । इस साल चंद्रमा झील पर्यटन स्थल का दौरा करने वाले पर्यटकों की संख्या बहुत अधिक है , बाहर से आये पर्यटकों को ऊंट पर सवार होकर रेगिस्तान का दौरा करने में बड़ी रूचि होती है । हालांकि अब उन के पास बहुत ज्यादा ऊंट नहीं हैं , पर फिर भी ऊंटों से प्राप्त आमदनी से उन के दैनिक जीवन का स्तर पहले से काफी उन्नत हो गया है ।
जब हमारे संवाददाता ने उस से पूछा कि वह अपने सेवा कार्य को कैसे पूरा करते हैं , तो उस ने जवाब में कहा कि सर्वप्रथम हम सेवा को बखूबी बनाने की कोशिश करते हैं । उदाहरण के लिये हम बुढ़े पर्यटकों का अपने मा बाप की तरह सम्मान करते हैं और उन्हें ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध करा देते हैं , जबकि छोटे बाल बच्चों के साथ अपने बच्चों जैसा व्यवहार करते हैं और उन की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सावधान रहते हैं , ताकि वे निश्चिंत रूप से यहां पर खेल सके ।
इस पर्यटन स्थल में ऊंटों के अतिरिक्त जीप गाड़ी भी रेगिस्तान को पार करने वाले प्रमुख वाहनों में से एक है , साथ ही जीप गाड़ी यहां के मनोरंजन का साधन भी है । क्योंकि यह पर्यटन स्थल रेगिस्थान से घिरा हुआ है , इसलिये चंद्रमा झील पहुंचने में जीप गाड़ी या ट्रक का सहारा लेना पड़ता है ।
चंद्रमा झील सुंदर नहीं , बल्कि यहां एक प्राकृतिक निधि भी है । केवल तीन वर्गकिलोमीटर क्षेत्रफल वाले झील में नमक , लौहा जैसे अनेक प्रकार वाले खनिज पदार्थ भी निहित हैं , ये खनिज पदार्थ झील के पानी को साफ करते ही नहीं , बल्कि प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर्यावरण बरकरार रख सकते हैं । इस के अलावा काली कीचड़ सौंदर्य बनाने और जोड़ सूजन जैसे रोगों का इलाज करने में उपयोगी भी है ।
इतना सुंदर व रहस्यमय स्थल से पहले केवल अराशान वासी वाकिफ हैं । 2001 में चंद्रमा झील का रेगिस्थान में पारिस्थितिकी पर्यटन स्थल के रूप में विधिवत रूप से किया जाने लगा । चंद्रमा झील पर्यटन स्थल के विकास में तमाम पारिस्तिक वस्तुओं को बनाये रखा गया है । इस पर्यटन स्थल के जिम्मेदार अधिकारी ने परिचय देते हुए कहा कि 2001 से 2005 तक हम ने मूल सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के आधार पर मानवकृत वन रोपण के माध्यम से झील के तटों पर पांच सौ मीटर लम्बी हरित पट्टियां लगायी हैं और झील के चारों तरफ विविधतापूर्ण वनस्पति भी लगायी ।
जब हमारे संवाददाता चंद्रमा झील के पास रेतीली जमीन पर घमने गये , तो सामने स्वच्छ नीला पानी व हरे भरे सरकंडा समूह नजर आता ही नहीं , बल्कि जंगली बत्तखों व हंसों की आवाजें भी सुनाई देती हैं । यह अद्भुत प्राकृतिक दृश्य बहुत से देशी विदेशी पर्यटकों को भी आकर्षित करता है और ये पर्यटक इस सौंदर्य को अपने कैमरे में करने से भी नहीं चूकते ।
इस जिम्मेदार अधिकारी ने कहा कि हम ने इस झील क्षेत्र में बसे वासियों का समुचित रूप से बंदोबस्त कर दिया है । उन के पुराने निवास स्थानों का संपूर्ण संरक्षण किया या उन की मरम्मत की । हम ने उन के लिये एक चरागाह छोड़ दिया है , ताकि वे अपने भेड़ बकरियों का पालन कर सके । साथ ही अतिरिक्त श्रमिकों को पर्यटन स्थल में नौकरी दिलायी गयी है । इस तरह अब ये स्थानीय वासी निश्चिंत रूप से नया जीवन बिता रहे हैं ।
रिपोर्ट के अनुसार चंद्रमा झील पर्यटन स्थल ने न केवल वृक्षारोपण करने के लिये दीर्घकालिक प्रयास किया है , बल्कि ऊर्जा किफायत व पर्यावरण संरक्षण करने की अथक कोशिश की है ।
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