बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नी लाल कैवर्त के पत्र हमारे पास लगातार आते रहे हैं , वे सी .आर .आई हिन्दी सेवा के काफी पुराने और नियमित श्रोता हैं और उन्हों ने हमारे हिन्दी कार्यक्रमों के बारे में बहुतेरे अच्छे अच्छे सुझाव और विचार लिख कर बताए हैं , इस के लिए मैं सी .आर .आई हिन्दी विभाग की ओर से उन्हें हार्दिक धन्यावाद देती हूं । अच्छा , अब देखिए , चुन्नी लाल कैवर्त ने अपने पत्र में क्या क्या लिखा । श्री कैवर्त ने अपने एक पत्र में कहा कि सी .आर .आई परिवार को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।
आप का कार्यक्रम सिन्चांग का दौरा नामक विशेष कार्यक्रम में तारिम बेसिन की यात्रा की तीनों कड़ियां बहुत ही रोचक एवं शिक्षाप्रद थी ,काशगर ,रूगमूर और हथेन तीनों शहर की कला एवं संस्कृति की चर्चा उत्तम थी । सिन्चांग का दौरा के विशेष कार्यक्रम में सिन्चांग की विकलांग ओलिंपिक चैम्पियन खिलाड़िन सुश्री वांग या हू की जीवन कहानी सुनाई गई , जो बहुत ही रोचक एवं प्रेरणास्पद लगी । उन्हों ने संघर्ष करके महिला तीरंदाजी में ओलिंपिक चैम्पियन बनी । बधाई और प्रशंसा की पात्रा तो हैं ही । विकलांग लोगों के लिए प्रेरणादायक भी हैं , सार्थक रिपोर्ट एवं उत्तम प्रस्तुति के लिए धन्यावाद ।
अपने अन्य एक पत्र में श्री चुन्नी लाल कैवर्त ने लिखा है कि सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम में इस बार विश्व प्रसिद्ध रेशम मार्ग पर स्थित मशहूर एतिहासिक काश्गर शहर का दौरा करने को मिला । काश्गर शहर के प्राचीन अवशेष , दर्शनीय स्थल , कला , व्यवसाय , प्रसिद्ध मस्जिद आदि के बारे में बड़ी ही रोचक , सजीव एवं ज्ञानवर्धक जानकारी सुनने को मिली , जिस के लिए आप को बहुत बहुत धन्यावाद ।
श्री चुन्नी लाल कैवर्त को बहुत ही धन्यावाद है कि आप ने सिन्चांग का दौरा विशेष कार्यक्रम को विशेष पसंद किया और उस की प्रस्तुति के बारे में अपनी बहुत सी रायें लिख कर भेजीं , इस से हमें इस कार्यक्रम की सार्थकता जानने का मौका मिला और बहुत लाभ हुआ है ।
यह है आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के वकार हैदर का पत्र । पत्र में श्री हैदर ने कहा कि आशा है कि सी .आर .आई परिवार के समस्त सदस्य कुशल होंगे । आप के श्रोताओं की संख्या में वृद्धि तो तेजी से हुई , सब से बढ़ कर सी .आर .आई की सभा दो से तीन , तीन से चार हो गई । हमारे लिए अत्यन्त खुशी का अवसर है । पिछले दिनों में तिब्बत के बारे में तिब्बत के दूसरे बड़े शहर शिकाजे के बारे में सुना , तिब्बत का दूसरा बड़ा शहर शिकाजे तिब्बत के शिकाजे प्रिफेक्चर का राजनीतिक आर्थिक और सांस्कृतिक केन्द्र है । वह पंचन लामा का निवास स्थान भी है । शिकाजे एक मशहूर पर्यटन शहर भी है । तिब्बती भाषा में शिकाजे का मतलब सुखद गांव है , तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के बाद तिब्बत का दूसरा बड़ा शहर शिकाजे ही है ।
श्री वकार हैदर ने अपने पत्र में तिब्बत के बारे में कार्यक्रम की चर्चा की है , अब सिन्चांग के बारे में कार्यक्रम की चर्चा में श्री मुहम्मद शाहिद आजमी का पत्र मेरे पास है , जो आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आया है । श्री शाहिद आजमी ने अपने इस पत्र में कहा कि रोज की ही तरह आज भी आप का हिन्दी प्रसारण सुना . आज आप के द्वारा प्रस्तुत साप्ताहिक कार्यक्रम चीन की अल्पसंख्यक जाति सुना , आज का कार्यक्रम न सिर्फ रोचक और ज्ञानवर्धक था , बल्कि संपूर्ण रूप से शिक्षाप्रद था । सिन्चांग का दौरा की कड़ी में कजाख जाति की लड़की कानर गुल का सपना शीर्षक से जो कहानी प्रस्तुत की थी , वह लाजवाब थी । कजाख जाति के अनोखे रीतिरिवाज पर तो जानकारी मिली ही , साथ में कानर गुल का सपना कि वह अपनी मेहनत और लगन से पेइचिंग विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहती है , के बारे में ऐसी बातें सुनी , जिस से हमारे आत्मविश्वास को बल मिला , सच यह है कि इंसान अगर सच्चे मन से पूरी लगन और मेहनत से कार्य करता है , तो उस को उस का पूरा पूरा फल मिलता है । पूरी कहानी प्रेरणादायक, शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्धक तथा रोचक थी । लाजवाब कहानी के लिए आप को धन्यावाद।
अब देखिए नारनौल हरियाणा के उमेश कुमार का पत्र । वे हमारे पुराने नियमित श्रोता हैं , और लगातार हमें लिख कर कार्यक्रमों के बारे में बताते रहे हैं । अब उन्हों ने अपने पत्र में कहा कि कार्यक्रम चीन में निर्माण व सुधार के अन्तर्गत चीन के उद्योगपति तङ चुंग हान के विषय में जानकारी पायी । आज का तिब्बत में बाल दिवस की पूर्व संध्या पर तिब्बती छात्रों के बारे में जो रिपोर्ट सुना , पसंद आया । तिब्बती छात्रों द्वारा पेइचिंग छात्रों को तिब्बती शब्द सिखाने के विषय में सुना , जानकारी अच्छी लगी ।
जीवन और समाज में जापानियों द्वारा पूर्वी चीन के नानचिंग शहर में किए गए नरसंहार के संबंध में जाना , इस नरसंहार को अमानवीय कृत्य कहा जाएगा । इस में जीवित बची महिला शा शीछिन से इस दुर्दांत कृत्य के संदर्भ में जान कर हृद्य कांप उठा । इस की जितनी भी भर्त्सना की जाए , कम है । आप का पत्र मिला सुना , जिस में मेरे पत्र को सुन कर हृद्य प्रसन्नता से भर उठा । आप से विनम्र अनुरोध है कि मुझे भी श्रोता वाटिका का नवीन अंक यथाशीघ्र प्रेषित करें ।मैं और क्लब के सभी सदस्य आप के कार्यक्रम नियमित सुन कर उन के विषय में आपस में चर्चा करते हैं , विभिन्न प्रसारण केन्द्रों को पत्र लिखन का कार्यभार मुझे ही सौंपा गया है । इसलिए मैं यथासंभव आप को पत्र लिखने का प्रयास करता हूं । आप के द्वारा जवाबी लिफाफा भेजने की प्रक्रिया का मैं कायल हूं । विश्व की अन्य संस्थाओं से यह सुविधा नहीं है ।
श्री उमेष कुमार के पत्र से यह जान कर हमें बड़ी खुशी हुई है कि आप पर क्लब की ओर से विभिन्न रेडियो संस्थाओं को पत्र लिखने का कार्यभार सौंपा गया है , यह काफी मेहनत का काम है , हमारे ख्याल में आप ने यह कार्यभार अच्छी तरह निभाया है । हमें लिख कर भेजे पत्रों के विषयों और संख्या की दृष्टि से साबित हुआ है कि आप बड़े लगन से नियमित रेडियो प्रसारण सुनते हैं और उन के विषयों में लिख कर भेजते हैं , यह काबिला भूरि भूरि प्रशंसा का है । मैं सी .आर .आई हिन्दी परिवार की ओर से आप को धन्यावाद देती हूं ।

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