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(GMT+08:00) 2007-11-19 20:34:53    
बंग्लादेश के भीषण तूफान से गंभीर हताहती, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने राहत सहायता देने का वायदा किया

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बंग्लादेश के राष्ट्रीय राहत विभाग द्वारा 18 तारीख को जारी एक नवीनतम आंकड़ो से पता चला है कि दक्षिण बंग्लादेश के भीषण तूफान से अब तक 2217 लोग मारे गए हैं। इस के साथ अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने बंग्लादेश को 3 करोड़ अमरीकी डालर की राहत सहायता देने का वायदा किया है।

सिदर नाम का यह भीषण तूफान 15 तारीख की रात दक्षिण व पश्चिम बंग्लादेश के इलाकों में आया था, उसकी सबसे तेज रफतार 240 किलोमीटर प्रति घन्टे बतायी जाती है। यह बंग्लादेश में पिछले 130 से अधिक सालों का सबसे गंभीर तूफान रहा है। बंग्लादेश के राहत बचाव विभाग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, बंग्लादेश के 64 काउंटियो में से 20 काउंटिया इस तूफान के शिकार हुए हैं, कुल 8 लाख 40 हजार से अधिक परिवारों के करीब 27 लाख 50 हजार लोग प्रभावित हुए हैं, तकरीबन 9 लाख 70 हजार मकान , हजारों स्कूले तथा 2 लाख से अधिक हैक्टर खेत बुरी तरह बर्बाद हुए हैं, कोई 2 लाख 40 हजार पशु इस तूफान में भी मारे गए हैं। वर्तमान बंग्लादेश की कार्यवाहक सरकार जोरों से राहत बचाव कार्य में जुटी हुई हैं और सरकार ने मकानों के पुनर्निर्माण के लिए 52 लाख अमरीकी डालर प्रदत्त किए हैं, इस के अलावा भारी तादाद में खाद्यपदार्थ, दवाई व तम्बू आदि राहत सामग्रियां प्रभावित इलाकों में भेजी जा रही हैं । बंग्लादेश सरकार तूफान में बचे जीवित लोगों तक पहुंचने के लिए कई हजार सैनिकों व सैन्य हैलीकोप्टरों व समुद्री जहाजों का सहारा ले रही है और प्रभावित इलाकों के लिए कई हजार अस्थाई ठिकानों का इन्तेजाम किया जा रहा है, इन अस्थाई ठिकानों में 15 लाख को पनाह दी जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र की संबंधित संस्थाए व कुछ गैर सरकारी संगठन बंग्लादेश की विभिन्न सरकारों को राहत कार्यों में मदद दे रहे हैं।

दक्षिण बंग्लादेश के समुद्रतटवर्ती इलाकों में कोई 1 करोड़ लोग बसे हुए हैं, वहां पर हुए अनेक तूफानों ने कई बार भारी हताहती व नुकसान पहुंचाया था। विशेषज्ञों ने बताया है कि 1991 के भीषण तूफान में 1 लाख 43 हजार लोगों ने जान गवाईं थी। इस बार के सिदर तूफान की तीव्रता को उस समय के तूफान से तुलना की जा सकती है, लेकिन उस समय बचाव कार्य व पूर्व चेतावनी देने व लोगों को वक्त पर स्थानांतरण करने की वजह से लोगों के हताहती कम रही थी।

बंग्लादेश के इस भीषण तूफान पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने विभिन्न तरीकों से संवेदना प्रकट करने के साथ सहायता भी प्रदान करना शुरू कर दिया है। चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ और प्रधान मंत्री वन च्या पाओ ने 18 तारीख को बंग्लादेश के राष्ट्रपति इहाजुद्दीन अहमद और कार्यवाहक प्रधान मंत्री फाकरूद्दीन को अलग अलग तौर तार भेज कर बंग्लादेश सरकार और प्रभावित इलाकों की जनता के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की। बंग्लादेश सरकार ने 40 से अधिक राहत सहायता देशों व संस्थाओ के प्रतिनिधियों के साथ 18 तारीख को बंग्लादेश को राहत सहायता देने के सवाल को लेकर एक विशेष बैठक का आयोजन किया। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यालय , संयुक्त राष्ट्र बाल कोष समेत ब्रिटेन, अमरीका और स्पेन आदि देशों ने बंग्लादेश को करीब 3 करोड़ अमरीकी डालर की राहत सहायता देने का वायदा किया। इस से पहले, जर्मनी और यूरोपीय संघ ने भी अलग अलग तौर से बंग्लादेश को करीब 7 लाख अमरीकी डालर व 21 लाख अमरीकी डालर की आपात सहायता प्रदान करने की घोषणा की।

संबंधित विशलेषकों का मानना है कि बंग्लादेश के इस भीषण तूफान का वर्तमान मौसम के गर्म होने से घनिष्ठ संबंध है। अपर्याप्त आंकड़ो के मुताबिक, इधर के तीन महीनों में विश्वभर में उत्पन्न तीन उष्णकटिबन्धी तूफानों में सितम्बर में मैक्सीको का लोरेनजो तूफान, अक्टूबर में चीन के सानया का लीजीमा भीषण तूफान व नवम्बर में केरबीयन के अनेक देशों को प्रभावित करने वाला नोल भीषण तूफान शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, विश्वव्यापी मौसम के गर्म होने का प्रभाव समुद्रतटवर्ती इलाकों और वहां की जनता के जीवन के लिए भारी खतरा लेकर आया है। यदि ध्रुवी क्षेत्रों की बर्फीली चोटियां पिघलती रही, तो आर्थिक विकसित व घन आबादी वाले समुद्रतटवर्ती इलाकों के पानी में डूब जाने की संभावना हो सकती है, कुछ निचले तटवर्ती क्षेत्रों के द्वीप देशों के पृथ्वी से गायब होने का खतरा है, कुछ समुद्रतटीय बड़े शहर व देश भी इस खतरे से बच नहीं सकते हैं।

विश्वव्यापी मौसम के गर्म होने से उत्पन्न चुनौतियों पर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने अलग अलग तौर से ठोस नीतियां लागू करना शुरू कर दिया है। चीनी प्रतिनिधि य्वी छिंग थाए ने 18 तारीख को टयूनीस में आयोजित अफ्रीका व भू-मध्य सागर इलाकों के जल वायु परिवर्तन रणनीति की अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा कि मौसम परिवर्तन सभी देशों के विकास , मानव के जीने व पृथ्वी के भविष्य से संबंधित है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान विश्व के विभिन्न देश उर्जा के कारगर प्रयोग को उन्नत करने, उर्जा किफायत व प्रदूषण निकासी को कम करने आदि पहलुओं व ग्रीन हाउस गैस की निकासी को कम कर विश्व के मौसम को गर्म होने से बचाने के लिए प्रभावशाली कदम उठा रही है, ताकि बंग्लादेश जैसी हादसा के उत्पन्न होने को कम किया जा सके।