व्यवसायिक स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र कभी-कभी कारोबारों में काम करने जाते हैं , ऐसा करना छात्रों के अध्ययन के लिए अच्छा है , क्योंकि उन्हें काम करते समय कक्षा में पढ़े हुए सिद्धांतों की परीक्षा करने का मौका मिल सकता है । मध्य चीन के हूनान प्रांत में 38 कांऊटियों या नगरों के व्यवसायिक स्कूलों में ऐसा नया उपाय अपनाया जा रहा है । व्यवसायिक स्कूलों के छात्र अपनी उपाधि के मुताबिक होटलों के प्रबंधन या कारोबारों की वर्कशाप आदि में कुछ समय के लिए काम कर सकते हैं । व्यवसायिक स्कूलों में अध्ययन करने के लिए तीन साल चाहियें । छात्र स्कूल में भर्ती होने के आधे साल के बाद कारोबारों में आधे साल का काम करने जाते हैं , इस दौरान उन्हें आय-व्यय भी मिलता है । तीन सालों के बाद छात्रों को व्यवसायिक स्कूल के प्रमाण पत्र के सिवा और एक व्यवसायिक कौशल का प्रमाण पत्र भी सौंपा जाएगा । और छात्रों को अपने काम करने की जगह उसी कारोबार में रोजगार भी मिल सकता है , क्योंकि ऐसे कारोबार और स्कूल के बीच समझौता संपन्न हो चुका है ।
हूनान प्रांत के विज्ञान व तकनीक व्यवसायिक अकादमी के कुलपति श्री यांग तुंग ल्यांग ने कहा कि उन के स्कूल ने पांच कारोबारों के साथ समझौते संपन्न किये हैं , जिन के मुताबिक स्कूल के छात्र उन कारोबारों में अभ्यास कर सकेंगे और बाद में वहां नौकरी कर सकेंगे । उन्हों ने कहा , हम कारोबारों की मांग के अनुसार अपनी शिक्षा योजना बनाते हैं । इस तरह हम वास्तव में छात्रों के स्नातक होने से पहले ही उन्हें नौकरी के लिए तैयार कर चुके होते हैं । हमारे छात्रों को रोजगार की कोई चिन्ता नहीं है। अगले साल हम दो हजार छात्रों को भर्ती करने की योजना बना रहे हैं ।
कारोबार भी व्यवसायिक स्कूलों के ऐसे नये उपायों का स्वागत करते हैं । क्योंकि ऐसे स्वरूप से प्रशिक्षित छात्रों की वास्तविक क्षमता बेहतरीन होती है, वे कारोबारों में दाखिल होने के बाद बहुत जल्दी नये काम के अनुकूल खुद को ढाल सकते हैं । हूनान प्रांत के छांगशा शहर की एक खाद्य पदार्थ कंपनी ने प्रांत के अनेक व्यवसायिक स्कूलों के साथ समझौते संपन्न किये , जिन के अनुसार कारोबार स्कूलों के स्नातकों का ग्रहण करेगा । इस कंपनी की जनरल डाइरेक्टर सुश्री त्साई यैन का कहना है कि कारोबार व्यवसायिक स्कूलों के इस नये प्रशिक्षण उपाय का स्वागत करता है ।
उन्हों ने कहा , हम भी अक्सर अपने कर्मचारियों को व्यवसायिक स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने भेजते हैं , क्योंकि ऐसा करने से छात्र हमारे कारोबार की स्थितियां और तकनीकी मांगों की काफी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । जब वे स्नातक होने के बाद हमारे यहां काम करने आते हैं , तब वे बहुत जल्दी ही काम की सब स्थितियों से परिचित हो सकते हैं ।
आज चीन में बहुत से कारोबार उच्च शिक्षालय की बजाए व्यवसायिक स्कूलों के छात्रों का अधिक स्वागत करते हैं । इससे चीनी शिक्षा व्यवस्था की एक कमजोरी जाहिर होती है , यानि कि विश्वविद्यालयों और कालेज़ों में जो अध्ययन कराया जा रहा है , वह वास्तव में काम और जीवन से अलग है । यानी सिद्धांत और व्यवहार में खाई । चीन के स्कूलों में बहुत से छात्रों की सैद्धांतिक नींव मजबूत है , पर उन्हें स्कूल में अभ्यास करने का कम मौका मिलता है , इस तरह जब ये छात्र स्नातक होते हैं , तब उन्हें कारोबारों में कभी-कभी असमर्थ बताया जाता है । इन की तुलना में व्यवसायिक स्कूलों में कुछ करना, कुछ पढ़ना के उपाय से कारोबारों की मांग को पूरा किया गया है । क्योंकि कारोबारों को ऐसे छात्रों को पुनःप्रशिक्षित करने की जरूरत नहीं है । और इसी से कारोबार अपने खर्च की काफी किफायत भी कर लेते हैं ।
दक्षिणी चीन के क्वांगतुंग प्रांत की फंगकाई कांऊटी में नौ कारोबारों ने स्थानीय व्यवसायिक स्कूलों के साथ संयुक्त रूप से छात्रों को प्रशिक्षित करने का समझौता संपन्न किया । फंगकाई कांऊटी के मिडिल व्यवसायिक स्कूल के कुलपति श्री छेन ह्वान चाओ ने कहा कि उन के स्कूल में छात्र आधा साल अध्ययन करते हैं , और दूसरे आधा साल बाहर के कारोबारों में काम करने जाते हैं। काम करने में प्राप्त आय से उन के स्कूलों में अध्ययन करने वाली फीस को पूरा किया जा सकता है । और छात्रों के कारोबारों में किये गये अभ्यास को भी इन के स्कूल रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाता है ।
उधर उत्तर पश्चिमी चीन के सिंच्यांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश की करामाई व्यवसायिक अकादमी ने भी अपने होटल प्रबंध की उपाधि में कुछ काम , कुछ अध्ययन का प्रयोग शुरू किया है । स्कूल ने होटलों के प्रबंध की मांग पर अपनी शिक्षा योजना को बदला है , और छात्रों को स्थानीय होटलों में काम करने भेजा है। छात्रों को होटलों में काम करते समय मुफ्त में खाने-रहने की सुविधा प्राप्त होने के सिवा प्रति माह तीन सौ य्वान की आय भी होती है । आधे साल के अभ्यास के बाद छात्र कक्षा में वापस लौटेंगे ।
ऐसे तरीके से व्यवसायिक स्कूलों के छात्रों को अपने स्नातक होने से पहले ही काम करने का कौशल हासिल हो चुका होता है । इसमें यह भी चर्चित है कि छात्रों को काम करते समय विभिन्न कारोबारों की अलग-अलग संस्कृतियां और विचारधाराएं भी प्राप्त होती हैं । कोई हैरानी की बात नहीं कि कारोबारों को विश्वविद्यालय के स्नातक नहीं , व्यवसायिक स्कूलों के छात्र अधिक पसंद है । क्वांगतुंग प्रांत के फंगकाई मिडिल व्यवसायिक स्कूल में पढ़ रहे लड़के यैन ह्वेई ने संवाददाता को बताया , उन के कक्षा सहपाठियों की रोजगार की स्थिति आम कालेज़ों के छात्रों से भी अच्छी है।
उन्हों ने बताया , आज आम विश्वविद्यालयों और कालेज़ों के स्नातकों को नौकरी मिलने में बहुत मुश्किलें आती हैं । हमारे यहां हम काम करने के साथ-साथ अध्ययन करते हैं , यह हमारे रोजगार के लिए अच्छा है ।
पता चला है कि कुछ काम , कुछ पढ़ना का शिक्षा रूप दूसरे देशों में भी मौजूद है । विकसित देशों में शिक्षा का ऐसा रूप अपनाने का सौ से अधिक सालों का इतिहास है । जर्मनी के व्यवसायिक स्कूलों में छात्र हर हफ्ते तीन दिन काम और कक्षा में दो दिन अध्ययन करते हैं । जर्मनी के 60 प्रतिशत छात्रों को ऐसी व्यवसायिक शिक्षा दी जाती है । अमेरिका में भी छात्र गर्मियों की छुट्टियों में बाहर काम करने जाते हैं । शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि व्यवसायिक स्कूलों में कभी कक्षा में अध्ययन करने , कभी कारोबारों में काम करने के उपाय से , एक तरफ स्कूलों के खर्च का बचाव किया जा रहा है ,स दूसरी तरफ छात्र और कारोबारों को भी लाभ मिलता है ।
लेकिन वर्तमान चीन में ऐसे शिक्षा उपाय का विस्तार करने में बहुत सी कठिनाइयां हैं । चीन के परंपरागत विचारों में सिद्धांत और पुस्तकों को अधिक महत्व दिया जाता है , पर कौशल और अभ्यास की उपेक्षा की जाती है । ऐसे विचार से चीन के आम विश्वविद्यालयों और कालेज़ों में छात्रों को अभ्यास दिलाने के मौके बहुत कम मिलते हैं । इसी सवाल की चर्चा में चीनी शिक्षा मंत्रालय के व्यवसायिक शिक्षा केंद्र के विशेषज्ञ श्री यू ज़ू क्वांग ने कहा कि चीन को कौशल वाली प्रतिभाओं के प्रशिक्षण पर महत्व देना ही चाहिये , और कुछ काम ,कुछ पढ़ना के नये शिक्षा विचार का प्रसार करने की बड़ी ज़रूरत है । उन का कहना है कि संक्षिप्त में यह कहा जा सकता है कि कुछ काम ,कुछ पढ़ना के शिक्षा उपाय से व्यवसायिक शिक्षा की सही दिशा अंकित की गयी है । जिन्दगी भर शिक्षा के दृष्टिकोण से इस तरीके का विस्तार किया ही जाना चाहिये ।
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