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(GMT+08:00) 2007-11-21 17:12:38    
चीनी समाज में मुश्किल परिवारों के छात्रों की मदद के लिए प्रयास

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चीन व भारत दोनों देशों में शिक्षा को महत्व दिया जाता है , खबर है कि आज इन दोनों देशों में कालेज़ छात्रों की मात्रा एक करोड़ तक जा पहुंची है । शिक्षा, किसी भी देश के विकास का आधार ही है । पर खेद की बात है कि विश्व की बहुत सी जगहों में लोगों को शिक्षा पाने का मौका न मिलने की समस्याओं का सामना करना पड़ता है । लेकिन चीन और भारत दोनों विकासशील देश हैं , और उन्हें समान समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है कि कुछ नागरिकों को आर्थिक समस्याओं की वजह से शिक्षा लेने से हाथ धो बैठना है ।

इधर के वर्षों में चीन में हर साल बीस तीस लाख छात्र उच्च शिक्षा हासिल करने के लिये दाखिला लेते रहे हैं , विगत साल में यह संख्या लगभग तीस लाख रही । उन्हें अध्ययन में मदद देने के लिये चीन सरकार तथा समाज के विभिन्न तबकों ने अथक प्रयास किये हैं । चीनी विश्वविद्यालयों का वार्षिक शिक्षा शुल्क आम तौर पर पांच छै हजार युवान के आसपास है , जो शहरों में एक आम मजदूर की वार्षिक आय के बराबर है । जाहिर है कि गरीब घरों के लिये यह बड़ा बोझ है । यहां बताते हैं कि इस समय चीन के नब्बे लाख कालेज छात्रों के बीस प्रतिशत का गरीब घरों से संबंध है ।

इन गरीब छात्रों की मदद के लिये चीन सरकार चीनी समाज के विभिन्न तबकों ने अनेक प्रयास किये हैं । चीनी शिक्षा मंत्रालय के उप मंत्री श्री ने बताते हैं , गरीब घरों से आने वाले छात्रों को पढ़ाई पूरी करने में मदद देने के लिये चीन में आम तौर पर जो उपाय किये जा रहे हैं , वे हैं - उन छात्रों को आर्थिक भत्ता देना , उन का शिक्षा शुल्क पूरी तरह माफ करना और उन्हें छात्रवृत्ति और यहां तक कि कर्ज़ प्रदान करना ।

चीन के सरकारी कालेज आम तौर पर गरीब छात्रों को जीवन भत्ता देते हैं । कुछ छात्र अपने कालेज़ों में काम का अवसर पाकर भी कुछ धन जुटा सकते हैं । चीन सरकार तथा विभिन्न कालेज श्रेष्ठ छात्रों को पुरस्कार स्वरूप धनराशि भी देते हैं , और छात्र चाहें तो अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिये बैंकों से अध्ययन ऋण ले सकते हैं ।

हाल के वर्षों में अध्ययन ऋण पर लोगों का खासा ध्यान गया है , यह तीन साल पहले ही शुरू हो गया । गरीब छात्र अपने कालेज से अनुमति प्राप्त करने के बाद सरकारी बैंकों से एक साल अधिकतम छै हजार युवान , जो तीस हजार रुपये के बरारा है , का कर्ज़ पा सकते हैं । कर्ज़ के सूद का आधा भाग सरकार द्वारा बैंक को चुकायी जाएगी जिसे कर्जदार छात्र स्नातक होने के बाद सरकार को वापस लौटाता है । इस साल से चीन के विभिन्न कालेजों ने अपने नये छात्रों को प्रवेश पत्र के साथ अध्ययन ऋण संबंधी सूचना भी भेजनी शुरू कर दी है । चीन के शानतुंग नार्मल विश्वविद्यालय के एक अध्यापक ने कहा , हम ने इस साल अपने यहां भरती होने वाले नये छात्रों को अध्ययन ऋण संबंधी सूचना भी दी है । जो छात्र अध्ययन के लिये कर्ज़ लेने की आवश्यकता महसूस करते हो , वे कालेज को इस बारे में आवेदन पेश कर सकते हैं । कालेज इन आवेदकों की स्थिति की जांच करेगा , गरीब छात्रों में जो अत्यंत आर्थिक कठिनाइयों से ग्रस्त रहे , उन्हें कर्ज़ लेने की पंक्ति में सब से ऊपर रखा जाएगा ।

ली पीन का घर पेइचिंग शहर के उपनगर में है । उन्हें इस साल चीन के जाने माने जनता विश्वविध्यालय में दाखिला मिला । पर उन के माता पिता यह खबर सुनकर खुश होने के बजाये शिक्षा शुल्क की चिंता से डर गये । क्योंकि ली की मां लम्बे समय से बीमार हैं , परिवार पिता जी के 4-5 सौ यवान के वेतन पर निर्भर है । विश्वविद्यालय में एक साल कई हजार युवान का खर्च ली के परिवार के लिये बहुत मुश्किल है । ली की स्थिति की जानकारी प्राप्त पाने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें अध्ययन कर्ज़ दिलाने में मदद की । ली पीन इस तरह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं । वे कहते हैं , विश्वविद्यालय का खर्च हमारे परिवार के लिये एक भारी बोझ है । हमारे घर ने इतनी बड़ी धनराशि कभी नहीं देखी । पर अब मैं सरकारी कर्ज़ के जरिये अपनी पढ़ाई पूरी कर सकता हूं , मैं अवश्य ही मेहनत से अध्ययन करूंगा ।

पता चला है कि सरकारी अध्ययन कर्ज योजना शुरू होने के इधर के तीन सालों में कुल तीन लाख पचास हजार चीनी छात्रों ने सरकारी बैंकों से यह कर्ज लिया है । गरीब छात्र इस तरह अपनी आर्थिक कठिनाइयों का मुकाबला कर सकेंगे । सरकारी अध्ययन कर्ज़ के अलावा देश के विभिन्न तबके भी गरीब छात्रों को मदद देने का प्रयास कर रहे हैं । पेइजिंग जैसे बड़े शहरों के अखबार अक्सर गरीब छात्रों का परिचय देकर समाज में उन की सहायता देने की अपील करते हैं । इस साल विश्वविद्यालय में नया सत्र शुरू होते समय कुल सौ से अधिक गरीब छात्रों को इसी माध्यम से आर्थिक सहायता मिली । उन्हें मदद देने वालों में आम व्यक्ति भी शामिल हैं , और कारोबार भी ।

चीन में गरीब छात्रों की मदद के लिये कुछ विशेष संस्थाएं भी हैं । उदाहरण के लिये चीनी युवा व किशोर कोष ने वर्ष दो हजार में उम्मीद का सितारा नामक आन्दोलन शुरू किया , जिस का उद्देश्य लोगों से चंदा एकत्र करने के माध्यम से गरीब छात्रों को सहायता देना है । इस साल कुल छै हजार कालेज छात्रों को इसी सहायता मिल चुकी है ।

दक्षिण पश्चिमी चीन के युननान प्रांत की एक छात्रा ने गत वर्ष पश्चिम चीन का विकास, अध्ययन की मदद नामक योजना से आर्थिक सहायता प्राप्त की । वे इस सहायता से अपना कालेज जीवन पूरा करेंगी । उन्हों ने कहा ,मैं समाज की मदद व प्यार से ही कालेज की पढ़ाई पूरी कर सकूंगी । मैं समाज के बदलाव में भी कुछ योगदान करूंगी । चीन में भी दूसरे देशों की तरह उच्च शिक्षा पर बहुत खर्च आता है। प्रति छात्र वार्षिक शिक्षा शुल्क आम तौर पर छै हजार युवान के आसपास है और इस के अतिरिक्त उसे चार हजार युवान का जीवन यापन खर्च देना पड़ता है। यह खर्च शहरों के एक आम मजदूर की वार्षिक आय के बराबर है । जाहिर है, गरीब घरों के लिए यह बड़ा बोझ है। यहां हम बता रहे हैं कि इस समय चीन अपने गरीब छात्रों को कैसे मदद दे रहा है।

सत्रह वर्ष की उम्र वाला श्याओ फंग मध्य चीन के हूपेइ प्रांत की पातुंग काउंटी में रहता है। उस के पिता जी काउंटी में अध्यापक हैं। उन का मासिक वेतन सिर्फ आठ सौ युवान है। मां खेती का काम करती है। श्याओ फंग का घर उस के गांव का सब से गरीब घर नहीं है , पर उसकी दो बहनों के गत वर्ष एक कालेज में दाखिला लेने के बाद श्याओ फंग का परिवार आर्थिक मुसीबत में आ गया है।

कुछ समय पूर्व श्याओ फंग को चीन के मशहूर विश्वविद्यालय शांघाई परिवहन विश्वविद्यालय का प्रवेश सूचना पत्र प्राप्त हुआ। लेकिन उसके परिवार को इससे उतनी खुशी नहीं हुई, क्योंकि प्रवेश पत्र में लिखा था कि वार्षिक शिक्षा शुल्क सात हजार युवान होगा और इसके अलावा उसे खाने व रहने के लिए और चार-पांच हजार युवान की जरूरत होगी। यह बोझ श्याओ फंग जैसे गांववासियों के लिए असहनीय है।

लेकिन चीन सरकार ने श्याओ फंग जैसे गरीब छात्रों का साथ नहीं छोड़ा है। शांघाई परिवहन विश्वविद्यालय ने श्याओ फंग के परिवार को यह भी सूचित किया कि श्याओ फंग जैसे छात्र हरित रास्ते के जरिये प्रवेश पा सकते हैं, यानी वे शिक्षा शुल्क दिये बिना विश्वविद्यालय में दाखिल हो सकेंगे। श्याओ फंग को पता चला कि विश्वविद्यालय में भरती होने के लिए वह शिक्षा कर्ज ले सकता है। यह कर्ज किसी छात्र के स्नातक होने के बाद ही वापस किया जाना होता है।