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(GMT+08:00) 2007-11-16 15:22:01    
मीनीया

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रानी ने सोचा था कि इस तरह खुशामद करके वह मीनीया से उसकी सुन्दरता का रहस्य मालूम कर लेगी और फिर वह खुद भी उतनी ही खूबसूरत बन जाएगी।

लेकिन मीनीया रानी की रग रग से वाकिफ थी। उस के मुंह से एक भी शब्द न निकला और वह हिकारत की नजर से रानी की ओर देखती रही।

रानी की कोशिश नाकाम रही। वह मीनीया की सुन्दरता का रहस्य मालूम न कर सकी और इतनी बेचैन हो उठी कि उस की आंखों की नींद उड़ गई।

वह पलंग पर लेटी-लेटी आंखों में ही रात काटने लगी।

दूसरी तरफ, अन्य दास दासियों के साथ मीनीया के संबंध दिन पर दिन मधुर होते गए और मीनीया उन सबको बहुत चाहने लगी। यह देखकर रानी ने एक षड्यंत्र रचा।

अगली सुबह रानी द्वेषपूर्ण स्वर में मीनीया से बोली

"अगर तुम अपना रहस्य मुझे नहीं बताओगी, तो मैं राजा से कहकर राजमहल के सब दास दासियों को मरवा डालूंगी।"

रानी की इस धमकी से मीनीया को इतना दुख पहुंचा कि वह रोती हुई अपने कमरे में लौट आई। रोते रोते उस की आंखें लाल हो उठीं और सूज गईं। जब अन्य दास दासियों ने मीनीया की यह हालत देखी, तो उस से पूछा।

"मीनीया, क्या हुआ तुमको। इतनी दुखी क्यों हो। हमें बताओ, हम तुम्हारी मद करेंगे। क्या रानी ने तुमको फिर पिटवाया है।"

लेकिन मीनीया ने कोई जवाब नहीं दिया।

उस की आंखों से आंसुओं की झड़ी लगी रही।

उसे इस तरह रोता देख उस के साथी भी आंसू बहाने लगे। लेकिन मीनीया उन्हें बिलखता न देख सकी और उस ने उन को सच सच बता दिया।

"रानी का कहना है कि अगर मैं अपनी सुन्दरता का राज उसे नहीं बताऊंगी, तो वह राजा से कहकर तुम सबकी हत्या करवा देगी।

इसीलिए मैं बहुत दुखी हूं।" यह सुनकर सभी दास दासियों गुस्से से आगबबूला हो गए और एक स्वर में बोले।

"यह रहस्य तुम उसे कभी न बताना।

अगर वह हमें मरवा डालना चाहती है, तो उसे ऐसा कर लेने दो।"

"लेकिन इतनी छोटी सी बात के लिए मैं तुम लोगों को अपनी जान गंवाते नहीं देख सकती, " मीनीया ने एतराज किया।

"भले ही हम लोग मर जाएं, लेकिन उस को यह रहस्य भूलकर भी नहीं बताना चाहिए," दास दासियों ने गुस्से से कहा। लेकिन मीनीया भला इस बात से कैसे सहमत हो सकती थी कि उस के सब साथी इस तरह मौत के घाट उतार दिए जाएं।

सो वह रानी से निपटने और अपने साथियों की जान बचाने के लिए बड़ी देर तक दिमाग खपाती रही।

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