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(GMT+08:00) 2007-11-14 15:53:11    
चीन में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति से इलाज देने वाला अफ्रीकी डाक्टर

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चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति विश्वमशहूर है , बहुत से विदेशी छात्र चीन में आकर इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति सीखने आये हैं । उन में कुछ ने अपना अध्ययन कर चीन में ही ऐसी पद्धति से रोगियों का इलाज भी करना शुरू किया है ।

श्री चिया नचिटी , जो अफ्रीका के कैमरूं से आये हैं , उत्तरी चीन के शानशी प्रांत के थाइयवान शहर में मानसिक रोग अस्पताल में मालिश और एक्यूपैंक्चर सीखकर अस्पताल में इलाज देने का काम कर रहे हैं। शानशी प्रांत के मानसिक रोग अस्पताल में डाक्टर नचिटी एक बच्चे का इलाज दे रहे हैं । पर बच्चा डाक्टर नचिटी का मुंख देखकर रोने लगा । नचिटी ने कहा कि बच्चा शायद ऐक्यूपैंक्चर से डरता है ।

बच्चों के बीच में श्री नचिटी का नाम काला चाचा । चार साल पहले श्री नचिटी ने शानशी प्रांत के मानसिक रोग अस्पताल में एमफिल पढ़ना शुरू किया । डिग्री प्राप्त करने के बाद वे इसी अस्पताल में निशुल्क तौर पर बच्चों का इलाज देने लगे हैं । 32 वर्षीय नचिटी का एक चीनी नाम है फेइ-लूंग । फेइ का मतलब है अफ्रीका , और लूंग का मतलब है चीन का मशहूर शुभांकर ड्रैगन । नचिटी ने बताया कि उन्हों ने अफ्रीका में ही चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति का अध्ययन करना शुरू किया था ।

उन्हों ने कहा , जब मैं कैमरूं के कालेज में पढ़ रहा था , मुझे प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के प्रति गहरी दिल्चस्प हुई थी । इसी संदर्भ में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति सब से श्रेष्ठ है । पर इस पद्धति विदेशियों के समझने में थोड़ा मुश्किल है । मिसाल है कि अंग्रेज़ी में प्रकाशित ह्वांग-डी ग्रेंथ पढ़ने में बिल्कुल असमझनीय है ।

जब नचिटी प्रथम बार चीन आया, तब उन्हें चीन के विकास ने गहरी छाप छोड़ी । विमान से उतरने के बाद उन्हें बहुत आश्चर्य रहा ।

उन्हें याद रही है कि पेइचिंग हवाई अड्डे से शहर के खास क्षेत्रों तक एक घंटे का रास्ता होता है । पेइचिंग विशाल आधुनिक शहर है । लगा है कि अधिकांश विदेशियों को ऐसा अनुभव लगता है । पर नचिटी पेइचिंग में लम्बे समय तक नहीं ठहरे , वे सीधे शानशी प्रांत के चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति अकादमी में पढ़ने गये । इस के बाद उन्हों ने शानशी प्रांत के मानसिक रोग अस्पताल में बच्चों का निशुल्क इलाज करना शुरू किया । इस अस्पताल की महानिदेशक सुश्री क्वो सिन ची ने कहा , शुरू में बच्चे इस अफ्रीकी डाक्टर से डरते थे । हम ने बच्चों को समझा-बुझाया कि यह चाचा जी बहुत अच्छा है , उन का मालिश भी बहुत अच्छा है । इन का मुंख मत देखो । कुछ समय बाद स्थितियों में बदलाव आया ।

सुश्री क्वो ने कहा , क्योंकि डाक्टर नचिटी बहुत नरम वाले आदमी हैं । बच्चों को लगा कि वास्तव में यह विदेशी चाचा जी अच्छे हैं , और उन का मालिश भी अच्छा है । इसलिए कुछ समय बाद बहुत से बच्चों ने नचिटी का इलाज चुना । नचिटी को अधिक समय काम करना पड़ा । पर उन्हों ने बच्चों की मांग से कभी इनकार नहीं दिया ।

उन्हों ने कहा , मुझे बच्चे पसंद है । मैं बच्चों को कभी नहीं बताता हूं कि मैं थक हूं , बाद में करूं इत्याति । मैं हमेशा यथासंभवतः बच्चों का इलाज कर रहा हूं । यह मेरा कर्तव्य है । अस्पताल में संवाददाता ने देखा कि डाक्टर नचिटी एक 15 वर्षीय लड़के का इलाज दे रहे हैं ।

मानसिक रोग से ग्रस्त बच्चे आम तौर पर शरीरिक तौर पर कमजोर है । इसलिए उन के इलाज के लिए दूसरों के लिए अधिक समय लगाना चाहिये । इस में न सिर्फ दीर्घकाल तक समय , बल्कि महान धैर्य भी चाहिये । डाक्टर शी श्याओ च्ये , जो नचिटी के साथ साथ काम करते हैं , अपने विदेशी हमपेशी की खूब प्रशंसा प्रकट की ।

वे बहुत संजीदगी से रोगियों का इलाज देते हैं । वे मानसिक रोग से ग्रस्त बच्चों को बहुत प्यारी भावना से निपटाते हैं , और उन्हें अपना काम भी प्यार लगता है ।

पर इलाज देने के साथ साथ श्री नचिटी चीन में कुछ व्यापार भी करते हैं । जैसे वे अफ्रीकी दोस्तों के यहां से सौंप लेकर चीन में उपहार, चिकित्सा उपयोगी दवा, संयंत्र और कुछ विद्युत वस्तुएं खरीदते हैं , और इन्हें अफ्रीका में निर्यातित करते हैं । उन्हों ने कहा कि चीन विश्व के सब कुछ का उत्पादन करता है , चीनी मालों का श्रेष्ठ गुणा भी है । चीन निर्मित माल अफ्रीका में बहुत लोकप्रिय हैं । श्री नचिटी को लगा है कि अब वे भी शानशी वासी बने हैं । अपने आसपास के जीवन परिवर्तन में से गुजर कर उन्हें दिल से खुशी लगती है ।

उन्हों ने कहा , अब शानशी प्रांत की राजधानी थाइयवान शहर का भी बड़ी तेज़ी से परिवर्तन होता रहा है । अगर आप कुछ साल पहले यहां आये , आज या कुछ समय बाद फिर आये, तो आप को लगेगा कि यह एक बिल्कुल नया शहर बनेगा ।

श्री नचिटी को चीन की परंपरागत कूंफू जैसे थाइ-चि-छ्वान आदि पसंद है । उन्हों ने कहा कि चीन में गुजरे चार सालों से उन की जिंदगी भर के जीवन पर भारी प्रभाव पड़ेगा । उन की उम्मीद है कि वे हमेशा चीन में रह सकेंगे ।

मुझे गौरव और सौभाग्य लगता है , क्योंकि मैं यहां चीनियों के बीच में रहता हूं । चीन दिन ब दिन बदल रहा है । मैं यहां के जीवन और परिवर्तन की समझ में आता हूं । आशा है कि मैं यहां दीर्घकाल तक रह सकूंगा । मुझे चीन और शानसी से प्यार है । चीन अब मेरा दूसरा घर है , और एक दिन मैं यहां अपना घर रखूंगा ।