छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान उत्तरी चीन के ह-पेइ प्रांत के थांगशान शहर के दक्षिण में स्थित है । यहां बंदरगाह, लोहा-इस्पात, रसायनिक उद्योग तथा मशीनरी सामान उत्पादन चार प्रमुख उद्योगों का उल्लेखनीय विकास हो पाया है और अनवरत अर्थतंत्र का भी जोरदार विकास किया जा रहा है ।
चीन के सब से बड़े लोहा-इस्पात उत्पादन कारोबार चीनी शाऔतु लोहा-इस्पात कंपनी ने वर्ष 2005 में राजधानी पेइचिंग से 220 किलोमीटर दूर छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान में स्थानांतरित किया । यह क्षेत्र उत्तरी चीन के पो-हाई समद्र के तटस्थ पर स्थित है , इस का 80 किलोमीटर लम्बे समुद्रीय तट पर श्रेष्ठ बंदरगाह निर्मित किये जा सकते हैं । हपेइ प्रांत की विकास व रुपांतर कमेटी के अफसर श्री त्से ह्वा पीन ने कहा , छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान पो-हाई समुद्रीय क्षेत्र में एक मात्र ही प्राकृतिक गहरा बंदरगाह है जिस की खुदाई और जीर्णोद्धार करने की जरूरत नहीं है । 4 लाख टन भारी जहाज़ सीधे बंदरगाह के अन्दर में चल जा सकता है । इसलिए यहां स्थित लोहा-इस्पात कारोबार बाहर से कम खर्च से कच्चे सामग्रियों का परिवहन कर सकते हैं । आंकड़ा है कि प्रति टन लोहा-इस्पात का परिवहन करने के खर्च में पचास यवान की कमी हो सकती है ।
शाऔतु लोहा-इस्पात कंपनी के तहत पेइचिंग-थांगशान लोहा-इस्पात कारखाने की प्रथम परियोजना जोरों पर चल रही है । संबंधित सूत्रों का कहना है कि परियोजना वर्ष 2008 के अक्तूबर में समाप्त होगी । पर शाऔतु लोहा-इस्पात कंपनी के स्थानांतरण के शुरू में लोगों को यहां नया प्रदूषण पैदा होने की आशंका रही । इस सवाल की चर्चा करते हुए लोहा-इस्पात कारखाने के एक जिम्मेदार अफसर श्री शू चैन ह्वा ने कहा, नव निर्मित कारखाने में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा । हमारे कारखाने में शेष गर्मी और प्राकृतिक गैस का शतप्रतिशत प्रयोग किया जाएगा । जल की पुनः प्रयोग दर 97.5 प्रतिशत पर रहेगी , लोहा-इस्पात के उत्पादन में उत्पन्न कुर्रों से सीमेंट का उत्पादन किया जा सकता है , और समुद्रीय जल को मीठा पानी बनाने समय पैदा नमक भी रसायनिक कारखानों को दिया जाएगा । इसतरह उत्पादन के दौरान कोई प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैस की निकासी नहीं पैदा होती है ।
उन्हों ने कहा कि उत्पादन और ऊर्जा के प्रयोग का स्वरूप बदलने के साथ साथ लोहा-इस्पात का उत्पादन करने के लिए उपयोगी सामग्रियों की कमी भी पैदा हो गयी है । शाऔतु लोहा-इस्पात कंपनी पहले राजधानी पेइचिंग के उपनगर में रही थी , वहां तक खनिज पत्थर और कोयला जैसे सामग्रियों का परिवहन करना कठिन है । पर नये निर्मित छाऔ-फेइ-डियन कारखाना समुद्रीय बंदरगाह तक सिर्फ कई किलोमीटर दूर है । जहाज़ से कच्ची सामग्रियों को प्रत्यक्ष तौर पर कारखानों में पहुंचाया जा सकेगा । इसतरह ऊर्जा की बहुत कमी हो गयी है ।
छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान के बंदरगाह में खनिज पदार्थों के परिवहन के जिम्मेदार श्री वांग ने कहा , संपन्न सौझौते के मुताबिक अगले वर्ष से बंदरगाह से खनिज पदार्थों का परिवहन किया जाएगा । बंदरगाह से कारखाने के वर्कशाप तक गाड़ी नहीं , पर परिवहन बेल्ट के जरिये खनिज पत्थर पहुंचाया जाएगा ।
खनिज पत्थर के सिवा कोयला और तेल बंदरगाहों का निर्माण भी किया जा रहा है । बंदरगाह व्यवस्थाओं का निर्माण समाप्त होने के बाद छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान न सिर्फ खनिज पदार्थ जैसे कच्ची सामग्रियों , उत्पादित वस्तुओं का भी बाहर तक परिवहन करने में भी बड़ी सुविधा मिलेगी ।
वर्तमान में छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान में बुनियादी उपकरणों का जोरों पर निर्माण किया जा रहा है । कई वर्षों के बात छाऔ-फेइ-डियन उद्योग उद्यान में लोहा-इस्पात, रसायनिक उद्योग , मशीनरी साजसामान , बिजली , समुद्रीय जल का परिवर्तन और धातु उपयोगी सामग्री आदि उद्योगधंधे निर्मित हो जाएंगे । इन की सेवा करने वाले सूचना , वित्त, व्यापार, और पर्यटन जैसे कारोबारों की खुब स्थापना भी की जाएगी । इसी व्यवस्था में उद्योगधंधों के एक दूसरे का सहारा और प्रयोग किया जाता है , एक कारखाने के कुर्रे दूसरे कारखाने की कच्ची सामग्री बनायी जाती है , अंततः सभी प्राकृतिक संसाधनों का कारगर प्रयोग किया जाएगा और अनवरत अर्थतंत्र का लक्ष्य पूरा किया जाएगा ।
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