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(GMT+08:00) 2007-12-12 09:48:14    
दो कोरा कागज़ था यह मन मेरा

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ललिताः हम ने ओ. पी. नैय्यर जी पर जो कार्यक्रम पेश किया, उस के बारे में हमें कई पत्र मिले हैं और श्रोताओं ने उस कार्यक्रम को बहुत पसंद किया है।

राकेशः भविष्य में भी हम आप को पसंद आने वाले कार्यक्रम पेश करते रहेंगे। बशर्ते कि आप भी हमें पत्र लिख कर बताते रहें।

ललिताः एक बात मैं अपने श्रोताओं से कहना चाहती हूं।

राकेशः वह क्या?

ललिताः प्रिय श्रोताओ आप हमें पत्र लिखते हैं। पत्रों को देख कर हमें बहुत खुशी होती है और हम उन्हें अपने कार्यक्रम में शामिल करने की भी बहुत कोशिश करते हैं, फिर भी हमारे बहुत से श्रोताओं को यह शिकायत रहती है कि हम उन के पत्रों को अपने कार्यक्रम में शामिल नहीं करते हैं।

राकेशः सो तो है। तो क्या हल सोचा है तुम ने?

ललिताः कोई खास हल तो मेरे पास नहीं है। क्योंकि पत्रों को पहुंचने में कुछ समय लग जाता है और फिर इतने ढ़ेर सारे पत्रों में से कौन सा पत्र पहले पढ़ें यह समस्या बनी रहती है।

राकेशः हमारे श्रोता हमारी इन समस्याओं से कुछ कुछ तो वाकिफ हैं ही।

ललिताः मैं अपने श्रोताओं को यह कहना चाहती हूं कि यदि आप के गांव, शहर कस्बे में इंटरनेट की सुविधा हो, तो आप अपना पत्र ई-मेल से हमें भेजें।

राकेशः उस से क्या होगा?

ललिताः उस से हम अपने श्रोताओं के पत्र तुरंत अगले कार्यक्रम में शामिल कर सकते हैं। क्योंकि उन के पहुंचने में समय न के बराबर लगेगा।

राकेशः यह बात तो है। लेकिन यदि हमारे श्रोताओं के पास यह सुविधा न हो तो?

ललिताः तो वे अपना पत्र जैसे भेजते हैं वैसे ही भेजें। लेकिन लिफाफे पर "आप की पसंद" लिखना न भूलें।

राकेशः बात तो तुम्हारी ठीक है। तो श्रोताओ आप ने अपनी दीदी ललिता की बात सुन ली होगी। यदि आप के घर में या घर के आसपास इंटरनेट की सुविधा है तो कार्यक्रम समाप्त होने के बाद कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें।

ललिताः हालांकि हमारे श्रोताओं को मालूम ही होगा फिर भी मैं यह बताती चलूं कि आप इंटरनेट पर अंग्रेजी या हिंदी दोनों में भी आसानी से पत्र लिख कर भेज सकते हैं। चाहे आप को हिंदी टाइप आती हो या न आती हो।

राकेशः वह कैसे?

ललिताः हमारे श्रोता हमें रोमन स्क्रिप्ट में भी हिंदी लिख कर पत्र भेज सकते हैं।

राकेशः ओहो, तुम तो बहुत समझदार हो।

ललिताः वो तो मैं हूं ही।

राकेशः तो आएं अपने श्रोताओं के लिए अगला गीत पेश करें। और गीत के बाद तुम श्रोताओं को हमारा ई-मेल का पता बताना न भूलना।

ललिताः जरूर। तो श्रोताओ लीजिए सुनिए आनंद बक्षी का लिखा हुआ, एस. डी बर्मन का संगीतबद्ध किया हुआ, लता और किशोर की आवाज़ में, फिल्म "आराधना" का यह गीत।

राकेशः इस गीत को हमारे इन श्रोताओं ने सुनने की फरमाइश की है। गांधी चौक बाड़मेर राजस्थान से बबलेश पवांर, डैनी पंवार, मास्टर मनीश और शिवाजी चौक कटनी से अनिल ताम्रकार, उमर ताम्रकार, संतोष शरमा, रज्जन रजक, राजू ताम्रकार, दिलीप वर्मा और प्रकाश पैंटर ने।

ललिताः तो सुनिए "आराधना" फिल्म का यह गीत।

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