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(GMT+08:00) 2007-11-12 16:46:16    
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तीन प्रतिनिधित्व वाले विचार, तिब्बती दलाई लामा के प्रति चीनी जनता का राय,चीन का सामंजस्यपूर्ण समाज

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आज के इस कार्यक्रम में विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह,आजमगढ उत्तर प्रदेश के आनन्द अग्रवाल और पश्चिम बंगाल के माधव चन्द्र के पत्र शामिल हैं।

विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह जानना चाहते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तीन प्रतिनिधित्व वाले विचार का क्या मतलब है?

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के तीन प्रतिनिधित्व वाले विचार का मतलब है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीन में प्रगतिशील उत्पादन-शक्ति के विकास की मांग का प्रतिनिधित्व करती है,

प्रगतिशील संस्कृति के विकास की दिशा का प्रतिनिधित्व करती है और व्यापक जनता के मूल हितों का प्रतिनिधित्व करती है।

सन् 2002 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 16वीं राष्ट्रीय कांग्रेस या प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से तीन प्रतिनिधित्व वाले विचार को मार्क्सवाद,लेनिनवाद और तंग श्याओ-पिन के सिंद्धात के साथ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निर्देशक विचारों के रूप में तय किया है।

आजमगढ उत्तर प्रदेश के आनन्द अग्रवाल पूछते हैं कि चीनी जनता तिब्बती निष्कासित नेता एवं नोबल पुरस्कार विजेता दलाई लामा के प्रति कैसी राय रखती हैं?

दलाई लामा के सवाल पर चीनी जनता अपनी सरकार के रूख की समर्थक है।पिछले दशकों में चीन सरकार ने दलाई लामा का बहुत ख्याल किया।सन् 1959 में भारत जा बसने के बाद भी उन के लिए चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के उपाध्यक्ष का पद तब तक बनाए रखा गया,जब तक उन्हों ने खुल्लमखुला चीन के विभाजन की कोशिश नहीं की।

चीन सरकार दलाई लामा के साथ वार्ता की पक्षधर रही है और उस ने अनेक बार खुलेआम कहा है कि दलाई लामा से उस की वार्ता का द्वार हमेशा खुला रहेगा,बशर्ते कि वे तिब्बत और थाइवान को चीन के अभिन्न अंग की मान्यता दें।

तिब्बत और थाइवान के प्राचीन काल से ही चीन के भूभाग होने के अकाट्य व निर्विवाद प्रमाण हैं।दलाई लामा यदि ऐतिहासिक तथ्यों का सम्मान करते हैं और निस्वार्थ हैं,तो उन्हें वार्ता के लिए चीन सरकार की शर्त को सही मानकर स्वीकार करना चाहिए।यहां हमें व्यक्तिगत रूप से कहना पड़ेगा कि दलाई लामा दांव-पेंच में माहिर एक आदमी है।क्योंकि जब उन्हें स्थिति अपने लिए हितकारी लगती है,तो वे चीन सरकार से वार्ता से मुंह फेर लेते हैं और जब स्थिति अपनी नीयत से मेल खाती हुई नहीं लगती है,तो वे वार्ता करने की पेशकश करते हैं। यदि उन का राजनीतिक स्वार्थ नहीं है,तो उन की कथनी-करनी में इतना अधिक अंतर क्यों होता है? विदेशी मीडिया तक ने भी यह माना है कि दलाई लामा विदेशों के दौरे के दौरान कभी भी तिब्बत की स्वतंत्रता का ढिंढोरा पीटना नहीं भूले हैं। इसलिए व्यापक चीनी जनता के विचार में चीन सरकार के साथ वार्ता करने का दलाई लामा की पेशकश सिर्फ एक रणनीति है,जिस में उन की जरा भी सदिच्छा नहीं है।

अलबत्ता तिब्बत में इने-गिने व्यक्ति तिब्बत की स्वतंत्रता के समर्थक विदेशी ताकतों के चकमे में आकर दलाई के सुर में सुर मिला रहे हैं। पर अधिकांश तिब्बती अपने को चीनी मानने पर कायम हैं और उन की नजर में दलाई लामा शुद्ध धार्मिक नेता से काफी परे जा चुके हैं।

जहां तक नोबेल पुरस्कार का सवाल है,वह पूरी तरह पश्चिमी देशों के दोहरे मापदंडों के अनुसार दिया गया है। आप सोचिए कि एक शांतिप्रिय व्यक्ति कैसे देश के विभाजन के उद्देश्य से आम लोगों को उपद्रव मचाने और हिंसा करने के लिए उकसा सकता है?

पश्चिम बंगाल के माधव चन्द्र का सवाल है चीनियों की नजर में सामंजस्यपूर्ण समाज कौन सा है?

चीनियों की नजर में सामंजस्यपूर्ण समाज ऐसा होना चाहिए,जिस में लोकतंत्र,कानूनी व्यवस्था,न्याय,ईमानदारी,मैत्री,जीवन-शक्ति,अमन-चैन,मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित हो।

सामंजस्यपूर्ण समाज का विचार सन् 2004 में आयोजित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 16वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के चौथे पूर्णाधिवेशन में प्रस्तुत किया गया।इस विचार को मूर्त रूप देना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा खुशहाल समाज का निर्माण करने और चीनी विशेषता वाले समाजवादी कार्य का नया दौर शुरू करने के दौरान प्रस्तुत एक नया अहम कार्य है,जो व्यापक जनता के मूल हितों और जनता की समान अभिलाषा की अभिव्यक्ति करता है।

सामंजस्यपूर्ण समाज के साथ सामंजस्यपूर्ण दुनिया का विचार भी पेश किया गया है,जिस की व्याख्या वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ की 60वीं जयंती के अवसर पर आयोजित एक शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन-थाओ द्वारा विस्तृत रूप से की गई।उन्हों ने कहा कि सामंजस्यपूर्ण दुनिया के विचार के तहत चीन विदेशों के साथ अपने संबंध निपटने के दौरान बहुपक्षवाद पर कायम रहते हुए समान सुरक्षा पाने की कोशिश करेगा,आपसी लाभ वाले सहयोग के आधार पर समान समृद्धि प्राप्त करने का प्रयास करेगा और व्यापक स्वीकार वाली भावना से सामंजस्यपूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए विदेशों के साथ मिलकर प्रयत्नशील रहेगा।इस विचार में चीनी राजनय की कोशिशों और वैश्विक रणनीति के प्रमुख विषयों की झलक देखी जा सकती है।