छिङ सरकार ने राजोधानी में अल्पसंख्यक जातियों के मामलों की समिति की स्थापना की, जो विशेष रूप से उन सीमावर्ती इलाकों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार थी जहां अल्पसंख्यक जातियां सघन रूप से बसी हुई थीं। इन इलाकों के सैनिक और प्रशासनिक मामलों को निपटाने के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा समय समय पर वहां सैन्य अधिकारी व मंत्री भी भेजे जाते थे।
17 वीं सदी के अन्त में छिङ सरकार ने मंगोलिया पठार की मरूभूमि के पश्चिम में चुङकार मंगोल जाति के इलाके में तीन बार अपनी फौजें भेजकर वहां के विद्रोह को शान्त कर दिया। सम्राट छ्येनलुङ के शासनकाल में उसने उइगूर जाति के प्रतिक्रियावादी अभिजात वर्ग के विरोध का भी सफलतापूर्वक अन्त कर दिया और शिनच्याङ के इलाके का एकीकरण किया।
ईली में सैन्य जनरल का दफ्तर कायम किया गया और उस के अधिकार क्षेत्र में थ्येनशान पर्वतश्रंखला के उत्तर और दक्षिण के सारे इलाकें सौंप दिए गए। छिङ सरकार ने शिनच्याङ के विभिन्न स्थानों में भी अपनी सेना तैनात कर दी और इस प्रकार चीन की उत्तरपश्चिमी सीमा सुरक्षा को मजबूत कर दिया।
छिङ सरकार का क्षेत्राधिकार तिब्बत पर भी था, जिसे उसने मिङ राजवंश से उत्तराधिकार में प्राप्त किया था। छिङ राजवंश की स्थापना के थोड़े ही समय बाद छिङ सरकार ने तिब्बत के शासकों दलाई लामा और पंचन लामा से छिङ सम्राट के प्रति निष्ठा का वचन प्राप्त कर लिया।
बाद में छिङ सरकार ने तिब्बत में अपना एक आवासी मंत्री नियुक्त किया, जो केन्द्रीय सरकार का प्रतिनिधित्व करता था और दोनों लामाओं के साथ मिलकर तिब्बत के मामलों की देखभाल तथा स्थानीय अफसरों की नियुक्ति करता था। छिङ सरकार ने तिब्बत में तैनात अपने सैनिकों की संख्या भी बढ़ी दी।
17 वीं सदी के अन्त में छिङ सरकार ने मंगोलिया पठार की मरूभूमि के पश्चिम में चुङकार मंगोल जाति के इलाके में तीन बार अपनी फौजें भेजकर वहां के विद्रोह को शान्त कर दिया।
सम्राट छ्येनलुङ के शासनकाल में उसने उइगूर जाति के प्रतिक्रियावादी अभिजात वर्ग के विरोध का भी सफलतापूर्वक अन्त कर दिया और शिनच्याङ के इलाके का एकीकरण किया।
ईली में सैन्य जनरल का दफ्तर कायम किया गया और उस के अधिकार क्षेत्र में थ्येनशान पर्वतश्रंखला के उत्तर और दक्षिण के सारे इलाकें सौंप दिए गए। छिङ सरकार ने शिनच्याङ के विभिन्न स्थानों में भी अपनी सेना तैनात कर दी और इस प्रकार चीन की उत्तरपश्चिमी सीमा सुरक्षा को मजबूत कर दिया।
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